पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/२६६

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भानु २५५९ भानुमान पाटंबर देते लेत न बनत यहत । हय गय सहन भंडार दिये: एक दिन यह शिकार ग्बलने गया । इप जंगल में एक सूभर सब फेरि भरे से भाति । जवहि देत तब ही फिरि देखत देव पड़ा। इसने घोड़े को उम्पके पीछे डाल दिया। धने संपति घर न समाति ।----सूर । (२) अच्छा लगना । जंगल में जाकर सूअर कहीं छिप गया और राजा जंगल रुचना । पसंद आना । उ॰—(क) महमद बाजी प्रेम की में भटक गया। उस जंगल में उप एक तपम्बी का आश्रम ज्यों भावे त्यों ग्वेल । तेलहि फूलहि संग ज्यों होय फुलायल मिला। वह नपस्वी राजा का एक शत्रु था जिसका राज्य तेल --जायसी। (ख) गुन अवगुन जानत यब कोई । जो इपर्ने जीत लिया था। राजा प्यामा था और उत्पने तपस्वी जेहि भाव नीक तेहि खोई ।-तुलस्पी । (ग) भावै यो करहु को पहचाना न था । उपप उत्पने पानी माँगा । तपस्वी ने तो उदास भाव प्राणनाथ, माथ लै चलहु कैप लोक लाज एक तालाब वसला दिया । राजा ने वहाँ जाकर जल पीकर बहनो। केशव । (३) शोभा देना । सोहना । फबना । अपना श्रम भिटाया । रात हो रही थी, इससे तपस्वी राजा उ.-तुम राजा चाहौ सुख पावा । जोगिहि भोग करत' को अपने आश्रम में ले गया। रात के समय दोनों में बान- नहि भावा ।-जायसी। चीत हुई । तपस्वी ने करट से राजा को अपनी मीठी मीठी संयोकि०-जाना। बातों से वशीभत कर लिया। भानुप्रताप उसकी बातें सुन क्रि० स० [सं० मा प्रकाश ] चमकाना। उ०-कनकदर कर उस पर विश्वास करके रात को वहीं आश्रम में यो रहा। दुइ भुजा कलाई । जानहुँ फेरि कुँदेरे भाई।-जायसी। तपस्वी ने अपने मित्र कालकेतु राक्षस को बुलाया । वह भानु-सः। पु० [सं० ] (1) सय्यं । राजा को क्षण भर में उठाकर उसकी राजधानी में पहुँचा यौ०-भानुजा । भानुतनया आदि। आया और उसके घोड़े को घुड़साला में बाँध आया। माय (२) विगु । (३) किरण । (४) मंदार । अर्फ। (५) एक ही उम राजा के पुरोहित को भी उठाकर एक पर्वत की देवगंधर्व का नाम । (६) कृष्ण के एक पुत्र का नाम । (७) गुफा में बंद कर आया और आप पुरोहित का रूप धरकर जैन ग्रंथों के अनुसार वर्तमान अवसर्पिणी के पंद्रहवें अर्हत् उम्पके स्थान पर लेट रहा । मयेरे जब राजा जागा तो उसे के पिता का नाम । (८) राजा । (५) उत्तम मन्वंतर के मुनि पर विशेष श्रद्धा हुई। पुरोहित को बुलाकर राजा ने एक देवता का नाम । तीसरे दिन भोजन बनाने की आज्ञा दी और ब्राह्मणों को संज्ञा स्त्री० [सं०] (१) दक्ष की एक कन्या का नाम । भोजन का निमंत्रण दिया । कपटी पुरोहित ने अनेक मांसों पुराणानुपार यह धर्म वा मनु मे म्याही थी और इसमे के साथ मनुष्य का मांस भी पकाया । जब बाह्मण लांग भानु वा आदित्य का जन्म हुआ था। (२) कृष्ण की एक भोजन करने उठे और राजा परोयने लगा तथ इसी बीच में कन्या का नाम। आकाशवाणी हुई कि तुम लोग यह अन्न मत खाओ, इसमें भानुकंप-संज्ञा पुं० [सं०] ग्रहणादि के समय सूर्य के विष का मनुष्य का मांस है। ग्राह्मण लोग आकाशवाणी सुनकर काँपना । फलित ज्योतिष में यह अमंगलसूचक माना . उठ गए और राजा को शाप दिया कि तुम परिवार सहित गया है। राक्षस हो। कहते हैं कि वही राजा भानुप्रताप मरने पर भानु केशर-संज्ञा पुं० [सं०] सय्यं । दूपरे जन्म में रावण हुआ। भानुज-संज्ञा पुं० [सं०] [स्त्री० भानुजा (1) यम । (२) शनि-: भानुफला-संज्ञा स्त्री० [ स०] केला । श्वर (३) कर्ण। भानुमत्-वि० [सं० ! दीप्तियुक्त। प्रकाशमान् । भानुजा-संज्ञा स्त्री० [सं०] यमुना । ____ संज्ञा पुं० (१) सूर्य । (२) कलिंग के एक राजा का नाम । भानुतनया-संशा स्त्री० [सं०] यमुना। (३) कृष्ण के एक पुत्र का नाम । (४) पुराणानुसार केशि- भानुतनुजा-संशा स्त्री० [सं०] यमुना। ध्वज के एक पुत्र का नाम । (५) भर्ग का एक नाम । भानुदेव-संश पुं० [सं०] (1) सूर्य । (२) पांचाल देश के एक भानुमती-संझा त्री० [सं० ] (१) विक्रमादित्य की रानी का नाम । राजकुमार का नाम जो महाभारत में पांडवों की ओर से यह राजा भोज की कन्या थी । यह अत्यंत रूपवती और

  • ड़कर कर्ण के हाथ से मारा गया था।

इंद्रजाल विद्या की जानकार थी । (२) अगिरम की पहली भानुपाक-संशा पु० [सं०] औषध आदि को सूर्य की गर्मी या कन्या का नाम । (३) दुर्योधन की स्त्री का नाम । (४) धूप की सहायता से पकाने की क्रिया। सगर की एक स्त्री का नाम । (५) कृतवीर्य की कन्या का भानुप्रताप-संज्ञा पुं० [सं०] रामायण के अनुसार एक राजा का नाम जो अहंयाति ये म्याही था। (६) गंगा। (७) नाम । यह कैकय देश के राजा सत्यकेतु का पुत्र था। जादूगरनी। तुलसीकृत रामायण में इसकी कथा इस प्रकार दी है-! भानुमान-वि० दे. "भानुमत्" ।