पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/१३८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

वादनुमा २४३१ बादाम पाटि ।सुलसी। (ख) बादति है बिन काज ही वृथा घिरना-मेघों का चारों ओर छाना । बादल फटना-मेघों का बढ़ावति रार ।-सूर । (३) बोलना । ललकारना । घटा के रूप में फैला न रहना, तितर बितर हो जाना । बादल उ.-बादत बड़े सूर की नाई अवहि लेत हौं प्रान छैटना मेघों का खंड खंड होकर हट जाना । आकाश खच्छ होना । बादलों से बातें करना-आकाश से बाते करना । बहुत बादनुमा-संज्ञा पुं० [फा० ] वायु की दिशा सूचित करनेवाला ऊँचा उठना। यंत्र। हवा किस ओर मे बहती है, यह बतानेवाली कल। (२) एक प्रकार का पत्थर जो दुधिया रंग का होता है पवन-प्रकाश । पवन-प्रचार । और जिस पर बैंगनी रंग की बादल की सीधारियाँ पड़ी बादवान-संज्ञा पुं॰ [फा०] पाल । होती है। यह राजपूताने में निकलता है। बादरा*-संशा पुं० [सं० वारिद, विपर्याय द्वारा वादरि' ] बादल। बादला-संज्ञा पुं० [हिं० पतला ? ] सोने या चाँदी का चिपटा मेध । (क) देति पाँबड़े अरघ चलीं ले सादर । उमगि चमकीला तार जो गोटे बुनने या कलाबत्त बटने के काम चल्यो आनंद भुवन भुइँ बादर ।-तुलसी। (ख) लाल में आता है । कामदानी का तार । ( यह तार एक तोले में बिन कैसे लाज चादर रहेगी, हाय ! कादर करत मोहिँ । ५.. गज़ के लगभग होता है।) यादर नए नए।-श्रीपति । . बादली-संशा स्त्री० दे० "बदली" । वि० [सं०] (1) बदर या वेर नामक फल का, उससे बादशाह-संज्ञा पुं० [फा० । मिलाओ सं० पाटशासक ] (9) तख्त उत्पज या उससे संबंध रखनेवाला । (२) कपास का।। का मालिक । राजसिंहासन पर बैठनेवाला। राजा । शासक। कपास या रूई का बना हुआ। (३) मोटा या खद्दद। (२) सब से श्रेष्ठ पुरुष । सरदार । सव बड़ा आदमी। 'सूक्ष्म' का उलटा (कपड़ा)। जैसे, शठों के बादशाह । (३) स्वतंत्र । मनमाना करने- मंशा पुं० नैऋत्य कोण में एक देश । (वृहत्संहिता) वाला । जैसे,--तबीयत का बादशाह । (१) शतरंज का वि० [देश॰] आनंदित । प्रसन्न । आह्लादित । उ० एक मुहरा जो किम्त लगने के पहले केवल एक बार घोड़े गदर सखी के साथ बादर बदन है कै भपति पधारे महारानी की चाल चलता है और दौडधूप से बचा रहता है। (५) के महल को। ताश का एक पत्ता जिस पर बादशाह की तस्वीर बनी बादरा-संज्ञा स्त्री० [सं०] (१) बदरी या बेर का पेड़ । (२) रहती है। काम का पौधा । (३) जल । पानी । (४) रेशम । (५) बादशाहज़ादा-संज्ञा पुं॰ [फा०] राजकुमार । कुँवर । कुमार । दक्षिणावर्त शंख । । बादशाहज़ादी-संशा स्त्री० [फा०] राजकुमारी। बादरायण-संज्ञा पुं० [सं०] वेदव्यास का एक नाम । बादशाहत-संज्ञा स्त्री० [फा०] राम्य । शासन । हुकूमत । बादरिया -संशा स्त्री० दे. "वादरी" या "वदली"। उ०—बरसन बादशाहपसंद-संज्ञा पुं० [फा० खशवाशी रंग। दिलबहार . लागी कारी बादरिया ।गीत। हलका आसमानी रंग। बादरी-संज्ञा स्त्री० दे. "बदली"। बादशाही-संज्ञा स्त्री० [फा०] (१) राज्य राज्याधिकार। (२) बादल-संशा पुं० [सं० वारिद, हिं. बादर ] (१) पृथ्वी पर के जल शासन । हुकूमत । (३) मनमाना व्यवहार । (समुद्र, झील, नदी आदि के) से उठी हुई वह भाप वि० (१) बादशाह का । राजा का । जैसे, बादशाही जो धनी हो कर आकाश में छा जाती है और फिर पानी झंग। (२) राजाओं के योग्य । की बूंदों के रूप में गिरती है । मेघ । धन। । बादहवाई-कि० वि० [फा० बाद+अ० हवा ] यों ही। व्यर्थ । विशेष-सूक्ष्म जल-सीकर रूप की इस प्रकार की भाप जो फिज़ल । नियोजन । पृथ्वी पर छा जाती है, उसे नीहार या कुहरा कहते हैं। बादल' बादाम-संज्ञा पुं० [फा०] (1) मझोले आकार का एक प्रकार का साधारणतः पृथ्वी से कोस डेढ़ कोस की ऊँचाई पर रहा वृक्ष जो पश्चिमी एशिया में अधिकता से और पश्चिमी करते हैं। ये आकाश में अनेक विलक्षण रूपरंग धारण भारत ( काश्मीर और पंजाब आदि ) में कहीं कहीं होता किया करते हैं जिनकी शोभा अनिर्वचनीय होती है। है। इसमें एक प्रकार के छोटे छोटे फल लगते हैं जिनके क्रि०प्र०-आना । छाना। ऊपर का छिलका बहुत कड़ा होता है और जिनके तोड़ने मुहा-बादल उठना-बादलों का किसी ओर से समूह के रूप ! पर लाल रंग के एक दूसरे छिलके में लिपटी हुई सफेद में बढ़ते हुए दिखाई पड़ना। बादल चढ़ना-दे० "बादल । रंग की गिरी रहती है। यह गिरी बहुत मीठी होती है उठना"। बादल गरजना-मेघों के संघर्ष का घोर शब्द।। और प्रायः खाने के काम में आती है। यह पौष्टिक भी घरघराहट की आवाज़ जो बादलों से निकलती है। बादल। होती है और मेवों में गिनी जाती है। इसका ध्यव-