पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/८८

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खचाखाँची लिसलन ... प्रावि धरि काँई करइ विदेसि । दिन.दिन जोवण तम विमुइ कुचाल । बिख मी लागति है बुरी, हंसी विपी की लाल - लाभ किया कइ लेसि ।--डोला०, दू०१७७ 1. बिहारी (सन्द०)। खिसलना-संदा डी [हिं०] ३० "फिसलन'। खिसौहाँ@-वि० [हिं० स्वीन + ग्रोहा (प्रत्य॰)] विमिमाया हुना। ख्रिसलना-क्रि० स० [हिं० दे० 'फिसलना 1 30-बार बार लज्जित और संकुचित । २०-गहकि गांमु धौरे गहै रहे , ऊँचो करूं खिसनि विसति यह बात । मुरवीह की गायि दै. प्रघकहे बैन । देखि खिसा हैं पियनयन लिए रिसौं नैन :- नक नहीं हैरात 1--शकुंतला, पृ०५१ . बिहारी (गन्द०)। खिसलाना-क्रि० स० [हिं०] खिसलना का प्रेरणाका खींच-संत्रा की [ हि० खींचना सौंदना का भाव। खिसलावा--संघा पुं० [हिं० खिसलना या फिसल ना] १. फिसलने खीचतान--संझा मी० [हिं० खींचतान] १ किसी वस्तु की प्राप्ति या विपुलने का भाव । २. फिसलने या दिलने की जगह। के लिये दो व्यक्तियों का एक दूसरे के विरुद उद्योग । नींबा- खिसलाहट-संवा बी० [हिं० खिसलना या फिमलना] फिसलने या खाँनी। २.दिलाट कल्पना द्वारा किसी मब्द या वाक्य मिमलने का भाव .. धादि का अन्यथा अर्थ करना। खिसानाt@--क्रि० स० [हिं०] देखिसियाना' । उ०—(क) खींचना-क्रि० स० [सं० कर्षण प्रा० कण, देशी ख बाग, प्रे० दुरि गए कीर कपोत मधुप पिक सारंग सुधि विसरी। उह खिचवाना] १ किसी वस्तु को इस प्रकार एक स्थान से पति विद्रम बिंब खिमान्यो दामिनि अधिक डरी-सूर : दूसरे स्थान पर करना कि वह गति के समय अपने प्राधार (शब्द०)। (मा) करड़ उणय पात लशा भूपिनाई पाइरहे से लगी रहे। घसीटना । जैसे--(ग) चारपाई इधर खींव वे खिमाद को इतनोई लीजिए ।—प्रिया० (शब्द०)। लायो। (ब) बड़े में हाय हाल फर उस चीज को मींव (ख) तिन मधि को रानौ । हो रानो निपट निसानी :- लो। २. किसी कोण, यले प्रादि में से किसी वस्तु को . नंद० ०. पृ० ३०६। बाहर निकालना। जैसे,-म्यान में तलवार खीचना । खिसाना -क्रि० स० [हिं० खिसकाना] १. सरकाना । हटाना। ३.किमी ऐसी वस्तु को छोर या पीच मे पकड़ कर अपनी १०-तो मो चरण चिसाद तार तो बार तो दीदी सीता। और बढ़ाना जिसका दूसरा छोर दूमरी घोर अमवा नीचे या -रघु० रु०, पृ० १८०१२. हटाना। भगाना । १०- - ऊपर हो ऐचना । जैसे, पचे या विटकी की डोरी खींचना। वाजे मीनं पीर खेत अजमेरि खिमाए !-है. र सी, - 'कुएँ से पानी वींचना 1 जमे-रसी को बहत मत खींची, जायगी । ४. प्राकर्षित करना । बलपूर्वक किसी और पोरन पृ०७३। .जाना । किसी पोर बढ़ाना । किसी कोर प्रवल करना। खिसारा-संशा पृ० [फा०] घाटा । नुकसान । हानि। . .. ' महा०—चित सौचना = मन को मोहित करना । कि० प्र०-उठाना ।-पड़ना । सहना । .. ५. सोखना। चमना । जैसे-(क) मंदा बहुन थी खींचता है। खिसारी-संशात्री० [हिं०] दे० 'सोसारी। (स) भी मोन्त्रता रख दो सब स्याही खींच ले । ५. भमके सिसिप्रानपन--संज्ञा पुं० [हिं० खिसिमाना+पन खिसिगना का में अर्क, शराब आदि टपकाना । अकं चुनाना । ७. किसी वस्तु भाव । सिनिग्राहट । के गुण या तत्व को निकाल लेना । ज इस कप? ने फूल खिसियाना-क्रि० प्र० [हिं० खीस =दांत ] १. लजाना । लज्जित की सारी मृगं खींच ली। होना । परमाना। -लाज लए प्रम् पावत नाही हप्नो महा-पीड़ा या दर्द खींचनाम्शीपत्र प्राटि का दर्द दूर करना। रहे विशिनाने । पूर (शब्द०)।२. खफा होना। कुछ जैसे-यह लेप सब दर्द खींच लेंगा। होना । रिसिग्राना। ८. कलम फेरकर लकीर प्रादि सना लिम्बना । चित्रित खिसियाना-दि० लज्जित ! शरमिंदा । जमे,-यह सुनकर बै तो करना -मदीर वींचना । विमित्राने से हो गए। . यो०-खींच सांचकर भापट टेढ़ा नीया लिखकर । जये--एक खिसिग्राहट- संदा की [वि. खिसिमाना+हट ( प्रत्य०) खिसि- चिट्टी में बंटा भर दगा दिया. मीच मांचकर किनारे करी। पाना का भाद। दिनिमानपना रोज रखना। जैसे-जितना वादी देना है, उसमें खिसियाना-क्रि०अ० [हिं०] दे० 'दिसिमाना' । ऋद होना। भी ___दह कुन बीच रखना चाहता है। ३०-यासौं हमरी कछ, न बसाइ ! यह कहि असुर रह्यो __ महा-हाय ना या और कोई काम बंद करना । खिसियाइ 1-सूर०, ७ ॥ खिसी@-शमी० [हि वितिपाना] १. मजा । सरम 1 30--- ब)इम पना हायब्रीद लेते (क) सब निधिल तन मुलित दिलोचन पुलक मुन्द्र पनि में विती । इमि निखिल निघवन को फटा पिर को हंसी सिय को दिसी --गुमान (द) ()गिसी दलेल खान उर छाई । याद गनूप अन्य को गाई-लाल ( सन्द र -रगना- ना .२, विकाई । धृष्टता । ३०-दुरैन निपरमटो दिए, ए राबरी खीच ..