पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३०४

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पाली जाती है। इसका दूध गी के दूध की अपेक्षा गाना कपड़ों में बहुत भेद है। (६) प्रकार । किस्म । जाति । होता है और उसमें से मक्खन अधिक निकलता है। इसका जैसे,इस वृक्ष के कई भेद होते है। मांस बकरी के मांस की अपेक्षा कुछ कम स्वादिष्ट होता है, भेदक-वि० [सं०] (१) भेदन करनेवाला । छेदनेवाला । (२) पर पाश्चात्य देशों में अधिकता से खाया जाता है। इसके रेचक । दस्तावर । (वैद्यक) शरीर पर से उन बहुत निकलता है और प्राय: उसी के भेदकातिशयोक्ति-संशा स्त्री० [सं०] एक अर्यालंकार जिसमें लिये इस देश के गढ़रिए इसे पालते हैं। कहीं कहीं की "और" "और" शब्द द्वारा किसी वस्तु की 'अति' वर्णन भे आकार में बड़ी भी होती हैं और उनका मांस भी की जाती है। जैसे, और कछु चितवनि चलनि और मृयु. बहुत स्वादिष्ट होता है । इसके नर को भेडा और बच्चे को मुसकानि । और कछु सुख देति है सके न बैन अवानि । मेमना कहते हैं। इसकी एक जाति की दुम बहुत चौसी भेदकारी-संज्ञा पुं० [सं० भेदकारिन् ] वह जो भेदन करता हो। और भारी होती है जिसे दुबा कहते हैं। दे. "दुबा"। भेदनेवाला । मुहा०—भेडियाधसान-बिना परिणाम सोचे समझे दूसरों का भेदड़ी-संशा स्त्री० [ देश० ] रबड़ी । 3०-पतली पेज (भेदही, अनुसरण करना । (भेडों का यह नियम होता है कि यदि राबड़ी) में दूध या छाँछ या दही मिलाकर भर पेट खिला एक मेड किसी और को चल पड़ती है, तो थाकी सत्र भेनें दो।-प्रतापसिंह। भी चुपचाप उसके पीछे हो लेती हैं।) भेदन-संशा पुं० [सं० ] [ वि० भेदनीय, भेष } (1) भेदने की (२) बहुत सीधा या मूर्ख मनुष्य । क्रिया । छेदना । बेधना । विदीर्ण करना । (२) अमलखेत । संज्ञा स्त्री० [हिं० भिड़ाना या भेड़ना थप्पड़ मारना ] थप्पर (३) हींग । (४) सूभर।। ( बाज़ारू) वि० (१) भेदनेवाला । छेदनेवाला । (२) दस्त लानेवाला । भेड़ा-संज्ञा पुं० [हिं० भेड़ ] भेड़ जाति का नर । मेढ़ा। मेष। रेचक । दस्तावर । भेड़िया-संज्ञा पुं० [हिं० भेड़ ] एक प्रसिद्ध जंगली मांसाहारी भेदबद्धि-संशा स्त्री० [सं०] एकता का नाश या अमाव । फूट । जतु जो प्रायः सारे एशिया, युरोप और उत्तर अमेरिका में बिलगाव। पाया जाता है। यह प्रायः ३-३॥ हाथ लंबा होता है और भेदभाव-संज्ञा पुं० [सं० ] अंतर । फरक । जंगली कुसों से बहुत मिलता जुलता होता है । यह प्रायः भेदित-संज्ञा पुं० [सं०] तंत्र के अनुसार एक प्रकार का मंत्र वस्तियों के आस पास झुंड बाँधकर रहता है और गाँवों में जो निदित समझा जाता है। से भेड़-बकरियों, मुरगों अथवा छोटे छोटे बच्चों आदि को भदिनी-संज्ञा झी० [सं०] तंत्र के अनुसार एक प्रकार की शक्ति उठा ले जाता है । यह अपने शिकार को दौड़ाकर उसका जिसकी सहायता से योगी लोग षटचक्र को भेद सकते हैं। पीछा भी करता है और बहुत तेज दौड़ने के कारण शीघ्र इस शक्ति के साधन में योगी बहुत श्रेष्ठ हो जाता है। ही उसको पकड़ लेता है। यह प्रायः रात के समय बहुत भेदिया-संशा पुं० [सं० भद+श्या (प्रत्य॰)] (1) भेद लेनेवाला। शोर मचाता है। यह ज़मीन में गड्ढा या माँद बनाकर जासूस 1 गुप्तचर । (२) गुप्त रहस्य जाननेवाला । रहता है और उसी में बच्चे देता है। इसके बच्चों की आंखें भेदी-संज्ञा पुं० [हिं० भेद+ई (प्रत्य॰)] (1) गुप्त हाल बताने- जन्म के समय बिलकुल बंद रहती हैं और कान लटके वाला । जासूस । गुप्तचर । (२) गुप्त हाल जाननेवाला । हुए होते हैं। इसके काटने से एक प्रकार का बहुत तीव वि० [सं० भेदिन् ] भेदन करनेवाला । फोदनेवाला। विष बढ़ता है जिसमे बचना बहुत कठिन होता है। संज्ञा पुं० अमलबेत । सियार । शृगाल। भेदीसार-संज्ञा पुं० [सं०] बढ़इयों का एक औज़ार जिससे वे भेडी-संज्ञा स्त्री. दे. “भेड"। काठ में छेद करते हैं। बरमा । उ०-भेदि दुसार कियो भेद-संज्ञा पुं० [सं०] (1) भेदने की क्रिया । छेदने या अलग हियो तन दुति भेदीसार 1-बिहारी । करने की क्रिया । (२) प्राचीन राजनीप्ति के अनुसार शत्रु भेदुर-संज्ञा पुं० [सं०] वव्र । को वश में करने के चार उपायों में से तीसरा उपाय जिसके । भेध-वि० [सं०] भेदन करने योग्य । जो भेदा या छेदा जा सके। अनुसार शत्रु पक्ष के लोगों को बहकाकर अपनी ओर मिला संज्ञा पुं० शस्त्रों आदि की सहायता से किसी पीषित अंग या लिया जाता है अथवा उनमें परस्पर द्वेष उत्पश्च कर दिया। फोदे आदि को भेदन करने की क्रिया। चीर-फाड़। जाता है। (३) भीतरी छिपा हुआ हाल । रहस्य। भेना-संज्ञा स्त्री० [हिं० बहिन ] बहिन । (इसका शुद्ध रूप प्रायः क्रि०प्र०-देना।—पाना ।—मिलना।-लेना । मैन है।) उ.-मुंह पीट के हमसाये से कहती है कि (४) मर्म । तात्पर्य । (५) अंतर । फर्क। जैसे, इन दोनों भेना । नाहक की खराबी हैन लेना है न देना।-मज़ीर ।