पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३०७

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१८५३ रिस्ट्रिन्यूटर हहकना। 30-दुरजोधन अभिमानहि गयऊ । पंढव कर मो हैं। वैसे,-सखि वात रो। शिव भात परो। पमरा मरम नहिं भयऊ । माया के डिभगे सय राजा। उत्तम मध्यम हरपे । तिलका निरखे। बाजन पाजा।-कवीर (शब्द०)। डिल्ला--ससा पुं० [हिठीला 1 वैलों के कंधों पर उठा हमा डिम-सा पुं० [सं०] नाटक या दृश्य काव्य का एक भेद । कूबड़ । कुन्बा किकुत्य । विशेष—इसमें माया, इंद्रजाल, लड़ाई और कोष मादि का समा- रिविजनल-वि० [मं०] डिवीजन का। उस भूभाग, कमिश्नरी वेश विशेष रूप से होता है। यह रौद्र रस प्रधान होता हैं या किस्मत का जिसके मतगत कई जिले हो । जैसे, डिवीजनस और इसमें चार प्रक होते हैं। इसके नायक देवता, गंधर्व, कमिश्नर यक्ष मादि होते हैं। भूतों पर पिशाचों की लीला इसमें डिविडेड-सक्ष. [.] वह लाभ या सुनाफा जो पायंठ स्टाक दिखाई जाती है। इसमें शात, शृगार प्रौर हास्य ये तीनों कंपनी या समिलित पंजी से चलनेवाली चपनी को होता है, रस न माने चाहिए। पौर जो हिस्सेदारो में, उनके हिस्से के मुताविक बॅट जाता डिमडिम-सका स्त्री० [अनु० ] उमह से निकलनेवाली पावाज । है। जैसे,-कृष्ण काटन मिल ने इस बार अपने हिस्सेदारों च.-डिम डिम इमरु बजा निज कर में नापो नयन तृतीय को पर सैकडे डिविडेंड वाटा। तरेरे !-रेणुका, पृ०३। डिवीजन-सा पुं० [म.]१ वह मूभाग जिसके प्रतर्गत कई डिमडिमी-सचा स्त्री० [सं० डिण्डिम ] पमड़ा मढ़ा हुमा एक बाजा - जिले हों। कमिश्नरी। वैसे, बनारस डिविजन। २. विभाग । श्रेणी। जैसे,—वह मैट्रिक्युलेशन परीक्षा में फस्ट जो लकड़ी से बजाया जाता है। हुगड़गिया। डुग्गी । उ०-- डिमद्धिमी पटह होल डफ भोणा मृदग उमग चंगतार ।- डिवीषन पास हुपा। सूर (शब्द.)। डिसकात ट-सबा पुं० [म.] वह कमी जो व्यवहार या लेनदेन मे किसी वस्तु के मूल्य में की जाती है। बट्टा। दस्तूरी। डिमरज-सज्ञा पुं० [म.] १ बंदरगाह में जहाज के ज्यादा कमीशन। ठहरने का हर्जाना। २ स्टेशन पर माए Bए माल के अधिक डिसमिस-वि० [१०] १. बरखास्त । २. खारिज दिन परे रहने का हर्जा, जो पानेवाले को देना पड़ता है। से, भपील डिसमिस करना। क्रि०प्र०-लगना। डिसलायल-वि० [भ] प्रराषमत। राजद्रोही। उ.-डिस- डिमाई-सरा स्त्री० [ 0] कागज या छापने के फल को एक नाप लायल हिंदुन कहत कहाँ मुढ़ ते लोग।-भारतेंदु , जो १८"४२२५ इच होती है। भा०२, पृ० ७६५। डिमाक-सा पुं० [प्र. दिमाग ] मस्तिष्क । दिमाग । सिर। डिसीप्तिन--सशपुं० [मं०] १.नियम य कायदे के अनुसार बलने उ०-डिमाफ नाक चुन के कि नाक नाफ सौं हर।-पभाकर फी शिक्षा या भाव। अनुशासन । २. माज्ञानुवतित्व । पं.पू. २८४ नियमानुवतित्व । फरमाबरदारी। ३. व्यवस्था । पदति। ४. डिमोक्रसी-संदा सौ.[म.] जनतात्रिक शासन । शिक्षा। तालीम । ५ २४ । सजा। डिनासा [देश०] एक प्रकार की घास को गीली भूमि में डिस्ट्रायरसचा . [म.] नाशक जहाषावि० दे० 'टारपीडो बोट'। उत्पन्न होती है । मोया। डिस्ट्रिक-सपा पुं० [मं० डिस्ट्रिक्ट] ३० डिस्ट्रिक्ट' । डिला-सपा पुं० [सं० दल ] कन का लच्छा। डिस्ट्रिक्ट-सपा पुं० [अ०] किसी प्रदेश या सूबे का वह भाग जो डिलारी-वि० [फा०दिलावर या दिलेर जवामद । शूर । वीर। एक कलेक्टर या डिप्टी कमिश्नर के प्रवधाधीन हो। चिला। डिलारा- विहिडोल] वढे कद का । डोलटोल वाला। उ.- यो०---डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट । डिस्ट्रिक्ट बो। बलाके झलनकै ललक्कै उमडै। बुखार के हैं डिलारे घुम.। डिस्ट्रिक्ट षोडे-सा पुं० [अ०० जिलाबो -पद्माकर म.पृ० २८०।। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट-सशपुं० [१०] दे० 'जिला मजिस्ट्रेट। डिलिवरी, डिलेवरी-सस बीम डाक्खानों में पाई हिस्सरी- वरी० [अ०] दवाखाना । मौषधालय । उ०-पोस्ट हुई चिट्टियों, पारसली, मनीपारी की बंटाई जो नियत समय माफिस से पहले यहाँ एक हिस्सरी खुलवाना जरूरी था। पर होती है। २. किसी चीज का वोटा या दिया जाना। -मैला०, पृ०७॥ ३ प्रसव होना। डिस्पेप्सिया--सा पु० [म.] मंदाग्नि । मग्निमाद्य । पापन शक्ति डिल्ला-सा पुं० [सं०] १ एक छंद जिसके प्रत्येक चरण में १६ की कमी। डिस्ट्रिब्यूट (करना)--क्रि० स० [अ०] छापेखाने में कपोज किए मात्राएं भौर प्रत में भगण होता है। जैसे,-राम नाम निशि वासर गावह। जन्म लेन कर फल जग पावह। सोख हमारी हुए टासों (मक्षरों ) को केसों (सानों) में अपने स्थान जो हिय लावह। जन्म मरण के फव नसावहु । २ एक पर रखना। वर्णवृत्त का नाम जिसके प्रत्येक चरण में दो सगण (us) डिस्ट्रिब्यूटर-सी पुं० [अ०] १ कंपोज टाइपों को अपने स्थान पर होते है। इसके अन्य नाम तिलका, तिल्ला और तिल्लाना रखनेवाला । २. वितरक । वितरण करनेवाला।