पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/७५

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खाति ११५१ खादि खीति--संज्ञा स्त्री० [सं०] खदाई । खोदने की स्थिति [को०] . उ नकी सीं पाकीजा सिफत सातून दुनिया में कम खासिम-वि० [अ० खातिम] १.खत्म या समाप्त करनेवाला। २. .. होगी:-काया०, पृ०५५२। सबसे बादवाला । संबसे पीछेवाला (को०] । यौ०-खातूने अरब, खातूने काबाफ निपा का नाम । खातूने । खातिमा-संज्ञा पुं० [प० खातिमह.1 १. मृत्यु । मरण । २.पाखीर। ___ खाना -गृहिणी । गृहस्वामिनी । खातूने फन -सूर्य । मंत । समाप्ति । ३. किमी पुस्तक का आखिरी अध्याय या रवि । खातुने महफिल-सबमे मिलने जुलनेवाली स्त्री। परिच्छेद । ४.फल । परिणाम । नतीजा (को० । सोसायटी गर्ल । । खातिर'--संझा लो० [अ० खातिरं] १. सत्कार । संमान । २. खातेदार--संज्ञा पुं० [हिं० खाता+फा० दार-वला (प्रत्य०)] हृदय । मन (को०)। ३ सादर । लिहाज (को०]। ४. मन खाता खोलनेवाला व्यक्ति । न देन प्रारंभरनेवाला व्यक्ति । में उत्पन्न होनेवाला विचार । माकांक्षा । इच्छा (को०)। खात्मा-संथा ० [अ० खाति पह.] दे० सातमा' । उ०-प्रब थोड़ा । यौ०-शातिरजमा। खातिरदार । खातिरनशी-बोधगम्य । सा प्रस्तावना के खात्मा और कपाप्रवेश पर निहाज क ना "हृदयंगम । खातिर शिकनी = प्रसन्न या प्रसंतुष्ट होना। उचित है।-प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ० ४२। । खातिर -प्रत्य० गस्ते । लिये 1 कारणं । खात्र-संज्ञा पुं० [सं०] १. सानिय। संता । कुदाल । २. चौकोन बड़ा खातिरखाह-अब्ध०, कि० वि० [फा० खातिरवाह] जैसा चाहिए । तालाब । ३.सूत । डोरा। ४. जगल । वन । अरण्य (.

वसा । इच्छानुसार । यथेच्छ ।।

त्रास । भय । डर [को०] । खातिरजमा-संज्ञा स्त्री० [अ० खातिरजमा] संतोष । इतमीनाना खाद' संज्ञा पुं० [सं०] भोजन । खाना [को०।- तसल्ली। खाद-वि० भोजन के योग्य । खाने योग्य (को०] 1 . क्रि० प्र०-रखना या होना । उ०-पलटू खातिरजमा भइ सतगुर खाद-संघा • [सं० खाद्य] वह पदार्थ जो खेत में उसकी के परसंग ।-पटू०, पृ० ४४ । उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिये डाला जाता है। पास। खातिरदार-संज्ञा पुं० [फा० खातिरदार] प्राव भगत या आदर। क्रि०प्र०-डालना-देना । करनेवाला (को०] 1 विशेष-सब प्रकार की पत्तियाँ, डंठल, कहा. कर्कट, कीचड़, खातिरदारी-संज्ञा स्त्री [फा० खातिरदारी] संमान । प्रादर । । । पक्षियों और पशुओं का मलमूम तया मृत शरीर ग्रादि समी । पावभगत । उ० मैंने अपनी दौलत इन झूठे खुशाम दियों को चीजें सब गलकर बहुत अच्छी खाद का काम देनी हैं। इसके खातिरदारी में खोई।-श्रीनिवास ग्रं०, पृ०७७ । अतिरिक्त चूना, छाडिया प्रादि सानिज पदार्थों ' और उनके , खातिरन - क्रि० वि० [अ० खातिरन] खातिर करने के लिये । दिल क्षारों से भी खाद बनती है। रखने के लिये को॰। खादक' संज्ञा पुं० [सं०] [ली. खदिका] १. ऋण लेनेवाला । खातिरी'- संज्ञा स्त्री० [फा० खातिर] १.संमान । प्रादर । पाव फर्ज लेनेवाला । मधमण । २. किसी धातु का वह भस्म जो.. भगत। उ०-प्रचुर पठ परिचारक दल मह खबरि बरातिन . खाने के काम में माता हो ।.... लीन्हीं। प्रावन की पुनि प्रशन शयन की सबन खातिरी खादक-वि० खानेवाली । भनक । . कीन्हीं।-रघुराज (पाद०)। २. . तसल्ली। इतमीनान । खादन-संबा पुं० [सं०] वि० खानीय, शादित, खाय] १. भक्षण। संतोष । भोजन । खाना २. टाँत (डि.)। ३. भोजन करने की। खातिरी--संज्ञा- मौ० [देश०] वह फसल जो नदी के किनारे खाद . क्रिया या भाव (को०)।. . .. . . . के वल से या हाथ से पानी सींच सोंचकर पैदा की जाय। . खादनीय-वि० [सं०] भक्षणीय । खाने योग्य । खाद्य । खाती'-संवा स्त्री० [सं० खातिका] १. सोदी हुई भूमि । खंती । २. खादर-संशा पुं० [सं० . खात्र = तालाव पयवा हिं० खाड़] १. नदी, छोटा ताल । ३. मीन खोदनेवाली एक जाति । खातिया। झील आदि के किनारे की वह नीची जमीन जिसमें वर्षा का ४. बढ़ई। उ०-बेगि बोलाइ चहू दिस केरा। थवई बाती. पानी बहुत दिनों तक रुका रहता हो । वानर का उलटा । गुनी चितेरा--चित्रा०, पृ० ४३ । ५. मूर्तिकार । मूर्ति तराई । कछार । उ०—(क) मेघ परस्पर यहै कहत हैं धोय बनानेवाला । उ०-ईसीय न खाती को घड़इ । इसी अस्त्री करहु गिरि खादर । -- सूर (शब्द०) (ख) रूमि रूदि डारे नहीं रवि तल दीठ।-वी. रासो, पृ० ४५ ॥ खुरासान खूदि मारबारु खादर लौं झार ऐसे साह की बहार । खाती--संज्ञा स्त्री० [सं० क्षत् प्रा०, फा खात = घाव, अपराध अथवा है। -भूषण (शब्द०) २. गतं । गड्ढा २. पशुपों के चरने . प्र० गती जान कर अपराध करनेवाला] घंपराध । घात। की जमह । चारोगाह । गलती । उ०-- कान्ह के बल मोसौं करी खाती । हरिहै कहा, मुहा०-खादर लगना= पशुओं के चरने योग्य घास उगना । ' गोप विहि बानी ।-नंद० प्र०, पृ० १९१ । खादि-संघा पुं० [सं०] भक्ष्य । खाद्य । २. जिरहय स्तर। कवच। खाती-वि० [अ० खाती] जान वृझकर अपराध करनेवाला [को०] ३.हस्तबाण । दस्ताना ! ४. पैरों और भुजामों में पहना खातून---संवा श्री० [तु० खातून] कुलीनललना । कुलांगना । भद्रमहिला। ___ जानेवाला एक माभूपण । उ----एक का नाम खादि था जो .