पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/९५

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खुरुका ११७१. खुरसाणः खरका--संशा श्री॰ [ देश० ] एक प्रकार की घास जो अफीम के पौधे खुरदनी--वि० [फा० खुदनी ] खाने योग्य । खाने की वस्तु उ.--. ___ को हानि पहुँचाती है। ..वे मिहर गुमराह गाफिल, गोश्त खुरदनी ।-दादू०, पृ०२५३ । खुरखुद-संवा पुं० [सं० खुर+हि ख्दना] दुष्टता । बदमाशी। खुरदरा-वि० [हिं०] दे० 'खुरखुरा'। .. पाजोगन । उ०-फास्त रहे खुरखुद बड़ा संतान है।-लटू०, खुरदाया--संज्ञा पुं० [हिं० खुर+दाना] कटी हुई फसल फो. अन्न पृ० १००। के दाने अलग करने के लिये, बैलों से कुचलवाना । खुरखुर-संशा श्री० [अन वह शब्द जो गले में कफ आदि रहने खुरदादी--संचा पुं० [फा० खुर+दाद] भालू का जलाव ।- के कारण सांस लेते समय होता है। घरघर शब्दा . (कलंदरों की 'भा पा)। खुरखुरा-वि० [हिं० अनु० खरोचना ] जो चिकना न हो । जिसको खुरपका-संधा पुं० [हिं० खर+पकना ] पशुओं का एक रोग। छूने से हाथ में करण या रवे गड़े । जिसको सतह बराबर न विशेष -इसमें उनके मुह और खुरों में दाने निकल पाते हैं. और हो असमतल । नाहमवार । खुरदरा। - मुह से बहुत लार बहती है, सारा पदन गरम हो.आता है, खुरखुराना-क्रि० अ० [हिं० खुरखुर से अनु०] १. खुरंखुर शब्द . बहुन गरम साँस चलती है और पशु लंगड़ा पार चलने लगता . करना ! २. गले में कफ के कारण घरघराहट होना । है । यह रोग संसर्ग से वहुत जल्दी फैलता है। . . . खुरखुराना--क्रि० अ० [हिं० खुरखुरा] खुरखुरा मालूम होना। खुरपा-संग्रा पुं० [सं०क्षुरप्र] खी० अल्पा० खुरपी] १. लोहे का बना कण या रवे आदि गड़ना । हुमा एक छोटा सा औजार जिसके एक सिरे पर पकड़ने के .. खुरखुराहट --संज्ञा स्त्री० [हिं० खुरखुरा +हद (प्रत्य॰)] साँस लेते लिये लकड़ी की मुठिया लगी रहती है। इससे धास छीली समय गले के शब्द में वह विकार, जो कफ यादि के कारण और भूमि गोड़ी जाती है । २. चमारों का एक औजार होता है। जिससे वे चमड़े की सतह छीलकर साफ करते हैं। खरखराहटर-संज्ञा स्त्री० [हिं० खुरखुरा खुरदरापन । " खुरपात@-संक्षा पुं० [हिं०] दे० 'खुराफात' । उ०--मेरे ही किसी खुरचन-संज्ञा पी० [हिं० खुरचना] १. जो वस्तु खुरचकर निकाला- पाप से यह सब खुरपात उठ खड़ा हुमा ।-नई०, ०८३। जाय । २. दूध पकाने के बरतन में से खुरचकर निकाली खुरपी-संञ्चा खौ० [हि० खुरपा] खुरपा का छोटा रूप। छोट, हुमा दूध का अंश जो जमा हुअा होता है । ३. कड़ाह से आकार का खुरपा । उ०--खुरपी लेकर प्राप निराती जब वे खुरचकर निकाला हुमा गुड़। ..... अपनी खेती है।-पंचवटी, पृ०१०। . . खुरचना-क्रि० अ० [सं० क्षरण या ध्वन्यात्मक अनुप किसी जमी खरफ-संशा पुं० [फा० खुरपह, J लोनिया की तरह का एक साग हुई वस्तु को उसके अाधार पर से कुरेदकर अलग कर लेना। जिस कुलफा मा कहत है। करोचना । करोना । " खुरफा-संवा पुं० [फा० खुरफह 1 कुलफे का साग। खुरचनी-संज्ञा स्त्री० [हिं० खुरचना] १. छेनी की तरह का एक खुरमा--बापुं० [अ० खुरमा 1 १. छोहारा । उ०--मेरे घर क औजार जिससे कसेरे बरतन छीलकर साफ करते हैं । २. - मेहमान जो पायगा । के यो शीर खुरमा विने खायगा।- चमारों का एक प्रौजार । ३. खुरचने का कोई औजार। "दक्खिनी०, पृ० ३३१। २. एक प्रकार का पकवान । खरचाल-संचा बी० [हिं० खोटी+चाल] दुष्टता । पाजीपन । वद-:. विशेष -यह माठा और नमकीन दोनों प्रकार का होता है । ___ माशी। शरारत। इसमें पहले माटे यांटे की मोयन देकर दूध में सान लेते हैं क्रि०प्र०-कारना ।निकालना । . और सानत समय यथारुचि मीठा या नमक मिला लेते है। ... खुरचालो-वि० [हिं० खुरचाल] खुरचाल करनेवाला । पाजी । दुष्ट । फिर माटी राटी सा बलकर उसक' छोटे, कड़े, लवे, तिकोने खुरजी-संघाखौ [फा०] वह झोला, जिसमें जरूरी सामान रखकर या चौकोर खड बनाकर घी में छान लेते है। कोई कोई इसे घोड़ासवार अपने घोड़े पर रखता है । बड़ा थैला ।।. सादे हो बनाकर चीनी में पाग लेते हैं । खुरट-संश पुं० [हिं० खुर+ट (विकारार्थक प्रत्य० ) चौपायों के खुरला-सभा का र खुरली-संमा बी 1 स. सैनिक व्यायाम । सैनिक अभ्यास । ___खुर की एक बीमारी खुरहा । खुरा । खुरपका।। - शस्त्राभ्यास को । विशेष-दे० 'खुरपका'। . .. खुरशाल-संज्ञा पुं० [सं० थालिहोन (परिशिष्ट) में कथित खुरपाल पुस्ताप-संक्षा र हि० खुर+ताड़न या ताल] टाप याखर की देश का घोडा (को०।' चाटासुम का प्राधाता। उ०-(क) घरवा धरि स ख रशाद-सता पुं० [फा० खुरशीद सूर्य । दिनकर । रवि । उ०- पायक धोरम की खुरतार । सूर (शब्द ला : तुज हुस्न क खुरशाद का विरलोक में ताविश पडे।- मवत खुरवारनि पहार हय धुरी सो भयो भान ना दक्खिनी०, पृ. ३२१ । 'नखत सों।-गुमान ( शब्द०। "खुरशेद-संच पुं० [फा०] दे० 'खुरशीद'। . खुरथर--संचा पुं० [हिं०] दे० 'जुरहर। उ-कई महिष लोटहिं खुरसारण-संथा पुं॰ [फा० खुरासान खुरसाणी) खुरासान के घोड़े। विष भरा । कह रोझ डारहि खुरथरा।-चित्रा०, पृ०२४। . उ०-गया गलंती राति, परजलती पाया नहीं।. से सज्जण - सूरथी-संभ बी० [हिं०] ३० 'कुली'। परमाति, बड़हड़िया खुरसाँग ज्यू-बोजा, दू०८५.