पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/२२१

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बोलक बोलावा कात्ति होना । (किमी का) योल रहनासारख रहना । मान । - दौड़ो। (५) सिपिटा जाना । रतन्ध हो जाना । (६) दिवाला मर्यादा रहना । रज्जत रहना । निकाल देना । खुम्ब हो जाना । (५) गीत का टुकड़ा । अंतरा । (६) अदद । संख्या ।। (२) किसी वस्तु का शन्न उत्पन्न करना । किसी चीज़ का (विशेषतः यायन में आई हुई वस्तुओं के संबंध में) (बी०) । आवाज़ निकालना । जैसे,—(क) घंटा बोलना । (ख) यह जैसे,--सौ बोल आए थे, चार चार लड्डू बाँट दिए। जूता चलने में बहुत बोलता है। संशा पु० [ देश० ] एक प्रकार का सुगंधित गोंद जो स्वाद क्रि० स० (१) कुछ कहना । कथन करना । वचन उच्चारण में का होता है। यह गूगल की जाति के एक पेड़ से करना । जैसे, कोई बात बोलना, वचन बोलना । निकलता है जो अरब में होता है।। संयोक्रि०—देना ।-जाना। बोलक-संज्ञा पुं॰ [ देश० ] जल भ्रमण । (हिं०) मुहा०-बाल उठना-एकाएक कुछ कहने लगना । सहसा कोई बोलचाल-संज्ञा भी० [हिं० वोल+चाल ] (1) बातचीत । बचन निकाल देना । चुप न रहा जाना । जैसे,--- हम लोग कथनोपकथन । बातों का कहना सुनना । (२) मेलमिलाप ।। तो बात कर ही रहे थे, बीच में तुम क्या बोल उठे? परस्पर सद्भाव । जैसे,--आज कल उन दोनों में बोलचाल (२) आज्ञा देकर कोई बात स्थिर करना । ठहराना। बदना। नहीं है। (३) छेड़छाद। (१) चलती भाषा । रोजमर्रा । जैसे, (क) कूच बोलना, पड़ाव बोलना, मुक्काम बोलना। नित्य के व्यवहार की बोली । जैसे-वे अधिकतर बोल (ख) साहव ने आज ख़ज़ाने पर नौकरी बोली है। (३) चाल की भाषा का व्यवहार करते हैं। उत्तर में कुछ कहना। उत्तर देना । (४) रोक टोक करना । बोलता-संज्ञा पुं० [हिं० बोलना ] (1) ज्ञान कराने और बोलने जैसे,—इस रास्ते से चले जाओ, कोई नहीं बोलया। (५) वाला तत्व । आत्मा । उ०-बोलने को जान से पहचान बार करना । मताना । दुव देना । जैसे,—तुम बरो ले। बोलता जो कुछ कहे सो मान ले। (२) जीवन तस्व । मत, यहाँ कोई नहीं बोल सकता । *1 (६) किसी प्राण । (३) अर्थयुक्त शब्द बोलनेवाला प्राणी । मनुष्य । का नाम आदि लेकर इसलिये चिल्लाना, जिसमें वह (४) हुक्का । (फकीर)। सुनकर पास चला आवे । आवाज़ देना । खुलाना । वि० ख़ब बोलनेवाला । वाकपटु । वाचाल । पुकारना। 30-ग्वाल सखा ऊँचे चहि बोलत बार बार बोलती-संशा वा [हिं० बोलना ] बोलने की शक्ति । वाकवाणी। है नाम ।-सूर। महाक...बोलती मारी जाना-चोलने की शक्ति न रह जाना। संयां.क्रि.-लेना। __ मुह से शब्द न निकलना ।

  • 1 (७) आने के लिये कहना या कहलाना । पास आने के

बोलना-क्रि० अ० [सं० 'ब' 'भूयते' से बूर्यते, प्रा. बुल्ला] (1) लिये कहना या संदेपा भेजना । उ०—केसम्र बेगि चली, मुंह से शब्द निकालना । मुख से शब्द उच्चारण करना । बलि, बोलति दीन भई वृषभानु की रानी। केशव । जैसे, आदमियों का बोलना, चिपियों का बोलना, मेदक मुहा०-*योलि पठाना-बुला भेजना । उ.-नामकरन कर का बोलना इत्यादि। अवसर जानी । भूप बोलि पठए मुनि ज्ञानी।-तुलसी। संयोक्रि०-उठना । उ०-आपही कुंज के भीतर पैठि | बोलबाला-संशा पुं० [अ० बोल+फा० बालाचा ] एक बहुत सुधारि के सुदर सेज पिछाई। बात बनाय सटा के नटा ऊँचा सदाबहार पेड़ जिसको लकड़ी बहुत मजबूत और करि, माधो सो आय कै राधा मिलाई । आली कहा कहाँ भीतर ललाई लिए होती है। मकान में लगाने के लिये हॉसी की बात विदूषक जैसी करी निठुराई। जाय रह्यो यह बहुत अच्छी होती है। विश्वारे उतै, पुनि बोलि उठ्यो वृषभान की नाई। बोलवाना-क्रि० स० [हिं० बोलना का प्रेरणा ] (१) उच्चारण यौ०-बोलना चालना-बातचीत करना । कराना । जैसे, पहा बोलबाना । (२) दे. "बुलवाना"। महा०---पोल जाना=(१) मर जाना । संसार में न रह जाना। बोलसरा-संज्ञा पुं० [हि. मौलसिरी ] मौलसिरी । 30-कोर (अशिष्ट) (२) निःशेष हो जाना । बाकी न रह जाना । चुक । सो बोलसर, पुप बकोरी । कोई रूप मंजरी गोरी।- जाना । जैसे,—अब मिठाई बोल गई और मैंगाओ। (३) जायसी । पुराना या जीर्ण होना। और व्यवहार के योग्य न रह जाना। बोलांस-संशा पुं० [हिं० बोला+अंश ] वह अंश या भाग जो टूट फूट जाना, घिस जाना या फट जाना । जैसे,—तुम्हारा किसी का कह दिया गया हो। जता चार ही महीने में बोल गया। (४) हार मान लेना बोलाना-क्रि० स० दे. "मुलाना"। हैरान होकर और आगे किसी काम में लगे रहने का बल या | बोलाषा-संवा पुं० [हिं० बुलाना ] कहीं आने के लिये भेजा हुआ साहस न रखना। जैसे, इतनी ही दर में बोल गए, और संदेसा या न्योता। निमंत्रण या आसान। . यह