पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/१३५

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बात २४२८ बात मुहा०—बात उड़ना-चारों ओर चर्चा फैलना । किसी विषय का लोगों के बीच प्रसिद्ध होना या प्रचार पाना । उ०-झठी ही यह बात उदी है राधा कान्ह फहत नर नारी । रिस की बात सुता के मुख सों सुनत हँसी मन ही मन भारी। --सूर । ( किसी पर ) बात आना दोषारोपण होना । दोष लगना। कलंक लगना। बुराई आना । बात फैलनाची फैलना । बात लोगों के मुँह से चारों ओर सुनाई पड़ना । प्रसिद्ध होना। बात फैलाना-धर उधर लोगों में चर्चा करना। प्रसिद्ध करना। बात वहना-चारों ओर चची फैलना। बात उड़ना । उ--जो हम सुनति रही सो नाहीं। ऐसी ही यह बात वहानी ।--सूर । (किसी पर ) बात रखना, लगाना या लाना-दोप लगाना। कलंक मदना । इलज़ाम लगाना । लांछन रग्वना । (४) कोई वृत्त या विषय जो शब्दों द्वारा प्रकट किया जा सके या मन में लाया जा सके । जानी जाने या जताई जानेवाली वस्तु या स्थिति । मामला । माजरा । हाल । व्यवस्था । जैसे,—(क) बात क्या है कि वह अब तक नहीं आया ? (ख) उनकी क्या बात है ! (ग) इस चिट्ठी में क्या बात लिखी है ? उ.-क्यों करि झठी मानिए सखि ग्यपने की बात ।-पदमाकर । महा०—बात का बतंगड़ करना=(१) साधारण विषय या ; घटना को व्यर्थ विरतार देकर वर्णन करना । छोटे से मामले को बहुत बड़ा कर कहना । (२) किमी साधारण घटना को बहुत बड़ा या भापण रूप देना। छोटे से मामले को व्यर्थ । बहुत पेचीला या भारी बना देन।। बात ठहरना=किसी । विषय में यह स्थिर होना कि एसा होगा। मामला ते होन।।। जैसे, हमारे उनके यह बात टहरी है कि कल सबेरै यहाँ । से चल दें। बात डालना-विषय उपस्थित करना। मामला ! पेश करना । जैग्ने,—यह बात पंचों के बीच डाली जाय । बात न पूछना-दशा पर ध्यान न देना । ख्याल न करना। परवा न रखना । उ०- मीन वियोग न सहि सके नीर न पूछे बात ।--सूर । बात पर धूल डालना=किसी काम या घटना को भूल जाना। मामले का ख्याल न करना । गई कर जाना। यात पी जाना जो कुछ हो गया हो उसका ख्याल न करना। जाने देना । दर गुजर करना । बात बढ़ना-मामले का तूल . खींचना । किमी प्रसंग या घटना का धोर रूप धारण करना । . जैसे,-अब बात बहुत बढ़ गई है। समझाना बुझाना व्यर्थ है। बात बढ़ाना-मामले को तूल देना। किसी प्रसंग, : परिस्थिति या घटना को घोर रूप देना । जैसे,—जो हुभा सो हुआ, अब अदालत में जाकर क्यों बात बढ़ाते हो। बात | बनना (१) काम बनना। प्रयोजन सिद्ध होना। मामला । दुरुरत होना । सिद्धि प्राप्त होना । उ०-खोज मारिरवहाँकह। ताता । आन उपाय बनाहि नहिं बाता ।-तुलसी । (२) संयोग या घटना का अनुकूल होना। अच्छी परिस्थिति होना । बोलबाला होना । अच्छा रंग होना । बात बनाना या संवारना काम बनाना । कार्य सिद्ध करना । मतलब गाँठना । सिद्धि प्राप्त करना । संयोग या परिस्थिति को अनुकूल करना । जैसे,—वह तो सारा मामला बिगार पुका था, तुमने आकर बात बना दी। उ०—(क) चतुर गभीर राम महतारी । बीच पाय निज बात सँवारी।-तुलसी । (ख) भरत भगति तुम्हरे मन आई । तजहु सोच बिधि बात बनाई।-तुलसी। बात बात पर या बात बात में प्रत्येक प्रसंग पर। थोड़ा सा भी कुछ होने पर । हर काम में। जैसे,- सुम बात बात में बिगड़ा करते हो, कैसे काम चलेगा ? बात बिगडना (१) कार्य नष्ट होना । वाम चौपट होना । मामला खराब होना । अच्छा परिस्थिति न होकर बुरी परिस्थिति हो जाना । (२) प्रयोजन सिद्ध न होना । विफलता होना। जैसे- तुम्हारे वहाँ न जाने से सारी बात बिगड़ गई । बात बिगा- बना-कार्य नष्ट करना । काम चौपट करना । मामला खराब करना । बुरी परिस्थिति लाना । उ०—बिधि बनाइ सब बात बिगारी।--तुलसी । (५) घटित होनेवाली अवस्था । प्राप्त संयोग । परिस्थिति। जैसे,—(क) इससे एक बात होगी कि वह फिर कभी न आवेगा । (ख) रास्ते में कोई बात हो जाय तो कौन जिम्मेदार होगा ? (६) दूसरे के पास पहुँचाने के लिए कहा हुआ वचन । संदेश । सँदेसा। पैगाम । उ०-ऊधो! हरि सों कहियो बात ।--सूर । (७) परस्पर कथोपकथन । संवाद । वार्तालाप । गप-शप । वाग्विलाय । जैसे,—क्यों बातों में दिन खोते हो? यौ०-बातचीत । महा०—बातों बातों में बातचीत करते हुए । कथोपकथन के बीच में। जैसे,-बातों ही बातों में वह बिगड़खड़ा हुआ। (6) किसी के साथ कोई व्यवहार या संबंध स्थिर करने के लिए परस्पर कथोपकथन । कोई मामला तै करने के लिये उसके संबंध में चर्चा । जैसे,---(क) ब्याह की बात । (ख) इस मामले में मुझसे उनसे बात हो गई है । (ग) जिससे पहले बात हुई है उसी के हाथ सौदा धेचेंगे। यौ०-यातचीत । मुहा०-बात ठहरना=(१) ब्याह ठीक होना । विवाह- संबंध स्थिर होना। (२) किसी प्रकार का निश्चय होना । वास लगना-विवाह के संबंध में प्रस्ताव आदि होना । बात लगाना-विवाह का प्रस्ताव करना । व्याइ संबंध स्थिर करने के लिये कहीं कहना सुनना । बात साना-वर या कन्या पक्ष से विवाह का प्रस्ताव लाना।