पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/२८५

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भीरुहृदय भीष्मकसुता भीरुहृदय-संज्ञा पुं० [सं०] हिरन । इस शर्त पर विवाह किया था कि मैं जो चाहूँगी, वही भीरू-वि० "भीरु"। करूँगी। शांतनु मे गंगा को सात पुत्र हुए थे। उन सबको संशा सं० [सं०] स्त्री। (हिं.) गंगा ने जनमने ही जल में फेंक दिया था। जश्व आठवाँ भीर*-क्रि० वि० [हिं० मिना ] समीप । नजदीक । पास । पुत्र यही देवरत उत्पन्न हुआ था, तब शांतनु ने गंगा को भील-संज्ञा पुं० [सं० भिल ] [ R० भालना ] एक प्रसिद्ध जंगली उसे जल में फेंकने से मना किया। गंगा ने कहा-"महा- जाति जो बहुत प्राचीन काल से राजपूताने, सिंध और मप राज, आपने अपनी प्रतिज्ञा तोड़ दी, अतः में जाती हूँ। भारत के जंगलों और पहाड़ों में पाई जाती है। इस जाति मैंने देवकार्य की सिद्धि के लिये आपस महवास किया के लोग बहुत वीर और तीर चलाने में सिद्धहस्त होते है। था। आप इस पुत्र को अपने पास रखें। यह बहुत वीर, ये कर, भीषण और अत्याचारी होने पर भी सीधे, सच्चे धर्मात्मा और दृढ़प्रतिश होगा और आजन्म ब्रह्मचारी और स्वामिभक्त होते हैं। कुछ लोगों का विश्वास है कि ये रहेगा।" गंगा के चले जाने पर कुछ दिनों बाद राजा भारत के आदिम निवासी है। पुराणों में इन्हें प्राह्मणी शांतनु सत्यवती या योजनगंधा नाम की एक धीवर कन्या कन्या और तीवर पुरुष में उत्पन्न संकर माना गया है। पर आसक्त हुए। पर धीवर ने कहा कि मेरी कन्या के उ.-चौदह बरष पाछे भए रघुनाथ नाथ साथ के जे गर्भ से उत्पन्न पुत्र ही राज्य का अधिकारी होना चाहिए, भील कहैं आए प्रभु देखिये ।-नि. दा०। भीम या उसकी संतान नहीं। इस पर देवव्रत ने यह संशा भी [ देश. ] तार की वह सूम्बी मिट्टी जो प्रायः भीम प्रतिज्ञा की कि मैं स्वयं राज्य नहीं लगा और न पपड़ी के रूप में हो जाती है। आजन्म विवाह ही करूँगा । इसी भीषण प्रतिज्ञा के कारण भीलभूषण-संज्ञा स्त्री॰ [सं०] गुंजा । धुंधची। उनका नाम भीष्म पड़ा । शांतनु को उस धीवर कन्या से भीलु-वि० [सं०] भीरु । डरपोक । चित्रांगद और विचित्रवीर्य नाम के दो पुत्र उत्पन्न हुए। भीलुक--संज्ञा पु० [सं०] भाट । शांतनु के उपरांत चित्रांगद को राज्य मिला; और चित्रांगद वि. भीरु । डरपोक । के एक गंधर्व द्वारा मारे जाने पर विचित्रय राजा हुए। भीव-संहा पु० [सं० भीम | भीमरन । 30-कभकरन की एक बार काशीराज की स्वयं वर-सभा में से देवव्रत अंबा, खाड़ी वृद्धत बाँचा भीव ।--जायसी । अंबिका और अबालि.का नाम की तीन कन्याओं को उठा भीष-संशा बी० [स, भिक्षा ] भीग्य । वरात । माए थे और उनमें से अंबा तथा अंबालिका का विचित्र- भीपक-वि | म०] पण । भयंकर । वर्य से विवाह कर दिया था। विचित्रवीर्य के नि:संतान मर भीपज-संज्ञा पुं० सं० भेषज ] वैद्य चिकिताका जाने पर सत्यवती ने देवव्रत से कहा कि तुन विचित्रवीर्य भीषण-वि० [सं०] (1) जो देखने में बहुत भयानक हो । भया की स्त्रियों में नियोग करके संतान उत्पन्न करो। पर देवत्रत नक । डरावना । (२) जो बहुत उम्र या दुष्ट हो। ने आजन्म ब्रह्मचारी रहने का जो व्रत किया था, उसे संज्ञा पु० [सं०] (१) भयानक रस । ( साहित्य ) (२) उन्होंने नहीं तोड़ा। अंत में वेदव्यास से नियोग कराके कुंदरू । (३) कवृतर । (४) एक प्रकार का तालवृक्ष । (५) ' अंबिका और अबालिका से धृतराष्ट्र और पांडु नामक दो शिव । महादेव । (६) सलाई । (७) ब्रह्मा । पुत्र उत्पन्न कराए गए। महाभारत युद्ध के समय देववत भीषणता-संशा मी० [सं०] भीषण होने का भाव । उरावना. . ने फौरवों का पक्ष लेकर दस दिन तक बहुत ही करता- पन । भयंकरता। पूर्वक भीषण युद्ध किया था; और अंत में अर्जुन के हाथों भीषणी-संज्ञा स्त्री० [सं०] सीता की एक सखी का नाम । घायल होकर शर-शय्या पर पड़ गए थे। युद्ध समाप्त होने उ.-श्री भूलीला क्रांति कृपा योगी ईशाना । उत्कृष्णा : पर इन्होंने युधिष्ठिर को बहुत अच्छे अच्छे उपदेश दिए थे भांपनी चंद्रिका कुरा ज्ञाना ।-प्रियादासा । जिनका उल्लेख महाभारत के शांतिपर्व में है। माघ शुक्ला भीषन*-वि० दे० "भीषण"। अष्टमी को सूर्य के उत्तरायण होने पर ये अपनी इच्छा मे भीषम*-संज्ञा पुं० दे. "भीम"। मरे थे। भीष्म-संज्ञा पुं० [सं०] (१) भयानक रस । ( साहित्य) (५) दे० "भीमक"। (२) शिव । महादेव । (३) राक्षस । (४) राजा शांतनु वि. भीषण । भयंकर । के पुन जो गंगा के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। देवयत । भीष्मक-संज्ञा पुं० सं०] विदर्भ देश के एक राजा जो रुक्मिणी गांगेय । के पिता थे। विशेष—कहते है कि कुरु देश के राजा शांतनु से गंगा ने | भीष्मकसुता-संज्ञा स्त्री० [सं०] श्रीकृष्ण की स्त्री रुक्मिणी ।