पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/१३४

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षात २४२७ बात दूसरा विषय छे इना। बात पलटना। (२) बात बड़ी करना । बात ! का समर्थन करके उसका महत्व बढ़ाना । बात बढ़ना-बात का विवाद के रूप में हो जाना । झगड़ा होना। तकरार होना। जैसे,-पहले तो लोग यों ही आपस में कह सुन रहे थे, धीरे धीरे बात ६ गई। बात बढ़ाना विवाद करना । कहा सुनी करना। झगड़ा करना । जैसे,—तुम्हीं चुप रह जाओ, बात बढ़ाने से क्या फायदा!(किसी की)बात बढ़ाना बात का समर्थन करना । बात की पुष्टि करके उसे महत्व देना। बात बदलना-एक बार एक बात कहनी दूसरी बार दूसरी । कह कर पलटना । मुकरना । बात बनानामिया प्रसंग की उद्भावना करना । झूठ बोलना। बहाना करना। व्यर्थ वाग्विस्तार : करना । उ०—तुम जो राजनीति सब जानत बहुत बनावत थात ।-सूर। बात बात में-(१) हर एक बात में। जो कुछ कहता : है, सब में । जैसे,—वह बात बात में झूठ बोलता है । (२) बार बार । हर बार । पुनः पुनः । बात मारना=(१) बात दबाना । धुमा फिरा कर असल बात न कहना । (२) व्यंग्य बोलना। ताना मारना । बात मुंह पर लाना=बात बोलना । वाक्य का उच्चारण करना । बात में बात निकालना बाल की खाल निकालना । किसी के कथन में दोष निकालना । (किसी को) बात रखना-(१) कहना मानना । कथन या आदेश : का पालन करना । (२) मनोरथ पूरा करना । मन रखना। ( अपनी बात रखना=(१) अपने कद्दे अनुसार करना । जैसा कहा था वैसा करना । (२) इठ करना । दुराग्रह करना । जैसे,—तुम अपनी ही बात रखोगे कि दूसरे की भी मानोगे ? बात लगाना=किसी के विरुद्ध इधर उधर । बात कहना । लगाई बझाई करना । कान भरना। निंदा करना। पिशुनता करना । बात है-(१) कथन मात्र है। सत्य नहीं है। ठीक नहीं है। जैसे,—वह निराहार रहते हैं, यह तो बात है । बातें छाँटना- (१) बहुत बाते करना । व्यर्थ । बोलना । (२) बढ़ बढ़ कर बोलना । बातें बधारना-(१) पति बनाना । बहुत बालना । ऐसी बातें करना जिनमें तत्व न ! ह। । (२) बढ़ बढ़ कर बोलना । डीग हाँकना । शेखी मारना । बातें बनाना (१) व्यर्थ बोलना । ऐसी बातें कहना जिनमें : तत्व न हो । झूठमूठ इधर उधर की बातें कहना । (२)! बहाना करना । खुशामद करना। चापलूसी करना । (४) डींग हाँकना । बढ़ बढ़ कर बोलना । बातें मिलाना- हाँ में हाँ मिलना । प्रसन्न करने के लिये सुहाती बातें कहना । बातें सुनना-कठोर बचन सहना । दुर्वचन सहना । कड़वी ; बात बरदाश्त करना। बातें सुनाना-ऊँचा नीचा सुनाना। भला : बुरा कहना । कठोर वचन कहना । बातों आना=दे० "बातों में आना"। बातों की झड़ी बाँधना=बात पर नात कहते जाना। लगातार बोलते जाना। बातों का धनी-सिर्फ जवानी जमा खर्च करनेवाला । बहुत कुछ कहनेवाला पर करनेवाला कुछ नहीं । वाते बनानेवाला। बातों पर जाना=(१) बातों पर ध्यान देना । (२) कहने के अनुसार चलना । बातों में आना- बातों पर विश्वास करके उनके अनुकूल चलना। बातों में उदाना- (१) (किसी विषय को) इसी में टालना । इधर उधर की अनावश्यक बातें कह कर असल बात पर ध्यान न देना । (२) बहाली देना । टालमटूल करना । बातों में धर लेना कही हुई बातों में से किसी अंश को लेकर यह सिद्ध कर देना कि बाते यथार्थ नहीं है। युक्ति से बातों का खंडन कर देना । कायल करना । बातों में फुसलाना या बहलाना केवल बचनों से संतुष्ट या दूसरी ओर प्रवृत्त करना। बातें कहकर संतोष या समाधान करना । बातों में लगाना-बातें कहकर उसमें लीन रखना। वार्तालाप में प्रवृत्त करना । उ०—ातन ही सुत लाय लियो । तय लौ मथि दधि जननि जसोदा माखन करि हरि-हाथ दियो।—सूर । (२) चर्चा । ज़िक्र । प्रसंग। मुहा०-बात आना-दे. "बात उठना ।" बात उठना चर्चा छिन्ना । प्रसंग आना । किसी विषय पर कुछ कहा सुना जाना । बात उठाना-चर्चा चलाना । जिक्र करना । किसी विषय पर कुछ कहना आरंभ करना । उ०-अब समझी मैं बात सबन की झठे ही यह बात उठावति ।-सूर । बात चलना प्रसंग आना । चर्चा छिना । किसी विषय पर कुछ कहा सुना जाना । बात चलाना-चर्चा छेड़ना । शिक करना । उ०—फिरि फिरि नृपत्ति घलावत बात । कहौ सुमंत कहाँ तें पलटे प्रान- जिवन कैसे बन जात ।-सूर । ( अमुक की) बात मत धलाओ इस संबंध में ( अमुक की) चर्चा करना ( दृष्टांत या उदाहरण आदि के लिए ) व्यर्थ है। ( अमुक का ) दृष्टांत देना ठीक नहीं है। जैसे,—उनकी बात मत चलाओ; वे रुपये- वाले हैं सब कुछ खर्च कर सकते हैं। बात चलाना=चर्चा चलाना । बात छेड़ना । उ.--उधो कत ये बातें चाली । कछु मीठी कुछ करई हरि की अंतर में सब साली।-सूर ( अमुक की) बात क्या चलाते हो? दे० "बात मत चलाओ" । बात छिड़ना-दे० "बात चलना"। बात छेदना- दे. "बात चलाना" । बात निकालना-बात चलाना । बात पढ़ना किसी विषय का प्रसंग प्राप्त होना। चर्चा छिड़ना । जैसे,-बात पड़ी इस लिये मैंने कहा, नहीं तो मुझसे क्या मतलब ? बात मुंह पर लाना=( किसी विषय की ) चर्चा कर बैठना । जैसे,—किसी के सामने यह बात मुँह पर न लाना। (३) फैली हुई चर्चा । प्रचलित प्रसंग । खबर । अफवाह । किंवदंती। प्रवाद।