पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/१९१

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बुद्धिक
बुधवान
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समाधिता, संशय और प्रतिपत्ति ये पाँच गुण और कुछ बुद्धिहीन-वि० [सं०] जिसे बुद्धि न हो । मूर्ख । बेवकूफ । लोगों के मत से सुश्रूषा, श्रवण, ग्रहण, धारण, उह, बुद्धींद्रिय-संक्षा स्त्री० दे० "ज्ञानेंद्रिय"। उपोह और अर्थविज्ञान ये सात गुण है। पाश्चात्य विद्वान् बुद्धी-संशा स्त्री० दे० "धुद्धि" । अंत:करण के सब व्यापारों का स्थान मस्तिष्क मानते हैं ! बुध-संज्ञा पुं० [सं०] (1) सौर जगन् का एक ग्रह जो सूर्य के इसलिए उनके अनुसार बुद्धि का स्थान भी मस्तिष्क ही सत्र से अधिक समीप रहता है। यह प्रायः सूर्य से है। यद्यपि यह एक प्राकृतिक शक्ति है, तथापि शान और ३६०००००० मील की दूरी पर रहकर अट्ठासी दिन में अनुभव की सहायता से इसमें बहुत कुछ वृद्धि हो सकती है। उसकी परिक्रमा करता है। इसका व्यास प्रायः ३१०० पर्या-मनीषा । धीष्णा । धी। प्रज्ञा । मति । प्रेक्षा। मील के लगभग है और यह २४ घंटे ५॥ मिनट में अपनी चित् । चेतना । धारण । प्रतिपत्ति । मेधा । मन । मनस् । धुरी पर घूमता है। इसकी कक्षा का व्यास ७२०००००० ज्ञान । बोध । प्रतिभा । विज्ञान । संख्या। मील है और इसकी गति प्रति घंटे प्रायः एक लाख मील मुहा०—"बुद्धि" दे. “अक्ल"। है। सूर्य के बहुत समीप रहने के कारण यह दूरबीन आदि (२) उपजाति वृत्त का चौदहवाँ भेद जिसे सिद्धि भी की सहायता के बिना बहुत कम देखने में आता है। कहते हैं। (३) एफ छंद जिसके चारों पादों में क्रम ये यह न तो सूर्य से कभी बहुत पहले उदय होता है और १६, ११, १४, १३ मात्राएँ होती है। इसे "लक्ष्मी" न कभी उसके बहुत बाद अस्त होता है। इसमें स्वयं भी कहते हैं। (५) छप्पय का ४२ वाँ भेद ।। अपना कोई प्रकाश नहीं है और यह केवल सूर्य के प्रकाश बुद्धिक-संज्ञा पुं० [सं०] एक नाग का नाम । के प्रतिबिय से ही चमकता है। यह आकार में पृथ्वी का बुद्धिकामा-संशा स्त्री० [सं०] कार्तिकेय की एक मातृका प्रायः १८ वा अंश है। (२) भारतीय ज्योतिष शास्त्र के का नाम । अनुसार नौ ग्रहों में से चौथा ग्रह जो पुराणानुसार देव- बुद्धिचक्षु-संशा पुं० [सं०] प्रज्ञाचक्षु । धृतराष्ट्र । उ०—करण । ताओं के गुरु वृहस्पति की स्त्री तारा के गर्भ से चंद्रमा दुशाग्यन नृप मन माना । थुद्धिश्चक्षु पहँ फान्ह पयाना । के वीर्य से उत्पन्न हुआ था। कहते हैं कि चंद्रमा एक बार वद्धिजीवी-संज्ञा पुं० [सं० बुद्धिजीविन् ] वह जो बुद्धि के द्वारा तारा को हरण कर ले गया था। ब्रह्मा तथा दूसरे देवताओं अपनी जीविका का निर्वाह करता हो। के बहुत समझाने पर भी जब चंद्रमा ने तारा को नहीं बुद्धितत्व-संज्ञा पं० दे० "बुद्धि" ।। लौटाया तब बृहस्पति और चंद्रमा में युद्ध हुआ। बाद में बद्धिपर-वि० [सं० ] जो बुद्धि से परे हो। जिस तक बुद्धि न ब्रह्मा ने बीच में पड़कर बृहस्पति को तारा दिलवा दी। पहुँच सके। उ०-राम सरूप तुम्हार, बचन अगोचर पर उस समय तक चंद्रमा से तारा गर्भवती हो चुकी थी। बुद्धिपर । अविगत अकथ अपार, नेति नेति नित निगम बृहस्पति के बिगड़ने पर तारा ने तुरंत प्रसव कर दिया कह ।-नुलसी। जिम्पसे खुध की उत्पत्ति हुई । इसके अतिरिक्त काशीखंड घद्धिमत्ता-संज्ञा स्त्री० [सं०] बुद्धिमान् होने का भाव । समझ तथा दूसरे अनेक पुराणों में भी बुध के संबंध की कई कथाएँ दारी । अकलमंदी। हैं । यह नपुंसक, शूद, अथर्ववेद का ज्ञाता, रजोगुणी, मगध- वधिमान-वि० [सं०] वह जिसकी बुद्धि बहुत प्रखर हो। वह देश का अधिपति बालस्वभाव, धनु के आकार का और जो यहुत समझदार हो। आलमंद। दूर्वाश्याम वर्ण का माना जाता है। रवि और शुक्र इसके पुद्धिमानी-संज्ञा स्त्री० दे० "बुद्धिमत्ता"। मित्र और चंद्रमा इसका शत्रु माना जाता है। किसी बुद्धिवंत-वि० [सं० बुद्धि+वतं (प्रत्य॰)] बुद्धिमान् । अमल- । किसी का मत है कि इसने वैवस्वत मनु की कन्या ईला से __ मंद । समझदार। विवाह किया था जिसके गर्भ से पुरूरवा का जन्म हुआ था। बुद्धिशाली-वि० [सं० बुद्धिशालिन् ] बुद्धिमान् । समझदार । . यह भी कहा जाता है कि ऋग्वेद के मंत्रों का इसीने आलमंद। प्रकाश किया था। (३) अग्निपुराण के अनुसार एक सूर्य- बुद्धिशील-वि० [सं०] बुद्धिमान् । बुद्धिशाली। अक्लमंद ।। वंशी राजा का नाम । (४) भागवत के अनुसार वेगवान बुद्धिश्रीगर्भ-संज्ञा पुं० [सं०] एक बोधिसत्व का नाम । राजा के पुत्र का नाम जो तृणविंदु का पिता था। (4) बुद्धिसहाय-संशा पुं० [सं० ] मंत्री । सचिव । वजीर । देवता । (६) कुत्ता । (७) बुद्धिमान् अथवा विद्वान पुरुष । धुद्धिहत-वि० [सं०] जिसमें बुद्धि न हो। बेल । बुद्धिहीन । बुधजामी-संज्ञा पुं० [सं० नुध+दि० जन्मना उत्पन्न होना ] बुद्धिहा-संज्ञा स्त्री० [सं०] बुद्धि को नष्ट करनेवाली, मदिरा।। बुध के पिता, चंद्रमा । मथ । शराब। बुधवान* -वि०० "बुद्धिमान्"।