पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/१८९

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खुमारत २४८२ फलों को तपा कर किसी जहरीले तरल पदार्थ में बुझाना जिसमे बुढ़ाना-कि० अ० [हिं० बूढ़ा+ना (प्रत्य॰) । वृद्धावस्था को प्रास वह फल भी जहरीला हो जाय । (ऐसे फलों का भाव लगने । होना । पुख्ता होना। उ०-अब में जानी देहबुकानी । पर ज़हर भी रक्त में मिल जाता है, जिससे घायल आदमी सीस पाँव धर करो न मानत तनु की दशा सिरानी।-सूर। शीघ्र मर जाता है। ज़हर का बुनाया हुआ दे० "जहर बुढ़ापा-संशा पुं० [हिं० बूदा+पा (प्रत्य॰)] (1) वृद्धावस्था । के मुहा." पुड़ते होने की अवस्था। (२) बुड्ढे होने का भाव । (३) पानी में इसलिये किसी चीज़ को तपाकर पुढा-पन । डालना जिसमें उस चीज़ का कुछ गुण या प्रभाव उस पानी वुढ़िया बैठक-संज्ञा स्त्री० [हिं० बुदिया+बैठक-कसरत ] एक में आ जाय । पानी को छौंकना । जैसे,इनको लोहे का प्रकार की बैठक ( कसरत )। इसमें दीवार, खंभे आदि बुझाया पानी पिलाया करो। (४) पानी की सहायता से, का सहारा लेकर बार बार उठते बैठते हैं। किसी प्रकार का ताप दूर करना । पानी सलकर ठंडा धुढ़ौती-संज्ञा स्त्री० [हिं० बूढ़ा+औती (प्रत्य०) बुढ़ापा । वृद्धा. करना । जैसे, प्यास बुझाना, चूना वुझाना, नील घुझाना। वस्था । (५) चित्त का आवेग या उत्साह आदि शांत करना । जैसे, बुत-संशा पुं० [फा० मि० सं० बुद्ध ] (1) मूर्ति। प्रतिमा । पुतला। दिल की सगी बुझाना। (२) वह जिसके साथ प्रेम किया जाय । प्रियतम । (३) संयोकि०-डालना ।-देना। सेसरबुत नाम के खेल में वह दाँव जिसमें खिलाड़ी के हाथ क्रि० स० [हिं० चूझना का प्रे० रूप] (1) बुझने का काम में केवल तसवीरें ही हों, अथवा तीनों ताशों की धुंदियों का दूसरे से कराना । किसी को बूझने में प्रवृत्त करना । जैसे, । जोड १०,२० या ३० हो । विशेष-दे. "सेसरचुप्त"। पहेली बुसाना । (२) बोध कराना । समझाना। (३) वि० मूर्ति की तरह चुपचाप बैठा रहनेवाला । जो कुछ संतोष देना । जी भरना । भी बोलता चालता न हो जैसे, नशे में धुत हो जाना। बुझारत-संज्ञा स्त्री० [हिं० बुझाना-समझाना ] किसी गाँव के खतना-कि० अ० दे० "बुझना"। जमींदारों के वार्षिक आय-व्यय आदि का लेखा। युतपरस्त-संज्ञा पुं० [फा०] वह जी मूर्तियों को पूजता हो। बुट* -संज्ञा स्त्री० दे० "बूटी"। उ०-जातुधान बुट पुटपाक लंक मूत्तिपूजक । (२) वह जो सौंदर्य का उपासक हो। रसिक। जात रूप रतन जतन जारि कियो है मृगांक सो-तुलसी। बुतपरस्ती-संशा स्त्री० [फा० ] मूर्तिपूजा । घुटना-वि० अ० [ ? दौरकर खा जाना या हट बुतशिकन-संज्ञा पुं० [फा०] वह जो प्रतिमाओं को तोड़ता या जाना । भागना । उ०-(क) आशा करि भायो हुतो नष्ट करता हो। वह जो मूर्तिपूजा का धीर विरोधी हो। पास रायरे मैं गादहू के पाश दुख दूरि बुटि धुटि गे।- बुताना-क्रि० अ० दे० "बुझना"। पनाकर । (ख) राम सिया शिव सिंधु धरा अहि देवन के क्रि० स० दे० "बुझाना"। दुख पुंज बुटे ।-हनुमान। बुत्त-वि० दे० "युत"। बुड़की -संज्ञा स्त्री० [हिं० डूबना ] डुबकी । गोता । उ०—(क) वुद-वि० [ देश० ] पाँच (दलाल)। श्री हरिदास के स्वामी स्यामा कुंज बिहारी लै बुरकी गरें धुदबुद-संज्ञा पुं० [सं०] पानी का बुलबुला । बुल्ला । लागि चौंकि परीकहाँ जाऊँ। हरिदास। (ख) करति स्नान बुदबुदा-संज्ञा पुं० [सं० बुबुद् ] पानी का बुलबुला । बुल्ला । सब प्रेम श्रुड़की देहि समुनि होई भजि तीर आवे ।-सूर।। बुदलाय-वि० [दलालो बुद+लाय (प्रत्य॰)] पंद्रह । दस और बुडना-कि० अ० दे० "बूबना"। पाँच । (दलाल) खुडखुडाना-क्रि० अ० [ मनु० ] मन ही मन कुढ़कर या क्रोध में | बुद्ध-वि० [सं०] (1) जो जागा हुआ हो। जागरित । (२) आकर अस्पष्ट रूप से कुछ बोलना । बाबा करना। शानवान । ज्ञानी । (३) पंडित । विद्वान् । बुड़ाना*-क्रि० स० दे. "हुबाना"। संशा पुं० सुप्रसिद्ध बौद्ध-धर्म के प्रवर्तक एक बहुत बड़े बुड़ाव-संशा पुं० दे० "डुबाव"। महात्मा जिनका जन्म ईसा के लगभग ५५० वर्ष पूर्व बुढा-वि० [सं० वृद्ध ] जिसको अवस्था अधिक हो गई हो। शाक्यवंशी राजा शुद्धोदन की रानी महामाया के गर्भ से ५०-६० वर्ष से अधिक भवस्थावाला । वृद्ध । नेपाल की तराई के लुंबिनी नामक स्थान में माघ की बुढ़ना-संवा पुं० [?] छडीला पत्थर फूल । पूर्णिमा को हुआ था। इनके जन्म के मोरे ही दिनों वाय बुढ़वा-वि० दे. "हा"। इनकी माता का देहांत हो गया था और इनका पालन बुढ़ाई-संज्ञा स्त्री० [हिं० चूदा+आई (प्रत्य॰)] बुढ़ापा । वृद्धव ।। इनकी विमाता महा प्रजावती ने बहुत उत्तमतापूर्वक किया वृद्ध या पुढे होने का भाव । मा। इनका नाम गौतम अपवा सिद्धार्थ रखा गया था और