पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/२४७

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भद्रदंती २५४० भद्रा भद्रदंती-संज्ञा स्त्री० [सं०] दंती वृक्ष का एक भेद । वैधक में 'भद्रविराट-संशा पुं० [सं०] एक वर्णाईसम वृत्त का नाम जिसके इसे कटु, उरण, रेचक और कृमि, शूल, कुष्ठ, आमदोष पहले भीर तीसरे चरण में १. और दूसरे तथा चौथे चरण आदि का नाशक माना है। में अक्षर होते हैं। पर्या०—केशरुहा । भिषग्भद्रा । जयावहा । आवर्तकी। भद्रशाख-संशा पुं० [सं०] कार्तिकेय । जरांगी। .. भद्रश्रय-संज्ञा पुं० [सं० चंदन । भद्रगदारु-संज्ञा पुं० [सं०] देवदारु । 'भद्रथवा-संशा पुं० [सं० भद्रश्रवम् ] पुराणानुसार घर्ष के एक भद्रदह-संशा पुं० [सं० ] पुराणानुसार श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम । भद्रश्री-संज्ञा पुं० [सं०] चंदन का वृक्ष । भद्रद्वीप-संशा पु० [सं०] पुराणानुसार कुरु वर्ष के अंतर्गत एक भद्रश्रेयाय-संज्ञा पुं० [सं०] हरिवंश के अनुसार वाराणसी के द्वीप का नाम । एक प्राचीन राजा जो दिवोदास से भी पहले हुए थे। भद्रनिधि-संज्ञा पुं० [सं०] पुराणानुसार एक प्रकार का महादान। भद्रषष्टी-संशा स्त्री० [सं०] दुर्गा। भद्रपदा-संज्ञा स्त्री. दे. "भाद्रपद"। भद्रसेन-संज्ञा पु० [सं०] (1) देवकी के गर्भ से उत्पन्न वसुदेव भद्रपर्णा-संशा की० [सं०] प्रसारिणी । के एक पुत्र का नाम जिसे कंस ने मार डाला था। (२) भद्रपाल-संज्ञा पुं० [सं०] एक बोधिसत्व का नाम । भागवत के अनुसार कुतिराज के पुत्र का नाम । (३) बौद्धों भद्रपीट-संज्ञा पुं० [स०] (१) भासन जिस पर बैठा जाय । के अनुसार मारपापीय आदि कुमति के दलपति का नाम । (२) वह सिंहासन आदि जिस पर राजाओं या देवताओं का | भद्रसामा-संज्ञा स्त्री० [सं०] (१) गंगा का एक नाम । (२) अभिषेक होता है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार कुरुवर्ष की एक नदी का नाम । भद्रबन-संश। पुं० [सं०] मथुरा के पास का एक बन । भद्रा-संशा स्त्री० [सं०] (1) केकयराज की एक कन्या जो श्रीकृष्ण- भद्रबल्लभ-संज्ञा पुं० [सं० ) बलराम । जी को म्याही भी। (२) रास्ता । (३) आकाश गंगा। भद्रबला-संज्ञा स्त्री० [सं०(1) प्रसारिणी लता । (२) माधवी (४) द्वितिया, सप्तमी, द्वादशी तिथियों की संज्ञा । (५) लता। प्रसारिणी लता। (६) जीवंती। (७) बरियारी। (4) भद्रबाहु-संज्ञा पु० [सं०] रोहिणी के गर्भ से उत्पन्न वसदेव के शी । (९) बच । (१०) दंती। (11) हलदी। (१२) एक पुत्र का नाम । दूर्वा । (१३) चंसुर । (११) गाय । (१५) दुर्गा । (१६) भद्रभीमा-संज्ञा स्त्री० [सं०] पुराणानुसार कश्यप की एक कन्या छाया से उत्पन्न सूर्य की एक कन्या। (१७) पिंगल में का नाम जो दक्ष की कन्या क्रोधा के गर्भ से उत्पन्न हुई थी। उपजाति वृत्त का दसवाँ भेद । (१८) कटहल । (१९) भद्रभूषणा-संज्ञा स्त्री० [सं०] देवी की एक मूर्ति का नाम । कल्याणकारिणी शक्ति। (२०) पृथ्वी । (२१) पुराणानुसार भद्रमंद्र-संज्ञा पु० [सं० ] हाधियों की एक जाति । भद्राश्चवर्ष की एक नदी का नाम जो गंगा की शाग्वा कही भद्रमुंज-संज्ञा पु. [सं०] सरपत। गई है। (२२) बुद्ध की एक शक्ति का नाम । (२३) सुभद्रा भद्रमुख-संज्ञा पुं० [सं०] पुराणानुसार एक नाग का नाम । का एक नाम । (२४) कामरूप प्रदेश की एक नदी का भद्रमुस्ता-संशा पु० [सं०] नागरमोथा। नाम । (२५) फलित ज्योतिष के अनुसार एक योग जो भद्रमृग-संशा पु० [सं०] हाथियों की एक जाति । कृष्ण पक्ष की तृतीया और दशमी के शेषार्द्ध में तथा अष्टमी भद्रयव-संज्ञा पुं॰ [सं०] इंद्रजी। और पूर्णिमा के पूर्वार्द्ध में रहता है। जब यह योग कर्क, भद्रयान-संज्ञा पुं० [सं० ] शाखा प्रवर्तक एक बौद्ध आचार्य । सिंह, कुंभ और मीन राशि में होता है, तब पृथ्वी पर, जब भद्रेणु-संशा पुं० [सं०] ऐरावत । मेष, वृष, मिथुन और वृश्चिक राशि में होता है, तब स्वर्ग- भद्रवट-संज्ञा पुं० [सं०] पुराणानुसार एक प्राचीन तीर्थ का लोक में और जब कन्या, धन, तुला और मकर राशि में नाम। होता है, तब पाताल में रहता है । इस योग के स्वर्ग में भद्रपती-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) कटहल । (२) नानजिती के रहने के समय यदि कोई कार्य किया जाय तो कार्यसिन्द्रि गभ से उत्पन्न श्रीकृष्ण की एक कन्या का नाम । और पाताल में रहने के समय किया जाय तो धन की प्राप्ति भद्रवल्लिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] अनंतमूल । होती है। पर यदि इस योग के इस पृथ्वी पर रहने के समय भद्रवल्ला-भशा स्त्री० [सं०] (1) माधवी लता । (२) वल्लिका । कोई कार्य किया जाय तो वह बिलकुल नष्ट हो जाता है। भद्रबिंद-संक्षा पुं० [सं०] पुराणानुसार श्रीकृष्ण के एक पुत्र अत: भवा के समय लोग कोई शुभ कार्य नहीं करते। इसे का नाम । विष्टिभद्रा भी कहते हैं। (२६) बाधा । (बोलचाल)।