पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३२९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मगद १६२० मघवा मगद-संज्ञा पुं० [सं० मुद्ग ] एक प्रकार की मिठाई जो मूंग के मारोग-संज्ञा पुं॰ [देश० ] नदी का ऐसा किनारा जिसमें बालू आटे और धी से बनती है। के साथ कुछ मिट्टी मिली हो और जो जोतने बोने के योग्य मगदरी-संज्ञा पुं० दे. "मगदल"। हो गया हो। मगदल-संज्ञा पुं० [सं० मुद्ग ] एक प्रकार का लड्डू जो मूंग मगरोसना-संज्ञा स्त्री० [अ० माज+रोशन ] Kधनी । नसबार । पा उबद के सत्त में चीनी मिलाकर घी में फेटकर बनाया मगली परंड-संशा पुं० [देश० मगली+हिं. एरंड ] रतन जोत । जाता है। बागबेरडा। मगदा-वि० [सं०मग+दा (प्रत्य॰)] सार्ग-प्रदर्शक | रास्ता दिख- मगलूब-संज्ञा पुं० [फा०] 'चौबीस शोभाओं में से एक । (संगीत) लानेवाला । उ.- मगदा पग अंधन को तुम चालिबो | वि. जो जीत लिया गया हो। पराजित । आछेनहूँ को निवारेउ ।-विश्राम । | मगस-संशा पुं० [ देश० ] पेरे हुए ऊखों का साठी । खोई। मगदूर*-संशा पुं० दे० "मकदूर"। ___ संशा पुं० [सं०] शकला का एक प्राचीन योद्धा जाति का नाम । मगध-संज्ञा पुं० [सं०] (१) दक्षिणी बिहार का प्राचीन नाम । मगसिरा-संज्ञा पुं० [सं० मार्गशीर्ष ] अगहन मास । वैदिक काल में इस देश का नाम की कट था। (२) इस माह -संज्ञा पुं० [सं० मगध ] मगध देश । देश के निवासी । (३) राजाओं की कीर्ति का वर्णन ! मगहपति*-संज्ञा पुं० [सं० मगधपति] मगध देश का राजा, जरासंध । करनेवाले, चंदीजन । मगध । मगहय -संशा पुं० [सं० मगध ) मगध देश । उ०-युद्धामन्यु मगधेश-संज्ञा पुं० [सं०] मगध देश का राजा, जरासंध। । अलंबु उल्लूका । मगहय बंधु चतुर अहि भूफा । --सबल । मगधेश्वर-संज्ञा पुं० दे. "मगेधेश"। मगहर --संज्ञा पुं० [सं० मगध ) मगध देश । उ०—सोमगहर मगन-वि० [सं० मम ] (1) दुबा हुआ । समाया हुआ। (२)! मह कीन्हों थाना । तहाँ बसत बहु काल बिताना ।- प्रसमा । हषित । खुश । (३) बेहोश । मूर्छित । (४) रघुराज । लीन । वि.दे. "मन"। | मगही-वि० [सं० मगह+ई (प्रत्य॰)] (1) मगध संबंधी । मगना+-कि० अ० [सं० मग्न ] (3) लीन होना। तन्मय होना। मगध देश का । (२) मगह में उत्पन्न । (२) बना। उ०—तुलसी लगन लै दीन मुनिन्ह महेश, यौ--मगही पान-मगध देश का पान जो सबसे उत्तम समझा आनंद रंग मगे| तुलसी। जाता है। वि० दे० "पान"। मगमा-संज्ञा पुं० [ देश ] काग़ज़ बनाने में उसके लिये तैयार ! मगु -संज्ञा पुं० [सं० मार्ग ] .ग । मार्ग।पथराहा रास्ता । किए हुए गूदे को धोने की क्रिया। मगार-संज्ञा स्त्री० [देश॰] सींगी की तरह की एक प्रकार की मगर-संक्षा पुं० [सं० मकर ] (1) धनियाल नामक प्रसिद्ध जल मछली जो बिना छिलके की और कुछ लाली लिये काले अंतु। (२) मीन । मछली। (३) मछली के आकार का रंग की होती है। यह इंक मारती है। मंगुर । मैंगुरी। कान में पहनने का एक गहना। (५) नेपालियों की एक ममा-संज्ञा पुं० [सं० मार्ग ] राह । रास्ता । मग । मार्ग । जाप्ति । 'मग्ज-संश पुं० [अ०] (1) मस्तिष्क । दिमाग। भेजा । (२) अन्य. लेकिन । परंतु । पर । जैसे-आप कहते हैं मगर किसी फल के बीज की गिरी । मींगी । गूदा । जैसे, यहाँ सुनता कौन है? मुहा०--अगर मगर करना आनाकानी करना । होला हवाला । मुहा०—के लिये दे. "मगज" । करना। मजरोशन-संशा स्त्री० [फा०] सँधनी। नास । वि.दे."Kधनी"। मगरधर-संद्या पुं० [सं० मकर+घर ] समुद्र । (डि.) मग्न-वि० [सं०] (1) मा हुआ। निमजित । (२) तन्मय । मगरब-संज्ञा पुं० [अ०) पश्चिम । लीन । लिसा । (३) प्रसा। हर्षित । खुश । (४) नशे आदि यौ०--मगरब की नमाज-वह नमाज़ जो सूर्य अस्त होने के में चूर । मदमस्त । (५) नीचे की ओर गिरा या दलका समय पढ़ी जाती है। हुआ जो उमत न हो। जैसे, मन नासिका । मन्न स्तन । मगरबाँस-संज्ञा पुं० [हिं० मगर ?+बॉस] एक प्रकार का काँटेदार संज्ञा पुं० एक पर्वत का नाम । बोस जो कोंकण और पश्चिमी घाट में अधिकता से होता है। मघ-संशा पुं० [सं०] (1) पुरस्कार । इनाम । (२) धन । संपत्ति। मगरमच्छ-संज्ञा पुं० [हिं० मगर+मछली ] (1) मगर या पति (३) एक प्रकार का फूल । पुराणानुसार एक द्वीप का नाम ___ याल नामक प्रसिद्ध जल-जंतु । (२) बड़ी मछली। जिसमें ग्लेच्छ रहते हैं। मगरूर-वि० [अ० ] पमंडी। अभिमानी। मी -वि. दे. "मगही"। मगरूरी-संज्ञा स्त्री० [अ० मगरूर-+६ (प्रत्य॰)] पर। अभिमान । मघघा-संज्ञा पुं० [सं० मघवन् ] (1) ईछ। (२) जैनों के बारह