पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३५१

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मधुघटी २६४२ मध्य मधुवटी-संज्ञा स्त्री० [सं० ] महाभारत के अनुसार एक प्राचीन मधुसूदन-संज्ञा पुं० [सं० ] (१) मधु नामक दैत्य को मारनेवाले, स्थान का नाम । श्रीकृष्ण । (२) भीरा । मधुवन-सशा पुं० [सं० ] (1) मथुरा के पास यमुना के किनारे , मधुसूदनी-संज्ञा स्त्री० [सं०] पालक का साग । का एक वन जहाँ शत्रुघ्न ने लवण नामक देष्य को मारकर मधस्कंद-संज्ञा पुं० [सं०] पुराणानुसार एक तीर्थ का नाम । मधुपुरी स्थापित की थी। (२) किष्किन्धा के पास का मधस्थान-मधुमक्खी का छत्ता। सुग्रीव का वन जिसमें सोता का समाचार लेकर लौटने : मधस्पंदी-संशा स्त्री० [सं०] प्राचीन काल का एक प्रकार का पर हनुमान ने मधु-पान किया था। (३) वह वन या कुंज बाजा जिसमें तार लगा रहता था। जिसमें प्रेमी और प्रेमिका आकर मिलते हों। (४) कोयल। मधुस्यंद-संज्ञा पुं॰ [सं०] विश्वामित्र के एक पुत्र का नाम । मधुवर्ण-संश। पुं० [सं०] कार्तिकेय के एक अनुचर का नाम। मधुम्रव-सज्ञा पुं० [सं०] (1) महुए का वृक्ष । (२) पिड. मधुवल्ली-संशा स्त्री . [ सं०] (१) मुलेठी । (२) करेला । खजूर का वृक्ष। मधुवामन-संशा पुं० [सं०] भौंरा । उ.-मधुप मधुव्रत मधु- मधुवा-संशा पुं० [सं० मधुम्रवम् ] महुए का वृक्ष । रसिक मधुबामन यग ओर ।-नंददास । संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) सजीवन वृटी । (२) मुलेठी । मधुवार-संज्ञा पुं० [सं०] (१) मद्य पीने का दिन । (२) मद्य (३) मूर्वा । (४) हंसपदी नाम की लता। पीने को रीति । (३) मघ । मदिरा। मधुस्राव-संशा पुं० [सं०] महुए का वृक्ष । मधुवाही-सज्ञा पुं॰ [ स० मधुवाहिन् ] महाभारत के अनुसार एक ! मधुस्वर-संज्ञा पुं० [सं० ] कोयल । प्राचीन नद का नाम ।

मधहंता-संज्ञा पुं० स० मधुहंती मधु दैत्य को मारनेवाले, विष्णु ।

मधुवीज-संशा पु० [सं०] अनार । मधुहेतु-संशा पुं० [ स०] कामदेव । मधुवत-संज्ञा पुं० [सं०] भौंरा। मधूक-संज्ञा पुं० [सं०] (१) महुए का पेड़ । (२) महुए का मधु-शकंग-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) शहद से बनाई हुई चीनी फूल । उ०-पहिराई नल के गले नव मधूक की माला- जो वैधक के अनुसार बलकारक और वृष्य होती है। गुमान । (३) मुलेठी। पर्या-माध्वी । सिता । मधुना । क्षौद्रजा । क्षौदशर्करा। मधूकपर्णा-संज्ञा स्त्री० [सं० ] अमदा । (२) सेम । लोबिया। मधूकरी-संशा स्त्री० दे० "मधुकरी"। मधुशाक-सज्ञा पुं० [सं०] महुए का वृक्ष ।

मधूक शर्करा-संज्ञा स्त्री० [सं०] महुए के फल. या फूल से

मधुशिग्नु-संशा पुं० [सं०] शोभाजन । सहि जन । निकाली हुई चीनी। मधुशिता-संशा सी० [सं० ] बम । लोषिया ।

मधूख-संज्ञा पुं० दे० "मधूफ"।

मधुशिष्ठ-संशा पुं० [सं०] मोम । . मधूच्छिम-संशा पुं० [सं०] मोम । मधुशेष-संज्ञा पुं० [सं०] मोम । मधूत्थ-संज्ञा पुं० [सं० मोम । मधुश्रम-संज्ञा पुं० [सं० मधुसवा ] सजीवन मूरि । सजीवन मधूस्थित-संशा पुं० [सं० ] मोम । यूटी। ( नंददास) .मधूत्पन्ना-संज्ञा स्त्री० [सं० ] शहद से बनाई हुई चीनी। मधुश्रेणी-संशा स्त्री० [सं० मा। ' मधूत्सव-संज्ञा पुं० [सं०] (१) वसंतोत्सव । (२) चैत्र की मधुश्वासा-सशा स्त्री० [सं०] जीवंती नामक वृक्ष । पूर्णिमा । मधुष्टाल-संज्ञा पुं० [सं०] महुए का वृक्ष । मधूल-संज्ञा पुं० [सं० ] जल-महुआ। मधुसंभव-शा पुं० [सं० ] (१) मोम (२) दाग्य । मधूलक-संज्ञा पुं० [सं०] (1) जल-महुआ। (२) मद्य । शराब । मधुसरव-संशा पुं० [सं० 1 कामदेव । मधूलिका-संशा स्त्री० [सं०] (१) मूर्वा । (२) मुलेठी। (३) मधुसहाय-संशा पुं० [सं०] कामदेव । एक प्रकार का मोटा अन्न । (४) छोटे दाने का गेहूँ। (५) मधुसारथि-संशा पु० [सं० ] कामदेव । छोटे दाने के गेहूँ से बनी हुई शराब। (६) एक प्रकार की मधुसिक्थक-सशा पु० [स० ] (१) मोम । (२) एक प्रकार घास । (७) एक प्रकार की मक्खी जिसके काटने से सूजन का स्थावर विष। और जलन होती है। (वैद्यक) मधुसुक्त-संशा पुं० [सं०] वैद्यफ के अनुसार एक प्रकार का रस मधूली-संशा पुं० [सं०] (1) आम का पेड़। (२) जल में जो विपली मूल को एक बर्तन में बंद करके तीन दिन सक उत्पन्न होनेवाली मुलेठी । (३) मध्य देश का गेहूँ। धूप में रखने से तैयार होता है।

मधूधक-संज्ञा पुं० [सं०] मोम ।

मधुसुहद्-संशा पु० [सं०] कामदेव । मध्य-संज्ञा पुं० [सं०] (1) किसी पदार्थ के बीच का भाग।