पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/८७

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खिलाई खिसना . खिलाई'-संज्ञा स्त्री० [हिं० खाना j . भोजन की क्रिया । खाने का खिलौना-संवा पुं० [हिं० खेल+ौता (प्रत्य॰)] काठ, मोम, - काम। २. खिलाने का काम । " . . . . मिट्री, कपड़े ग्रादि की बनी हई मूर्ति या इसी प्रकार की यौ०--खिलाई पिलाई%=(१) खाना पीना । (२) खिलाना और कोई चीज जिससे बालक खेलते हैं। ' पिलाना। मुहा०.-हाथ का खिलौना: ग्रामोद प्रमोद की वस्तु । यह व्यक्ति खिलाई२ संज्ञा स्त्री० हिं० खेलाना (खेल) ] वह दाई या मजदूरनी जिससे मन बहले । प्रिय व्यक्ति । जैसे,-अपने गुणों की . जो बच्चों को खेलाती हो। बदोलत यह अमीरों के हाथ खिलौना बना रहता है। यो०-दाई खिलाई। खिल्त'--संशा पुं० [अ० खिल्तह ] मिथए । मिलावट। .. खिलाड़ --संज्ञा पुं० [हिं० ] दे० 'खिलाड़ी'। यो-खिल्तमिल्त = मिला हुपा । एकाकार । खिलाड़-वि० श्री. वदचलन । पुंश्चली। खिल्त-संशा खी० [अ० खिल्त ] बात, पित, कक प्रादि रस या खिलाड़िना-संज्ञा स्त्री० [हिं० खेल+पाड़ी प्रत्य॰)] १. चुलबुली। घात । यनानी मत से पारीर की चार धातुओं में से कोई नटखट । २ पुंश्चली । व्यभिचारिणी। - एक धातु (को०)। खिलाड़ी-संहा पुं० [हिं० खेल+पाड़ी (प्रत्य॰)] [स्त्री० खिलाड़िन] खिलवा खिल अर्यात परिशिष्ट या पूरफ अंश मे कायत। १. खेल करनेवाला । खेलने वाला । २. कुश्ती लड़ने, पटा विलय सं०] १. मरुस्थल । रेगिस्तान । २. बनेठी खेलने या इसी प्रकार के और काम करनेवाला । ३. जादूगर । बाजीगर। .. भूमि के वीच कोई चट्टान । ३. खारी नमदा [को०] । खिलाड़ी-संज्ञा पुं० [देश॰] बलों की एक जाति जो खानदेश, मैसूर खिल्ला-वि० [सं० खिल] परतो। खाली। बिना डोते वोए . और हैदराबाद के पहाड़ी भागों में होती है। .. हुए। उ० --कोई किसान यदि नजराना देता तो वे खेत खिलाना'-क्रि० स० [हिं० खेलना ] किसी को खेल में नियोजित... उसके नाम दर्ज हो जाते, नहीं तो बिल्ले पड़े रहो। करना । खेल कराना। -फूलो०, पृ०००। खिलाना-क्रि० स० [हिं० खाना ] 'खाना का प्रेरणार्थक रूप खिल्लो'--संशा स्त्री० [हिं० खिलना ] हंसी। हास्य । दिलपी । भोजन कराना। मजाक!.. यौ०---खिलाना पिलाना = भोजन कराना .. .', कि०प्र०-उड़ाना ।-करना। खिलाना-क्रि० स० [हिं० खिलना] विकसित करना फलानो मी०-शिल्लीवाज - दिल्जगीवाज! खिल्लीवाजी: दिल्लगी- खिलाफ'--संज्ञा पुं० [अ० खिलाफ ] क्षेत्र। वेत का वक्ष (को०] । बाजी। विनोद । खिलाफ–वि. जो अनुकूल न हो। विरुद्ध । उलटा ।' खिल्ली-संघा खी० [हिं० गिलौरो] पान का बीड़ा । गिलौरी। यौ०--खिलाफकानुन = अवैध । विधिविरुद्ध । खिलाफयानी = खिल्ली-संपा खी० [हिं० सील] कोल ! कटिा। भूठ कहना । गलत बयान देना। खिलाफमरजी खिल्लो-वि० सी० [हिं० खिलना=प्रसन्न होना बहुत अधिक प्रतिकूल । खिलाफवरजी = अवज्ञा । अवमानना । - हँसनेवाली (स्त्री) खिलाफत--संज्ञा स्त्री॰ [अ० खिलाफत ]१. प्रतिनिधित्व । स्थानाप- खिवना@--क्रि० अ० [क्षिप्, प्रा०, खिवरण] चमकना । - २. खलाफा का पद । ३. मुहम्मद साहब के बाद उनका . (क) च्यारह पासइ घण घाउ बीजलि खिवद्द भगास । प्रतिनिधित्व । ४. विरोध। .. हरियाली रुति त भलई, घर संपति पिउ पास -होला । यो०-खिलाफत प्रांवोलन=सन् १९१८-२१ के बीच भारत में दू०२६०। (ख) विरहा रवि सों घट व्योम तच्यो विजुरी निटिश सरकार के विरद्ध छेड़ा गया एक आंदोलन जो खलीफा सी खिइक लौ छतियाँ।-धमानंद०, पृ०८८1:

का गद्दीनशाना के प्रश्न पर हुआ था। .. . .. खिंवाही--संज्ञा स्त्री० [देश॰] एक प्रकार की ईट ।

खिलार--संज्ञा पुं० [हि.] दे० 'खिलाई। उ०-उन पीतम सों यौं। " खिश्त-संशा स्त्री॰ [फा० खिश्त] १.छोटा नेजा। शक्ति । २.इस्टका । - जा कहियो तुम विन व्याकुल नार । 'हरीचंद क्यों सुरति । इंट [को०। " विसारी तुम तो चतुर निलार ।-भारते... भा०२खिश्तक-सधा खा फा० शिस्तक] १. कपड़ का यह • पृ०.४८। . . . ... कुर्त में बगल के नीचे लगाया जाता है । चीबगला। २.खोगी खिलारी-संवा ली० [हिं० पोल = भुना हुमा वाना ] धनिया और [हिं० सील = भना हमा दाना निया ... इठ । छाटा इट ईठ 1 छोटी ईट (को०] ! . : खरबूजे, ककड़ी शादि के भने हप बीज जो भोजनोपरांत' खिसकना-क्रि० स० [हिं० या अनु०] दे० 'खसकना' । उ०-भूतात . शाए जाते हैं. :.

. माहि भलाए भट्ट सुधि. सों सुधि जात सर्व खिसकी सी। खिलाल' संथा की [भ० खिलाल ] १.(ताश आदि के खेल में) --रघुनाय (शब्द०) । पूरी बाजी की हार। दे० 'खलाल'२.मध्य । बीच खिसकाना-क्रि० स० [हिं०] ३० 'खसकाना। मंदर (को०)।३, दात खोदने का विवका । घरका (को०)। खिसूना-कि०म० हिं1० खना। ३०--लोमी. ठाकुर