पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/१०३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बफिस्तान २३९६ बलंबी जमने पर इसका रंग बिलकुल साकेद हो जाता है। ऊँचे : यौनकरनसाही बर्फी--एक मिठाई जो बेसन की तली हुई पहाड़ों आदि पर प्रायः सरदी के दिनों में यह अधिकता मे बुदिया शारे में डालकर जमा देने से बनती है। गिरती है और जमीन पर इसकी छोटी मोटी तहें जम बर्बर-वि० [सं०] (1) भ्रष्ट उच्चारण किया हुआ हक- जाती हैं जिन्हें पीछे से फावड़े आदि से खोदकर हटाना । लाता हुआ। (२) घू घरदार । बल खाया हुआ (बाल)। पड़ता है। पाला। हिम । तुपार । संज्ञा पुं० (1) धुंघराले बाल । (२) अनार्य वर्णाश्रम क्रि० प्र०--गलना ।-गिरना । ---पड़ना। विहीन असभ्य मनुष्य । जंगली आदमी। (३) एक (२) बहुत अधिक ठंढक के कारण जमा हुआ पानी जो पौधा । (४) एक कीड़ा । (५) एक प्रकार की मछली। ठोस और पारदर्शी होता है और जो आघात पहुँचने पर । (६) एक प्रकार का नृत्य । (७) अस्त्रों की झनकार । टुकड़े टुकड़े हो जाता है। हथियारों की आवाज़। विशेष-जिस समय जल में तापमान की ३२ अंश की गर्मी वि० (१) जंगली। असभ्य । (२) अशिष्ट । उइंड । रह जाती है तब वह जमने लगता है और ज्यों ज्यों जमता उ.--परम वीर खर्च गर्व पर्वत चदो अज्ञ सर्वज्ञ जनमनि जाता है त्यों स्यों फैलकर कुछ अधिक स्थान घेरने लगता जनावै ।-तुलसी। है, यहाँ तक कि जब वह बिलकुल जम जाता है और बर्बरा-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) बर्बरी । वनतुलसी । (२) उसमें तापमान कुछ भी नहीं रह जाता तब उसके | एक प्रकार की मक्खी । (३) एक नदी का नाम । आकार में प्रायः १/११ वें अंश की वृद्धि हो जाती है । | बगे-संशा स्त्री० [सं०] (१) बनतुलसी । (२) ईंगुर । जब तक उसका तापमान घटकर ४° तक नहीं पहुँच जाता (३) पीतचंदन । तब तक तो वह सिमटता और नीचे बैठता है पर जव बर्रा-संज्ञा पुं० [हिं बरना ] रस्से की खिंचाई जो कुआर सुदी उयका तापमान ४० मे भी कम होने लगता है तब वह चौदस (बाँटा चौदस) को गाँवों में होती है। जो लोग फैलकर हलका होने लगता है और अंत में आस पास के रस्सा खींच ले जाते है यह समझा जाता है कि वे साल पानी पर तैरने लगता है। साधारणत: जल में तैरती हुई : भर कृतकार्य होंगे। धर्फ का ९/१० वा भाग पानी की सतह के नीचे और बरक-वि० [अ० ] (१) चमकीला । जगमगाता हुआ। (२) वाँ भाग पानी के ऊपर होता है। प्रायः जाड़े के दिनों में तेज । वेगवान् । (३) तीन । (४) चतुर । चालाक । अथवा और किसी प्रकार सरदी बढ़ने के कारण समुद्र होशियार । (५) बहुत उजला। धवला । सफ़ेद । (६) आदि का बहुत सा जल प्राकृतिक रूप से जमकर बर्फ बन खुब मशत किया हुआ। पूर्ण रूप से अभ्यस्त । जैसे, जाता है। सबल बरीक कर डालना। क्रि० प्र०-गलना ।-जमना। बर्राना-क्रि. अ. [ अनु० बर बर ] (1) व्यर्थ बोलना । मुहा०-यर्फ होना=बहुत ठंढा होना । जैसे,-मरने से एक घंटे ! फ़िज़ल बकना । प्रलाप करना। (२) नींद या बेहोशी में पहले उनका सारा शरीर बर्फ हो गया । __बकना । स्वप्न की अवस्था में बोलना । (३) मशीनों आदि की सहायता अथवा और कृत्रिम उपायों -संज्ञा पुं० [सं० बरट ] भिद नाम का कीदा। तितैया । से तक पहुँचा कर जमाया हुआ पानी जो साधारणत: उ.-बरें बालक एक सुभाऊ -तुलसी। बाजारों में बिकता है और जिससे गर्मी के दिनों में पीने बरौ-संशा पुं० [देश॰] एक चिड़िया का नाम । के लिये जल आदि टंदा करते हैं। बर्सात-संज्ञा स्त्री० दे० "बरसात"। क्रि० प्र०-गलना । —ालाना ।-जमना ।-जमाना। बलंद-वि० [फा०] [ संशा बलंदी ] ऊँचा । उ०-क्रम क्रम जाति (४) कृत्रिम उपायों से जमाया हुआ दूध या फलों आदि कहूँ पुनि गंगा । करति अपार करारन भगा। मंद मंद कई का रस जो प्रायः गरमी के दिनों में खाने के काम में आता | चलति स्वछंदा । नीच होति कहूँ होति बलंदा।-रघुराज। है । जैसे, मलाई की बर्फ, नारंगी की बर्फ । बलंधरा-संक्षा स्त्री० [सं०] महाभारत के अनुसार भीमसेन की क्रि०प्र०—ालना ।—ालाना ।-जमना ।-जमाना। सी का नाम । (५) दे. "आला"। बलंबी-संज्ञा पुं० [ देश ] एक पेड़ जो भारत के अनेक भागों में बर्फिस्तान-संज्ञा पुं० [फा०] वह स्थान जहाँ बर्फ ही बर्फ हो। पाया जाता है। इसके फल खट्टे होते हैं और अचार के बर्फ का मैदान या पहाड़। काम में आते हैं। फलों के रस से लोहे पर के दाग़ भी बर्फी-संशा स्त्री० [फा० बर्फ ] एक मिठाई जो चाशनी के साथ साफ़ किए जाते हैं। इसकी लकड़ी से खेती के भौज़ार भी जमे हुए खोए आदि के कतरे काट काटकर बनाई जाती है। बनाए जाते हैं।