पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/१३३

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बाणविधा २४२६ बात इसकी मृत्यु हो गई थी। हर्षचरित में इसने हर्षवर्धन का चरित्र लिखा है। बाणविद्या-संज्ञा स्त्री० [सं०] वह विद्या जिससे बाण चलाना आवे । बाण चलाने की विद्या । तीरंदाजी । बाणावती-संशा स्त्री० [सं०] बाणासुर की पत्नी का नाम । बाणासुर-संज्ञा पुं० [सं०] राजा बलि के सौ पुत्रों में से सब से बदे पुत्र का नाम जो बहुत ही वीर, गुणी और सहस्रबाहु था । पाताल की शोणितपुरी इसकी राजधानी थी। इसने हज़ारों वर्ष तक तपस्या करके शिव से वर प्राप्त किया था। युद्ध में स्वयं शिव आकर इसकी सहायता किया करते थे। श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध की पत्नी उषा इसी बाण की कन्या थी। उषा के कहने से जब उसकी सखी चित्रलेखा आकाशमार्ग से अनिरुद्ध को ले आई थी, तब समाचार पाकर बाण ने अनिरुद्ध को फ़ैद कर लिया था। यह सुनते ही श्रीकृष्ण ने बाण पर आक्रमण किया और युन्न क्षेत्र में उसके सब हाथ काट डाले । शिव जी के कहने से केवल चार हाथ छोड़ दिए गए थे। इसके उपरांत बाण ने अपनी कन्या उषा का विवाह अनिरुद्ध के साथ कर दिया। बाणिज्य-संशा पुं० [सं०] व्यापार । रोज़गार । सौदागरी। यात-संज्ञा स्त्री० [सं० वार्ता] (1) सार्थक शब्द या वाक्य । किसी वृत्त या विषय को सूचित करनेवाला शब्द या वाक्य। कथन । वचन । बाणी। बोल । जैसे,—(क) उसके मुंह से एक बात न निकली । (ख) तुम्हारी बातें में क्यों बात का न माना जाना। बात गढ़ना झूठ बात कहना । मिथ्या प्रसंग की उद्भावना करना । बात बनाना । उ०—झूठ कहत स्याम अंग सुन्दर बातें गढ़त बनाया-सूर । बात गाँठ या आँचल में बांधना=बात को न भूलना । कहा हुआ बराबर याद रखना । यात चूट जाना-दे० "बात पी जाना"। बात चषा जाना-कुछ कहते कहते रुक जाना; अथवा एक बार कही हुई बात को ढंग से दूसरे रूप में ला देना। (मन में ) यात जमाना या बैठाना दृढ़ निश्चय कराना कि जो कहा गया वह ठीक है । बात टलना-कथन का अन्यथा होना । जैसा कहा गया हो वैसा न हो। बात टालना= (१) पूछी हुई बात का ठीक जवाब न देकर इधर उधर का और बात कहना । सुना अनसुनी करना । (२) आदेश, प्रार्थना या शिक्षा के अनुकूल कार्य न करना । कही हुई बात पर न चलना । जसे, वे हमारी बात कभी टाल नहीं सकते । बात टालना- कहना न मानना । कथन का पालन न करना । वात दुहराना (१) पूछी हुई बात फिर कहना । (२) किसी की कही हुई बात का उलट कर जवाब देना। जैसे,-पड़ों की बात दुहराते हो? मुँह से बात न आना-मुंह से शब्द न निकलना । यात न पूछना-अवशा से ध्यान न देना । तुच्छ सगझ कर बात तक न करना । कुछ भी कदर न करना । जैसे,—तुम्हारी यही चाल रही तो मारे मारे फिरोगे, कोई बात न पूछेगा। उ.-सिर हेठ, ऊपर चान संकट, बात नहि पूछ कोऊ । -तुलसी । बात न करना घमंड के मारे न बोलना । बात नीचे डालना. अपनी बात का खंडन होने देना । अपनी बात के ऊपर किसी और की बात होने देना । जैसे,—वह ऐसी मुँहज़ोर है कि एक बात नहीं नीचे डालती। बात पकड़ना=(१) कथन में परस्पर विरोध या दोष दिखाना । किसी के कथन को उसी के कथन द्वारा अयुक्त सिद्ध करना। बातों से कायल करना । (२) तर्क करना । हुज्जत करना । (किसी की) बात पर जाना-(१) बात का ख्याल करना। बात पर ध्यान देना । बात का भला बुरा मानना । जैसे,—तुम भी लड़कों की बात पर जाते हो। (२) कहने पर भरोसा करना । कथन के अनुसार चलना । जैसे,—उसकी बात पर जाभोगे तो धोखा खाओगे। बात पलटना-दे. “बात बदलना" । यात पी जाना = (१) बात सुन कर भी उस पर ध्यान न देना । सुनी अनसुनी करना । (२) अनुचित या कठोर वचन सुनकर भी चुप हो रहना । दर गुजर करना । जाने देना । बात पूछना=(१) खोज रखना । खबर लेना । सुख या दुःख है, इसका ध्यान रखना । (२) कदर करना । पात फूटना-शब्द मुँह से निकलना । बात फेंकना-व्यंग्य छोड़ना। ताने मारना । बोली ठोली मारना। बात फेरना=(१) चलते हुए प्रसंग को बीच से उड़ाकर क्रि०प्र०--कहना!--निकलना ।-निकालना। यौ०-बातचीत । मुहा०---बात उठाना=(१) कड़वी बातें सहना । कठोर वचन सहना । सस्त सुस्त बरदाश्त करना । (२) कथन का पालन करना । बात पर चलना । मान रखना । (३) बात न मानना। वचन खाली करना । बात उलटना=(१) कठे हुए वचन के उत्तर में उसके विरुद्ध बात कहना। बात का जवाब देना । जैसे, बड़ों की बात नहीं उलटनी चाहिए । (२) एक बार कुछ कह कर फिर दूसरी बार कुछ और कहना । बात पलटना । बात कहते उतनी देर में जितनी में मुँह से रात निकले। तुरंत । झट । फौरन । पल भर में । बाप्त काटना (१) किसीके बोलते समय बीच में बोल उठना 1 बात में दखल देना । (२) कथन का खंडन करना । जो कहा गया हो उसके विरुद्ध कहना। बात कान पदना-बात का मुना या जाना जाना। जैसे, जहाँ यह बात किसी के कान पड़ी, तुरंत फैल जायगी। बात की बात में दम भर में । झट । फौरन । तुरंत । बात खाली जाना-प्रार्थना या कथन का निष्फल होना।