पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३४९

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मधुमक्षिका २६४० मधुर विशेष-दस हज़ार से पचास हज़ार तफ मधुमक्खियाँ एक घी में भूनकर और ऊपर से शहद में लपेटकर बनाया साथ एक घर बनाकर रहती है, जिसे छसा कहते हैं। इस जाता है। वैद्यक के अनुसार यह बलकारक और भारी छत्ते में मक्खियों के लिये अलग अलग बहुत से छोटे छोटे होता है। घर बने होते है। प्रत्येक छत्ते में तीन प्रकार की मधु- मधुमारखी-संज्ञा स्त्री० दे. "मधुमक्वी"। मक्षियों होती हैं। एक तो माम मक्खी होती है जो रानी मधुमात-संशा पुं० [सं०] एक राग जो भैरव राग का सहचर कहलाती है। इसका काम केवल गर्भ धारण करके अंई माना जाता है। देना होता है। यह दिन में प्रायः दो हज़ार अंडे देती मधुमात सारंग-संज्ञा पुं० [सं०] सारंग राग का एक भेद है। प्रत्येक पत्ते में ऐसी एक ही मक्खी होती है। साधारण जिसके गाने का समय दिन में १७ दंड से २० दंड तक मश्वियों की अपेक्षा यह कुछ बड़ी भी होती है। दूसरी माना जाता है। यह संकर राग है और सारंग तथा मधु- जाति नर मविश्वयों की होती है, जिनका काम रानी को मात के योग से बनता है। गर्भ धारण कराना होता है। और तीसरे वर्ग में वे साश- मधुमाधव-संज्ञा पुं० [सं०] मालश्री, कल्याण और मल्लार के मेल रण मकिग्वाँ होती है जो फलों का रस पी पीकर आती है से बना हुआ एक संकर राग। और उन्हें शहद या मधु के रूप में छसे में जमा करती है। मधुमाधवलाग्ग-संज्ञा पुं० [सं० ] ओशव जाति का एक संकर जब नर मक्खियाँ गर्भ-धारण का काम करा चुकती हैं, तब राग जिसमें धैवत और गांधार वर्जित हैं। उन्हें तीसरे वर्ग की साधारण मवियों मार डालती है। । मधुमाधवी-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) एक रागिनी जो भैरव राग इसके अतिरिक्त छत्ता घनाने और नवजात मक्खियों के की सहचरी मानी जाती है। हनुमत के मत से इसका पालन पोषण का काम भी इसी तीसरे वर्ग की मक्खियाँ स्वरग्राम इस प्रकार है-म प ध नि सा रे ग म अथवा करती हैं। मादा और काम करनेवाली मक्खियों का बैंक म पनि सागम। (२) वासंती लता। (३) एक प्रकार जहरीला होता है जिससे वे अपने शत्रु को मारती है। की शराब। जब एक छत्ता बहुत भर जाता है, तब रानी मक्खी की मधुमाध्वीक-संज्ञा पुं० [सं०] मय । शराव । आज्ञा से काम करनेवाली मश्वियाँ किसी दूसरी जगह मधमारक-संज्ञा पुं० [सं०] भौंरा । जाकर नया छत्ता बनाती है। शहद में से जो मैल निकलती मधुमालती-संज्ञा स्त्री० [स०] मालती नाम की लता जिसके है, उसी को मोम कहते हैं। बहुत प्राचीन काल से प्रायः फूल पीले होते हैं। वि.दे. "मालती"। सभी देशों में लोग शहद और मीम के लिये इनका पालन मधमल-संशा पुं० [सं०] रतालू। करने आए है। मधुमेह-संज्ञा पुं० [सं० ] किसी प्रकार के प्रमेह का बढ़ा हुआ मधुमक्षिका-संशा पा० [सं० शहद की मकवी । मधुमकावी । रूप जिसमें पेशाब बहुत अधिक और मधु का सा मीठा मधुमन-संज्ञा पुं० [सं०] महाभारत के अनुसार एक प्राचीन देश तथा गादा आता है। यह रोग प्राय: असाध्य माना जाता का नाम जो काश्मीर के पास था। है और इससे रोगी की प्रायः मृत्यु हो जाती है। वि. मधुमती-संज्ञा स्त्री० [सं०] (१) एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक दे. "प्रमेह"। घरण में दो नगण और एक गुरु होता है। (२) एक प्राचीन मधमेही-संज्ञा पुं० [सं०मधुमहिन् ] जिसे मधु मेह रोग हो । नदी का नाम । (३) तांत्रिकों के अनुसार एक प्रकार की मधयष्टि-संज्ञा स्त्री० [सं०] (१)मुलेठी। जेठी मद। (२) ऊख । ईख। नायिका जिसकी उपासना और सिद्धि से मनुष्य जहाँ चाहे, मध्यष्टिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] मुलेठी। वहाँ आ जा सकता है। (४) पतंजलि के अनुसार समाधि लि के अनुसार समाधि मधुयष्टी-संज्ञा स्त्री० [सं० ] मुलेठी। की वह अम्मा जो अभ्यास और वराग्य के कारण रजः मधर-वि० [सं०]()जिसका स्वाद मधु के समान हो । मीठा। और तम के बिलकुल दूर हो जाने और सत्गुण का पूरा (२) जो सुनने में भला जान पड़े । जैसे, मधुर वचन । (३) प्रकाश होने पर प्राप्त होती है । (५) गंगा का एक नाम । सुदर । मनोरंजक । उ०-सोइ जानकी-पति मधुर मूरति (६) मधु दैत्य की कन्या का नाम जो इक्ष्वाकु के पुत्र हर्यश्व मोदमय मंगल मई।-तुलसी। (४) सुस्त । मदर (पशु)। को म्याही थी। (७) पुराणानुसार नर्मदा की एक शाखा (५) मंदगामी। धीरे चलनेवाला । (६) जो किसी प्रकार का नाम । मलेशप्रद न हो। हलका। उ.--मधुर मधुर गरजत धन मधमथन-संज्ञा पुं० [सं०] विगु । घोरा । तुलसी । (७) शान्त । मधुमल्ली-संशा स्त्री० [सं०] मालती। संज्ञा पुं. (१) मीठा रस । (२) जीवक वृक्ष। (३) लाल मधुमस्तक-संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का पकवान जो मैदे को उस । (७) गुरु। (५) धान । (६) स्कंद एक सैनिक