पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३५०

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मधुर्रा २६४१ मधुलोलुए . का नाम । (७) लोहा । (4) विष ! जहर । (२) काकोली। मधुगाई*-संज्ञा स्त्री० [हिं० मधुर+आई (प्रत्य॰)] (१) मधुस्ता । (10) जंगली बेर (1) बादाम का पेड़। (१२) महुआ। (२) मिठास । मीठापन । (३) कोमलता । (५) सुदरता । (१३) मटर । .. मधुराकर-संशा पुं० [सं०] ईख । ऊरष । मधुर्स*-संशा स्त्री० [हि. मधुर+ई (प्रत्य०) ] (1) मधुर होने : मधुराज-संज्ञा पुं० [सं०] भौरा । उ०-छूटि रही अलक झलक का भाव । मधुरता । (२) मिठास । मीठापन । (३) सुकु- ' मधुराज राजी ताप द्विति तैसीये बिराजै पर मोर की।- मारता । कोमलता। रघुनाथ । मधुरकंटक-संज्ञा पुं० [सं० ] एक प्रकार की मछली जिसे कजली मधुराना*-क्रि० अ० { हिं० मधुर+आना (प्रत्य॰) । (१) किसी वस्तु में मीठा रस आ जाना । मीठा होना । उ०-व्यंग मधुरक-संशा पु० [सं० जीवक वृक्ष । ढंग तजि बानी हु कछु कछु मधुरानी ।-पाम । (२) मधुरकर्कटी-संज्ञा स्त्री० [सं० ] मीठा नीबू । सुदरता मे भर जाना । सुवर हो जाना 1 30-आगे कोन मधुरजंबीर-संज्ञा पुं० [सं० ] मीठा जमीरी नीबू । हवाल जबै अंग अंग मधुर । -यास । मधुरज्वर-संज्ञा पुं० [सं०] धीमा और सदा बना रहनेवाला 'मधुरामलक-संज्ञा पुं० [सं०] अमदा। ज्वर जो वैद्यक के अनुसार अधिक घी आदि खाने अथवा मधुराम्लरस-संज्ञा पुं० [सं०] नारंगी का पेड़। पसीना रुकने के कारण होता है। इसमें मुँह लाल हो . मधुरालापा--संज्ञा स्त्री० [सं०] मैना पक्षी । जाता है, ताल और जीभ सूग्व जाती है, नींद नहीं आती, मधुगलिका-संशा स्त्री० [म० ] एक प्रकार की छोटी मछल्लो । प्यास बहुत लगनी और के मालूम होती है। मधुरिका-संशा स्त्री० [म. सौंफ । मधुरता-संज्ञा स्त्री [सं० ] (१) मधुर होने का भाव । (२) मधुरिपु-संज्ञा पुं० [सं०] विष्णु मिठास । (३) सौंदर्य । सुदरता । मनोहरता। (४) सुकु- मधुरिमा-संज्ञा स्त्री० [म. मधुरिमन् ] (1) मिठास । मीठापन । भारता । कोमलता। (२) सुदरता । सौंदर्य । मधुरत्रय-संशा पुं० [सं०] शहद, घी और चीनी इन तीनों वि. जो बहत अधिक मीठा हो। का समूह। मधुरी*-संशा स्त्री० [ सं० माधुर्य ] (1) सौंदर्य । सुदरता । उ.-- मधुत्रिफला-संक्षा स्त्री० [सं०] दाख या किशमिश, गंभारी और ता दिन देख परी सब की सधि कौन मिली इनकी मधुरी खजूर इन तीनों का समूह । में। रघुराज । (२) बहुत प्राचीन काल का एक प्रकार मधुरत्व-संशा पुं० [सं०] (1) मधुर होने का भाव । मधुरता। का बाजा जो मुंह से फूंककर बजाया जाता था। (२) मीठापन । मिठास । (३) सुदरता । मनोहरता । मधुरील-संझा पुं० [हिं० मधु+राछ ] दक्षिणी अमेरिका का एक मधुरत्वच-संशा पुं० [सं.] धौ का पेड़। जंगली जनु जो ऊँचाई में बिल्ली या कुसे के बराबर और मधुरफल-संज्ञा पुं० [सं०] (1) बैर का वृक्ष । (२) तरबज । रूप में रीछ के समान होता है। यह तु शहद के छत्ती मधुरफला-संज्ञा स्त्री० [सं०] मीठा नीबू । मे शहद चूपने का बड़ा प्रेमी होता है। इसीसे इसे लोग मधुर बिंधी-मजा स्री० [सं०] कुंदरू। मधुरी कहते है। मधुरस-संशा पुं० [सं० ! ईख । ऊख । मधदक-संशा पं० [सं० 1 पुराणानुसार सात समुद्रों में से मधुरसा-संशा स० [सं०] (1) मूर्चा । (२) दान्य । (३) अतिम समुद्र जो मीठे जल का है और जो पुष्कर द्वीप के गंभारी। (४) दुधिया (५) शतपुष्पी। (६) प्रसारिणी चारों ओर है। लता। मधुल-संज्ञा पुं० [सं०मदिरा । मधु-रसिक-संज्ञा पुं० [सं०] भौरा । मधुलग्न-संज्ञा पुं० [सं०] लाल शोभांजन । मधुरस्त्रवा-संज्ञा स्त्री० [सं०] पिंड खजूर। मधुलता-संजा स्त्री० [सं०] एक प्रकार की घास जिम शूली भी मधुरस्वर-संशा पुं० [सं० ] गंधर्व मधुग-संज्ञा स्त्री० [सं०] (१) मदरास प्रांत का एक प्राचीन नगर जो मधुलिका-संझ श्री. [सं०] (1) एक प्रकार की शराय जो अब मडुरा या मदूरा कहलाता है। (२) मधुरा नगर ।(३) मधु-जी नामक गेहूँ से बनाई जाती है । (२) राई । (३) शतपुरकी । (१) मीठा नी । (५) मेदा । (६) मुलेठी। कार्तिकेय की एक मातृका का नाम । (1) फूलों का पराग। (७) काकाली। (4) सताधर । (९) महामेदा। (१०) मधुली-संझा पु० [सं० मधुलिका ] भावप्रकाश के अनुसार एक पालक का साग। (11) मेम । (२) केले का वृक्ष प्रकार का गेहूँ। (१३) मसूर । (१४) मीठी खजूर । (१५) सौंफ। मधुलोलुप-संज्ञा पुं० [सं०] भौंरा।