पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/१५२

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बालाई २४४५ बालिग तेरह वर्ष से सोलह-सत्रह वर्ष तक की अवस्था की स्त्री। चालावर-संशा पुं० [फा०] एक प्रकार का अंगरखा जिसमें चार (२) पत्नी। भार्या । जोरू। (३) स्त्री। औरत । (४) कलियों और छः बंद होते हैं। विशेष-दे. “अंगरखा"। बहुत छोटी लड़की । दो वर्ष तक की अवस्था की लड़की । बालारोग-संशा मुं० [हिं० बाल-लोम+रोग ] नहरुआ रोग। (५) पुत्री । कन्या । (६) नारियल । (७) हलदी। (८) बालार्क-संज्ञा पुं० [सं०] (१) प्रात:काल का सूर्य । (२) कन्या बेले का पौधा । (१) खैर का पेड़। (10) हाथ में पहनने राशि में स्थित सूर्य । का कड़ा। (1) धी-कुआर । (१२) सुगंधवाला । (१३) वालि-संज्ञा पु० [सं०] १ किष्किंधा का वानर राजा जो अंगद मोइया वृक्ष । (१४) नीली कटसरैया । (१५) एक वर्ष का का पिता और सुग्रीव का बड़ा भाई था। अवस्था की गाय। (१६) इलायची। (१७) चीनी ककड़ी। विशेष कहते हैं कि एक बार मेरु पर्वत पर तपस्या करते (१८) दस महाविद्याओं में से एक महाविद्या का नाम ।। समय ब्रह्मा की आँखों से गिरे हुए आँसुओं से एक बंदर (१९) एक प्रकार की कीड़ी जो गेहूं की फसल के लिए ! उत्पन्न हुआ जिसका नाम ऋक्षराज था। एक बार ऋक्ष- बहुत नाशक होती है। (२०) एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक राज पानी में अपनी छाया देव कर कूद पड़ा। पानी में चरण में तीन रगण और एक गुरु होता है। गिरते ही उसने एक सुदर स्त्री का रूप धारण कर लिया। वि० [फा०] जो ऊपर की ओर हो। ऊँचा। एक बार उस स्त्री को देख कर इंद्र और सूर्य मोहित मुहा०-थोल बाला रहना सम्मान और आदर का सदा हो गए। इंद्र ने अपना वीर्य उसके मम्तक पर और सूर्य बढ़ा रहना । बाला बाला-(१) ऊपर ही ऊपर । उनसे अलग ने अपना वीर्य उसके गले में गल दिया । इस प्रकार उस जिनके द्वारा कोई काम होना चाहिए या कोई वस्तु भेजी स्त्री को इंद्र के वार्य से यालि और सूर्य के वीर्य से सुग्रीव जानी चाहिए। जैसे,--तुमने बाला वाला दरखास्त भेज दी। नामक दो बंदर उत्पन्न हुए। इसके कुछ दिनों पीछे उल (२) वाइर बाहर । वहाँ से होते हुए नहीं जहाँ से होते हुए स्त्री ने फिर अपना पूर्व रूप धारण कर लिया। प्रमा की जाना चाहिए था । जैसे,—तुम बाला बाला चले गए, मेरे यहाँ आज्ञा से उसके पुत्र किष्किंधा में राज्य करने लगे । एक उत्तरे नहीं। (३) इस प्रकार जिसमें किसी को मालूम न हो । बार वालि किसी दैत्य का पीछा करने के लिए पाताल गया संज्ञा पुं० [हिं० बाल ] जो बालकों के समान अज्ञान हो। था। उसके पीछे सुग्रीव ने उसका राज्य ले लिया; पर बहुत ही सीधा सादा । सरल । निश्छल । बालि ने आते ही उसे मार भगाया और वह अपनी बी यौ०-बाला भोला=बहुत ही सीधा सादा । उ॰—तन बेसँभार तारा नया सुग्रीव की स्त्री रूमा को लेकर सुख से रहने केस औ चोली । चित अचेत जनु बाली भोली ।—जायसी । लगा । सुग्रीव ने भाग कर मतंग के आश्रम में आश्रय बालाई-संज्ञा स्त्री० दे० "मलाई"। लिया। वि० [फा०] (1) ऊपरी । अपर का। (२) वेतन या नियत एक बार रावण ने किष्किंधा पर आक्रमण किया था। उस आय के अतिरिक। निश्चित आय के सिवा । जैसे, बालाई समय बालि दक्षिण-सागर में संध्या कर रहा था। रावण आमदनी। को देखते ही उसने बगल में दबा लिया। अंत में उसके बाला-कुप्पी-संशा स्त्री० [फा० बाला ऊँचा+कुप्पी ] प्राचीन काल हार मानने पर बालि ने उसे छोड़ दिया। का एक प्रकार का दर जो अपराधियों को शारीरिक कष्ट | जिस समय रामचंद्र सीता को हूँढ़ते हुए किष्किंधा पहुँचे पहुँचाने के लिए दिया जाता था। इसमें अपराधी को : थे, उस समय मतंग के आश्रम में सुग्रीव से उनकी भेंट हुई एक छोटी पीढ़ी पर, जो एक ऊँचे खंभे से लटकती होती थी। उसी समय सुग्रीव के कहने से उन्होंने बालिका वध थी, बैठा देते थे फिर उस पीढ़ी को रस्सी के सहारे ऊपर किया था, सुग्रीव को राज्य दिलाया था और बालि के खींच कर एक दम से नीचे गिरा देते थे। इसमें आदमी लड़के अंगद को वहाँ का युवराज बनाया था। रावण के के प्राण तो नहीं जाते थे, पर उसे बहुत अधिक शारीरिक साथ युद्ध करने में सुप्रीव और अंगद ने रामचंद्र की बहुत कष्ट होता था। सहायता की थी। बालाखाना-संज्ञा पुं० [फा०] कोठे के ऊपर की बैठक । मकान बालिका-संशा स्त्री० [सं०] (१) छोटी लड़की । कन्या। (२) के ऊपर का कमरा। पुत्री । बेटी। (३) छोटी इलायची । (४) कान में पहनने बालादस्ती-संशा स्त्री० [फा०] (1) अनुचित रूप से हस्तगत की थाली (५) बाल्टू । करना । नामुनासिव तौर से वसूल करना । (२)ज़बरदस्ती। घालिकुमार-संज्ञा पुं० [सं०] बालि नामक वंदर का लड़का बल-प्रयोग। अंगद जो रामचंद्र की सेवा में था। वालापन -संज्ञा पुं० [सं० बाल+हिं० पन ] लड़कपन । बच्पन । | बालिग-संज्ञा पुं० [अ०] वह जो बाल्यावस्था को पार कर चुका ६१२