पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/९२

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खुदराई. खुटी+-संश की दिशा मौकल । जंजीर। सिकड़ी। उ०- . 'मुहा०-खुद व खुद% पाप से आप। विना किसी दूसरे के । खुटी सिंकली सूता एकावली चुलिवलया मेपला चिका . प्रयास, यत्न या सहायता के । उ०--किसी तरह, यह कम- वरण, पृ० ४।. । वन्त हाथ माता तो और राजपूत खुद ब खुद पस्त हो जाते । खुटेरा-संशा पुं० [सं० खदिर ] खैर का पेड़ । -भारतेदु००, भा० १, पृ०५२१ । खुट्टी-संवा मी हि खुद से अनु०] १. रेवड़ी नाम की मिठाई यो०-दग्राराइ, खुदइम्तियार-स्वतंत्र स्वयं अधिकारप्राप्त । जो तिल और चीनी या गुड़ से बनती है । २.वालकों को एक खुदइख्तियारी= स्वतंत्रता । मनचाहा करने का अधिकार । किया जिससे वे परस्पर संबंधविच्छेद करते हैं। कुट्टी। . खुदकाश्त । खुदगरज खुददार । वृददारी-प्रात्माभिमान । खुदी संवा श्री [हिं०] घाव से निकला हुया वह मवाद जो सूखकर .. खुदनुपाई-प्रारमगर्व और ऐश्वर्य का प्रदर्शन | खुदपरस्त । · · घाव के ऊपर ही जम जाता है । घाव पर जमी हुई पपड़ी। खुदफरामोश - गाफिल । खुद के प्रति विस्मृत । खुद ब खुद । ...बुदनी घमंडी । गला । खुद मतलब । खुदमतलबी । खुद- खुठमेराई-संक्षा पुं० [देश॰] एक प्रकार का मोटा या निकृष्ट धान । मुस्तार । खुदरंग । खुदसर ! खुदसिताई-प्रात्मप्रशस्ति । खुड़दिया - संज्ञा पुं० [हिं० खुदरा] सर्राफ 1 टके कौड़ी बेचनेवाला। खुदका-संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'कुतका'। | ..., १० ऐ दलाल ऐ खुडदिया हूँडो वाल बजाज!-बांकी० सुदकाश्त-संज्ञा स्त्री॰ [फा० खुद+काश्त] वह जमीन जिसे उनका | ०, भा०२०० ६३ । मालिक स्वयं जोते बोए, पर वह सीर न हो। 'खुड़ला-संज्ञा पुं॰ [देश॰] मुगियों का दरवा । चिडियाखाना खुदकुशी-संशा खी० [फा० खुदकुशी अपने हायों अपने को मार . (लश०)। डालना । अात्महत्या। उ०-प्राज खुदकुशी करने पर भामोदा खुड़ग्रा-संज्ञा पुं०[देश] दर्पा या जाड़े मादि से बचने के लिये है प्राकाश !-ठडा०, पृ०६३।। . विशेष प्रकार से सिर पर डाला हुआ कंबल या और कोई खुदगरज-वि० [फा० खुद+गरज] [संज्ञा खुदगरजी अपना कपड़ा घोघी 1 मतलब साधनेवाला । स्वार्थी। | कि०प्र०—देना ।-मारना । लगाना । खुदगरजो--संथा श्री [फा० खुद+गरजी ] स्वार्थपरता । खुड्डी, खुड्ढी-संवा स्त्री० [हिं० गड्ढा ] १. पाखाने में पैर रखने खुददार-वि० [फा० खुद+दार (प्रत्य०) १. स्वाभिमानी। के पायदान । २. पायखाना फिरने का गड्ढा ३.छैटी आत्माभिमानी। २. प्रात्मनिग्रही (को०)। . या कटी हुई घास या दूब । उ०-जिसके नीचे की खुड्डी खूदना-क्रि० अ० [हिं० खोदना खोदा जाना । | घास में बैठकर एक दिन दो पाने की विलायती मलाई को खुदपरस्त--वि० [फा० खुद+परस्त] १. अहंकारी । वमंडी। २. । बर्फ खाई थी।-इत्यलम्, पृ० १७१।। मतलबी। स्वार्थी । वतका-संवा पुं० [हिं०] दे० 'कुतका'। खुदपसद-वि० [फा० खुद+पसंद] अपनी बात या पसंद पर उटने । खुतबा-संशा पुं० [अ० खुतवह] १. तारीफ। प्रशंसा । २. सामयिक वाला । अपनी रुचि को तीह देनेवाला । हठी। खदराय । .. राजा की प्रशंसा जो हेतु से सर्वसाधारण को सुनाई जाय . 30-मैं तो ख दपसंद नहीं हूँ भाई जान ।-संर०, पृ० १२॥ कि सब लोग उसकी सत्ता को मान लें। खुदपसदो-को फा० खुदपसंदी] १. आत्मानुराग । ३०-मगर मुहा०-किसी के नाम का खुतबा पढ़ा जाना=सर्वसाधारण को ममन की तबीयत मखदपसदी बहुत है।-संर०, पृ०१२। सूचना देने के लिये किसी के सिंहासनासीन होने की घोषणा २. हठ । जिद । ३. घमंड । गर्व । गरूर । होना ( मुसल)। खुदमुखतार-वि० [फा० खुद + मुख्तार जिसपर किसी का दवाव ३. व्याख्यान । भापण (को०) । ४. किसी किताब की भूमिका (को०)। न हो । अनि रद्ध । स्वतंत्र । स्वच्छंद । । खुस्थ-संचा पुं० [हिं० खूटा या सं०कु ( पृथिवी)+ उस्वित= खुदमुखतारो--संघा बी [फा० खुद+ मुख्तारी] स्वतंत्रता। कूस्थित ] पेड़ की जड़ के ऊपर का भाग जो पेड़ काट लेने निरंकुशता । स्वच्छंदता। | पर रह जाता है। खुदरग-व० [फा० बद+रंग] अपने स्वाभाविक रंगवाला । जिस खुत्थी--संवा शौ० [हिं०] सं० 'रुयी। रंग पर दूसरे रप की भाभा न हो। उ०-नीचे खुदरंग हो सुधील-संघाखो [हि० खटी] १. अरहर, ज्वार इत्यादि के गई धोती का फेटा घुटने तक फसा हुमा-भस्मावत, । पेड़ो का वह भाग जो 5सल काट लेने पर पृथ्वी पर गहा पृ०५६. | रह जाता है। खथी। खटी। २. थाती । धरोहर । अमा- खुदरा-सा पुं० [सं० क्षुद्र ] थोक का उलटा। छोटी और साधारण .. नत। ३.वह पतली लंबी ली जिसमें रुपया भरकर कमर वस्तु । फुटकर चीज। | में बांधते हैं। वसनी। हिमयानी। ४.धन । दौलत । संपत्तिा यो०-खदराफरोश - छोटी छोटी वस्तुएं बेचनेवाला 1 फवकर ३०-द्रौपदी की देह में खूबी ही कहा दुःशासव खरोई. विसानों बचि बसन नछुटयो है।-केशव ( सन्द०)। मुहा०-दरा कराना:नोट या रुपया मादि भनाना। । -मन्य. [फा० खुद ] स्वयं । माप। खुदराई-संवा स्त्री० फा० रा.द+राई ] स्वेच्छाचार ।-(२०) । . . घिसानों व