पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/९३

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खुदराय खुमी खुदराय-वि० [फा० सुद+राय ] स्वेच्छाचारी।--(क्व०)। खुनक-वि० [फा० खुनक ] शीतल । ठंडा [को०] . ... ! खुदरू---वि० [फा० खुद+रू] स्वयं उगा हुा । बिना जोता, दोया खुनको- संझा स्त्री॰ [फा० खुनकी ] सरदी । ठंढक । या रोपा हुमा । उ०-फिर बिना बोया जोता (खुदरू) चावल खुनखुना-संक्षा पुं० [अनु॰] लड़कों का एक खिलौना जो झुनझुन प्रादुन हया 1--भा० इ० रू०, पृ० ४६ । या खुनखुन शब्द करता है। घुनघुन । झुनझुना। उ०यह खुदरो खुदरो-वि० [फा० खुद+1] दे० 'खुदरू'। 'उमर ऐसी ही है जिसमें सिवाय खुनखना, लट्ट, गुड़ियों के खुदवाई-संशा स्त्री० [हिं० खुदवाना] १. खुदवाने का भाव । २. और कुछ नहीं सुहाता । -श्यामा०, पृ०५६ । । .. खुदवाने की क्रिया । ३. खुदवाने की मजदूरी। खुनस-संज्ञा स्त्री० [सं० खिन्नमनस ] [वि० खुनसी] क्रोध । गुम्सा । खुदवाना-क्रि० स० [हिं० खोदना) 'खोदना' का प्रेरणार्थक रूप .रिस । उ०—(क) खेनत व नस कबहु नहिं देखी।--तुलसी खोदने का काम करना । (शब्द०) । (ख) इश्क • मुश्क खाँसी ख नस, खैर ख न मद खुदसर-वि० [फा० दसर] १. उजडु । अक्खड़ । २. बागी। पान । चतुर छिपावत है सही, प्राप परत हैं जान ।-कोई ३. हुक्म न माननेवाला। . कवि (शब्द०)। . .. .. . खुदसरी- संज्ञा स्त्री॰ [फा० खुदसरी] १. उच्छ खलता । उद्दढता। खुनसना, खुनसानाल-क्रि० प्र० [सं० खिन्नमनस् ] क्रोध ० हुक्मउदूली । ३. बगावत (कोना करना । गुस्सा होना । उ०---दुख सुख की बात' सबै जाने खुदा--संघा पुं० [फा० सुदा ] स्वयंभू । ईश्वर । उ०-परे किताब श्री रघुवीर । ख.नसाने नहि रह सके वोले कपि सब धीर ।- कुरान को खोज ले । अलख लल्लाए खुब खद। भाई ।- हनुमान (शब्द०)। . . . तुरसी० श, पृ० १६ । खुनसी-वि० [हिं० खुनसाना ] गुम्सा करनेवाला । क्रोधी। यौ० --जुदा न वास्ता (वास्ता) = ईश्वर ऐसा न करे । ईश्वर खुनियाँ-वि० [फा० खनी+हा (प्रत्य॰)] जहाँ ख न होता हो। न करे ऐसा हो। छदा हाफिज = ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे। ख नी । उ०-बहुत खनियाँ जगह थी। इसी लिये साथ में यह पद विदा लेते देते समय कहा जाता है। सिपाही लोग थे।-मैला०, पृ० ३४८ । । मुहा०-- खुदा खुदा करके बहुत कठिनता से । बड़ी मुशकिल से । खुनील-वि० [फा० ख नी उनी । उपद्रवी । उ०-चाच घोड़ खुदा की मार = ईश्वरीय प्रकोप-(शाप )। खुदा झूठ न चंचल घट भीतर 'मन गयंद बड़ ख नो ।-मीखा श०, बुलाए % मेरी बात · अतिशयोगित न हो। वात यथार्थ से परे प्र०२६॥ . खुफिया-वि [अ० खुफीयह ] गुप्त । पोशीदा । छिपा हुपा। खुदाई --संशा छौ० [फा० खुदाई ] १. ईश्वरता। २. सृष्टि । . यो०-खुफियाखाना- वह स्थान जहाँ कुटनिया स्त्रियों को खुदाईर--- संज्ञा स्त्री० [हिं० खोदना] १. खोदने का भाव । २. खोदने बहकाकर व्यभिचार कराने के लिये ले जाती हैं। ___का काम । ३. खोदने की मजदूरी। .. खुफिया पुलीस-संघा बी० [फा० ख फियह+० पुलीस] गुप्त पुलीस । खुदावंद-संज्ञा पुं० [फा० ख दाबंद] १. ईश्वर । मालिक । अन्नदाता भेदिया। जासुस । ३. हजूर । साहेब । जनाव। श्रीमान्-(संमानसूचक) खुबना-क्रि० प्र० [हिं० वभना ] ६० 'खुममा' । उ०-मगर साड़ी खुदाव-संज्ञा पुं० [हिं० खुदवाना] खुदाई का काम। लेना जरूरी था। वह उसकी आंखों में खूब गई थी ।- खुदी-संक्षा पुं० [फा० ख दी] १. ग्रहं भाव अिहंकार । पापा । उ०- संन्यासी, पृ० १३१। .. .... - जहाँ से जो खुद को जुदा देखते हैं । खदी को मिटाकर खुदा 3 . खुब्बाजी-संवा ली [अ० खुबदाजी ] चंगेल नामक पौधे का फल देखते हैं :-हिम त०, पृ० ४८ । २. अभिमान । धमंड : शेखी। . जो दवा के काम में आता है। वि० दे० 'चंगेल'। खुदक-संघा पुं० [सं० क्षुद्रक ] बौद्ध पिटकों में से सुत्त पिटक का एक ' खुभना-क्रि० अ० [अनु०] चुमना । घुसना । चॅसना । उ०-साल.ते निकाय । खुद्दक निकाय।। - है नटसाल सी, क्यो ? निसति नाहिं । मनमय नेजा नोकर खुद दी-संवा स्त्री॰ [सं० क्षुब ] १. चावल, दाल, आदि के बहुत छोटे सी, खुमी रु.भी-जिय माहि। -विहारी र०, दो०.६। छोटे टुकड़े । १. कध के रस की तलछट। खुभराना +-क्रि० स० [सं० क्षुब्ध ] उपद्रव के लिये घूमना ।। खुधा-संसा पी० [सं० क्षुधा] २० 'क्षुधा' 130-घर घर से चुटकी उमढ़ना । इतराज फिरना । उ०-ऐया गयाँ बया ले लुगया । मांग लीज। खधा फो चार बार दी।-पलट, पृ०५४।। . लयां पैयाँ चलो, बारौ ना अययों कह जाट ब भराचे हौ। खुधाल-वि० [सं० क्षुधालु ] भूखा । क्षुधाग्रस्त । बुभुक्षित । 10- .:: सूदन (शब्द०)। . खभिया-संचाबी [हिं० ख भना] ३० खुभी' । . बयाल सियाल उनाल बयाकुल वारि वपाल घाल सयू - खंभी'-संधा बी०० खाना ] लौंग के प्राकार का, कान में राम धर्म0, पृ० ३०४ ।. पहनने का एक माभूषण जिसे लौंग भी कहते हैं । उ०- सुध्याल-संभा सी० [सं० क्षुधा [ दे० 'क्षुधा' । उ०--निस वासुरि . सालति है नटसाल सी क्यों हूँ निकसति ना हे । मनमथ नेजा नार्ग महीं नहि. लगै सौतल घाम । वृध्या तृपा साग नहीं नोक सो, ख भी खमी जिय माहि। -बिहारी २०, दो०६। . पटि पटि मातम राम-दादु०, १०.६२०1. बुभी-संकाको [हिं० खुमी ] दे० 'चमी' । ..........