पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/२८३

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भीन २५७४ भीमपलाशी मक्षा : म. कात्तिकेय की एक अनुचरी या मातृका सभा में उत्पका अपमान किया था, और उसे अपनी जाँध का नाम । पर बैठाना चाहा था, उस समय इन्होंने प्रतिज्ञा की थी भीन-सज्ञा पु० (हि.. बिहान ] सर्वरा । प्रात:काल । उ.-- कि मैं दुर्योधन की यह जांध तोड़ डाल गा और दुःशासन काह को न कहो यह गहाँ मन मौन एरी नेरी पौं सुनेगा से लड़कर उसका रक्त पान करूंगा । वनवास में इन्होंने जापान रहै भीन है। प्रियादाय । अनेक जंगली राक्षपों और असुरों को मारा था। अज्ञात- भीमना-ति. दि. नागना भर जाना । समा जाना । वाम के समय ये बालब नाम सूपकार बनकर विराट के पैवस्त हो जाना । जैसे,—(क) ज़हर रग रग में भीन गया घर में रहे थे । जप कीचक ने द्रौपदी से छेड़छाड़ की थी, है। (ग्व) कैसी भीनी भीनी खशबू आ रही है । उ०--- तब उस भी इन्हींने मारा था। महाभारत युद्ध के समय कौन ठगौरी भरी हरि आजु बजाइ है याँसुरिया रंग कुरुक्षेत्र में इन्होंने अपनी प्रतिज्ञा का पालन किया था। भीनी ।-रमावान । दुर्योधन के सब भाइयों को मारकर दुर्योधन की जाँघ तोड़ी भीम-संशा ५० [८० : (१) भयानक स्म । (२) शिव । (३) थी और दुशासन का दक्त पीया था। महाप्रस्थान के समय विष्णु । (४) अग्लाबेत । (५) महादेव की आठ मूर्तियों के भी ये युधिष्ठिर के साथ थे और सहदेव, नकुल तथा अर्जुन अंतर्गत एक म्रर्ति । (६) एक गंधर्व का नाम । (७) तीनों के मर जाने के उपरांत इनकी मृत्यु हुई थी। भीम- पाँचों पांडवों में से एक जो वायु के संयोग से कुंती के गर्भ सेन । वृकोदर। से उत्पन्न हुए थे । ( जन्म कथा के लिये दे. "पांदु" ) ये मुहा०---भीम के हाथी भीमसेन के फेके हुए हाथी । ( कहा युधिष्ठिर से छोटे और अर्जुन ये बड़े थे। ये बहुत बड़े वर जाता है कि एक बार भीमसेन ने सात हाथी आकाश में और बलवान थे। कहते हैं कि उन्म के समय जब ये माता फेंक दिये थे जो आज तक वायुमंडल में ही घूमते हैं, लौट- की गोद में गिर थे, तब पत्थर टूटकर टुको टुकड़े हो गया कर पृथ्वी पर नहीं आए। इसका व्यवहार ऐसे पदार्थ या था। इनका और दुर्योधन का जन्म एक ही दिन हुआ था। व्यक्ति के लिये होता है जो एक बार जाकर फिर न लौटे।) इन्हें बहुत बलवान देखकर दुर्योधन ने ईर्या के कारण उ.- अय निज नैन अनाथ भये । मधुबन हुने माधव एक बार इन्हें विष खिला दिया था और इनके बेहोश हो सजनी कहियत दुरि गये । मथुरा बसत हुती जिय आशा जाने पर लनाओं आदि से बांधकर इन्हें जल में फेंक दिया यह लागत व्यवहार । अब मन भयो भीम के हाथी सुपने था। जल में नागों के इसने के कारण इनका पहला विप अगम अपार ।-सूर । उतर गया और नागराज ने इन्हें अमृत पिलाकर और (८) विदर्भ के एक राजा जिन्हें दमन नामक ऋषि के वर इनमें दस हज़ार हाथियों का बल उत्पन्न कराके घर भेज से दम, दांत और दमन नामक तीन पुन तथा दमयंती दिया था। घर पहुँचकर इन्होंने दुर्योधन की दुष्टता का नाम की कन्या हुई थी। (९) महर्षि विश्वामित्र के पूर्व हाल पब में कहा । पर युधिष्ठिर ने इन्हें मना कर दिया पुरुप जो पुरूरवा के पौत्र थे। (१०) कुंभकर्ण के पुत्र का नाम कि यह बात किसी में मत कहना; और अपने प्राणों की जो रावण की सेना का एक सेनापति था। रक्षा के लिये सदा बहुत सचेत रहना । इसके उपरांत फिर वि० (१) भीषण । भयानक | भयंकर । (२) बहुत दढ़ा। कई बार कर्ण और शकुनि की सहायता से दुर्योधन ने इनका भीमक-संज्ञा पुं० [सं०] पुराणानुसार एक प्रकार के गण जो हत्या करने का विचार किया, पर उसे सफलता न हुई। पार्वती के क्रोध से उत्पन्न हुए थे। गदायुद्ध में भीम पारंगत थे । जब दुर्योधन ने जतुगृह में भीमकुमार-संज्ञा पुं० [सं०] भीमसेन के पुत्र घटोत्कच । पांडवों को जलाना चाहा था, तब भीम ही पहले से समा. भीमचंडी-समा स्त्री० [सं०] एक देवी का नाम । धार पाकर माता और भाइयों को साथ लेकर वहाँ से हट भीमता-संा बी० [सं० ] भीम या भयानक होने का भाव । गए थे। जंगल में जाने पर हिडिंब की बहन हिडिंबा इन भयंकरता 1 डरावनापन। उ०-कौन के तंज बलसीम भट पर आर.क. हो गई थी। उस समय इन्होंने हिडिंब को भीम से भीमता निरखि करि नैन ढाँके । —तुलसी। युद्ध में मार डाला था और भाई तथा माता की आज्ञा भीमतिथि-संज्ञा स्त्री० दे. "भीमसेनी एकादशी"। हिदिवा ये विवाह कर लिया था। इसके गर्भ में इहै भीमनाद-संज्ञा पुं० [सं०सिंह । शेर । घटोत्कच नाम का एक पुत्र भी हुआ था। युधिष्ठिर के सर- भीमपलाशी-संज्ञा स्त्री० [सं०] संपूर्ण जाति की एक संकर सूययज्ञ के समय ये पूर्व और वंगदेश तक दिग्विजय के लिये रागिनी जिपके गाने का समय २१दंश से २४ देर तक गए थे और अनेक देशों तथा राजाओं पर विजयी हुए थे। है। यह धनाश्री और पूर्वी को मिलाकर बनाई गई है। जिस समय दुर्योधन ने जूए में द्रौपदी को जीतकर भरी इसमें गांधार, धैवत और निषाद तीनों स्वर कोमल और