पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/६६

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उलभली. ११४२ खलिश' चलभली-संज्ञा की [हिं० खलनल] दे० 'खुलवली' । ....... - नुकीला, छोन टुकड़ा जिसमें दौतों में फंसा हा अन्न आदि । चलमलाना-क्रि० अ० [हिं० सलबल या बल मल] विनमिलाना। . खोदकर निकालते हैं। खलबली में पड़ना । विचलित होना। उ०-खलमलित शेष ‘खलाल-संक्षा सौ [हिं० खेल या अ० खलाल (तास प्रादि के .." कदि गंग भनि अमित तेज रवि रय खस्यो । प्रकवरी, खेल में पूरी वाजी की हार पूरी मात । ... क्रि०प्र०- करना !-मानना । उल मूर्ति-संहा पुं० [सं०] पारा । पारद. मुहा०-खलाल देना-मांत करना । जलयज्ञ-संज्ञा पुं॰ [०] खनियान में होनेवाला एक प्रकार का या! खलास'-वि० [अ० खुलास] १. छूटा हुआ । मुक्त । २. खतम । जलल-संश पुं० [अ० खुल ल] १.रोक | अवरोध । रुकावट । वाधा।' समाप्त। • क्रि० प्र०-डालना।—पड़ना । ..... खलास-संज्ञा पुं० मुक्ति । छुटकारा । रिहाई [को०। . २. विकार । बाबी (को०)। __ खलासी --संशा स्रो० [हिं० खलास] मुक्ति । छुटकारा। छुट्टी। .. यो०-खलल मंदाज हस्तक्षेप या विरोध करनेवाला । बाधक। . क्रि०प्र०—करना ।—देना ।-पाना । - सलल दादी-खलन या बाधा डालने का कायं । खलल खलासी-संहा पुं० [स] १. जहाज पर का वह नौकर जो पाल . दिमाग =(१) पागलपन । सनक । (२) सनकी। पागल । चबाता, रस्से वांधता तथा इसी प्रकार के और कार्य करता खलसंसर्ग-संज्ञा पुं० [सं०] दुष्ट । बुरे लोगों का साथ [को०] 1... है। वैमा प्रादि खड़ा करने और प्रसवाब होनेवाला नौकर। खलसा-संशा सी० [सं० खलिश] एक प्रकार की बड़ी मछली । खलि--संज्ञा स्त्री० [सं०J१० खली' (को०] । विशेष -यह मछली समस्त उत्तर भारत, पासाम गैर चीन में खलित@-वि० [सं० स्खलित] १. चलायमान । चंचल । डिगा हुया। ... होती है। इनमें कांटे अधिक होते हैं और बल से निकाल उ०-दिग्गज चलित खलित मुनि प्रासन इंद्रादिक भय मान । लेने पर भी यह कुछ उमय तक जीती रहती है । वैद्यक के -मूर (शब्द०) 1२. गिरा हृयो । पतित । अनुसार इसका मांस खा और वात बढ़ानवाला होता है। मुहा०-खलित होना= वीर्यपात होना । वीर्य निकल पड़ना। खेलहलना -क्रि० स० [अनु॰] दे० 'खलखलाना' - ०-धुरि. उ०पारबती ऐसी परली जाकी ताको मन क्यों टोला । खलित भए छवि देखि मोहिनी हा हा करि के बोला ।- . . अपाड़ धक्रया मेह । खहल्या पाल्या वहि गई.खेह !--बी०.. कबीर (शब्द०)। रासी, पृ०७० । . खलिता-संशा पुं० [हिं० खलीता] ३० 'खलीता' 1 उ०-बिन पर खल हाण@-श पुं० [हिं० खलिहान] दे० 'बलियान-१' 30- से उड़ता है कैसा। खेल खेलते अविधे के खलिते में घुसा।- ..हवं खसा थाणी खलहाणौं । लेखा पखे सुधन लुटाण- दविखनी०, पृ० ६२ । रा००, पृ० २६० । खलिन-संञ्चा पुं० [सं०] १. घोड़े की लगाम । २. वह लोहा जिसमें खला-संशनी [०] गणिका । देश्या ।-अनेकार्थ०, पृ० २७ । - लगाम बंधी रहती है और जो घोड़े के मुह में रहता है । खलाइता-संचासी० [हिं० खाल+इत (प्रत्य०)] धौंकनी। भाथी , खलिनी-संघा ली० [सं०] वह स्थान जिस में गाँव भर के लोगों का खलाई-संत्रा झी [हिं० खल+प्राई) (प्रत्य॰)] खलता । टुप्टता ।। खलिहान हो।-संपूर्णा०, अभि० ग्रं॰, पृ०२४८ । 30-कान्ह कृपाल बड़े नपाल गए बल खेचर खास खलाई।। समान खलियान-संत्रा पुं० [सं० खल+स्थान] १. खेतों के पास का वह -तुलसी (शब्द०)। स्थान उहाँ फसल काटकर रखी, मांड़ी और नरसाई जाती खलाड़ना-वि०प्र० [हिं० खलार के नाम] बलामा । पचकाना। है। अनाज और भूसा दोनों यहीं अलग मलग किए जाते हैं। घुसाना । २०-गांव में लंगोटी चढ़ाए पेट खला, दुर्मिक्ष का मुहा०-खलियान करना= (१) काटी हुई फसल का हेरें रूप बनाए।-प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ० २६६ । लगाना । (२) तितर बितर करना । नष्ट करना। सलधारा-संहामी० [सं०] चपड़ा । तेलबट्टा [को० । २. राशि । ढेर । जैसे-तुमने तो यहाँ कपड़ों का खलियान लगा

खलानाल-क्रि० स० [हिं० खाली] १. पात्र आदि में से भरी रखा है।

हई चीज बाहर निकालना खाली करना । २. गट्ठा करना। क्रि० प्र० -लगाना। गडा बनाना। जैसे-फुया खलाना। ३. सोने के पत्तर को खलियाना'-कि०० [हिं० साल] खाल उतारना । मत पशु के घुडी प्रादि बनाने के रिये बीच में दवाकर कटोरी की तरह . . शरीर से बाल खींचकर अलगाना । चमड़ा अलग करना । FATTY किमी फली हई सतह को नीचे की घोर धंसाना। खलियाना-क्रि० स० [हिं० साली] खाली करना । या सेपेट खलाना । १०-मांगत पेट खलाय। खलिवर्द्धन--संज्ञा पुं० सं०] मसढों का एक रोग।। . ..तुलसी (जन्द०)। _ विशेष-इस रोग में वायु के प्रकोप से मसूढ़ों की जड़ का मांस खलारी-टिकहि खाला] नीचा । गहरा । जैसे-खलार भूमि। बढ़ जाता है और बढ़ी पीड़ा होती है। खलाल-संशा पुत्र खलाल] धातु आदि का बना हया लंवा. खलिश --संज्ञा पुं० [सं०] खलसा नाम की मछली।