पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३८३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मलसी २६७४ मलावह मलसी-संज्ञा स्त्री० [हिं० मलसा ] मिट्टी का बर्तन जिसमें प्रायः मलानि -संज्ञा स्त्री० दे. "मलानि"। उ.-जानि जिय अनुमान- मुसलमान स्थाना पकाते है। ही सिय सहस विधि सनमानि । राम सदगुन धाम परमित मलसूत-संज्ञा पुं० [अ० मबसूत ] भारी बोझ उठाकर गादी वा भई कछुक मलानि । -तुलसी। नाव आदि पर लादने का यत्र । गीध । दमकला। मलापह-वि० [सं० ] [ स्त्री० मलापहा ] (1) मलनाशक । मल मलहंता-संज्ञा पुं० [सं० मलहंत ] सेमल का मूसल । दूर करनेवाला । (२) पापनाशक । मलहम-संज्ञा पुं० [अ० मरहम् ] ओषधियों के योग से बना हुआ | मलाबार-संज्ञा पुं० [सं० मलय+चार-किनारा ] भारत के दक्षिणी चिकना चपकीला लेप जो घाव, फोड़े आदि पर लगाया प्रांत का वह प्रदेश जो पश्चिमी समुद्र के किनारे पर है। जाता है । मरहम। यह प्रदेश पश्चिमी घाट के पच्छिमी समुद्र के तट पर है। मलहर--संगा पुं० [सं० ] जमालगोटा । जयपाल । मलामत-संज्ञा स्त्री० [अ०] (1) लानत । फटकार । दुतकार । मलहा-संशा स्त्री० [सं० ] हरिवंश के अनुसार राजा रौद्राय की । उ.-आया रोज क्यात मलामत से पाक हुए, रहेगी ___ कन्या का नाम । सलामत सुदाई आप आपते । मलहारक-संशा पुं० [सं०] भंगी । मेहतर। यौ०-लानत मलामत । मला-संशा स्त्री० [सं०] (1) चमड़ा । (२) चमड़े से बना हुआ (२) किसी पदार्थ में का निकृष्ट या खराब अंश । गंदगी। पदार्थ । (३) कसकुट । (४) भु(विला । (५) विच्छू क्रि० प्र०-निकलना। का ढंक । (६) आँबा हलदी। मलामती-वि० [फा०] (9) जो मलामत करने के योग्य हो। मलाई-संज्ञा स्त्री० [ देश० ] (१) दूध की साढ़ी। उ०-छाछ, दुतकारने या फटकारने योग्य । (२) घृणित । जघन्य । को ललात जैसे राम नाम के प्रसाद खात खून सात सौंधे ' मलार-संज्ञा पुं० [सं० मलार ] संगीत शास्त्रानुसार एक राग का दूध की मलाई है। तुलसी। नाम । कुछ आचार्य इसे छः प्रधान रागों के अंतर्भूत विशेष---जब दूध हलकी आँच पर गरम किया जाता है, तब मानते हैं, पर दूसरे इसके बदले हिडोल या मेघ राग को वह गादा होता जाता है और उसके ऊपर सार भाग की स्थान देते हैं। यह राग वर्षाऋतु में गाया जाता है। एक हलकी तह उमती जाती है । यही तह बार बार जमने बेलावली, पूरबी, कान्हवा, माधवी, कोरा और केदारिका ये से मोटी हो जाती है। इसी को मलाई कहते हैं। यह इसकी रागिनियाँ हैं। यह संपूर्ण जाति का राग है और मुलायम और चिकनाई से भरी होती है। जमाए जाने पर : इसके गाने की ऋतु वर्षा और समय रात का दूसरा पहर इसी मलाई को मथकर मसका निकाला जाता है। है। संगीत-सारवाले ने इसे मेघ राग का छठा पुत्र माना क्रि० प्र०-आना ।-जमना-पढ़ना। है। इसका रंग श्याम, आकृति भयानक, गले में साँप की (२) सार तत्व । रस। 3.-भूरि दई विष भूरि भई माला पहने, फूलों के आभूषण धारण किये सनीक बतलाया प्रहलाद सुधाई सुधा की मलाई । (३) एक रंग का नाम गया है। इसका स्थान विध्याचल, वस्त्र केले का पत्ता और जो बहुत हलका बादामी होता है। मुकुट केले की कलिका कही जाती है। इसका अन धनुष, संशा स्त्री० [हिं० मलना ] (१) मलने की क्रिया वा भाव । कटारी और छुरा लिखा है। उ०-पूस मास सुनि सखिन (२) मलने की मजदूरी। पैसाई चलत सवार । गहि कर बिन परवीन तिय राग्यौ मलाकी-संज्ञा पुं० [सं० मलाकर्षिन् ] [स्त्री. मलाकर्षिणी] भंगी। राग मलार ।-बिहारी। मेहतर। मुहा०-मलार गाना बहुत प्रसन्न होकर कुछ कहना, मलाका-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) कामिनी स्त्री । (२) वेश्या । विशेषतः गाना । जैसे,—आप दिन भर घर पर बेठे मलार (३) तूती । (४) हथिनी। गाया करते है। मलाट-संशा पुं० [देश॰] एक प्रकार का मोटा घटिया काग़ज | मलारि-संक्षा पुं० [सं० ] क्षार । जो प्रायः खाकी रंग का होता है और कागजों के बंडल | मलारी-संज्ञा स्त्री० [सं० मल्लारी ] वर्मत राग की एक रागिनी धाँधने या इसी प्रकार के और कामों में आता है। का नाम। मलान*-वि० दे. "म्लान" | उ.-(क) बरष धारि दस विपिन | मलाल-संज्ञा पुं० [अ० ] (1) दुःख । रंज। बसि फरि पितु पचन प्रमान । आइ पायें पुनि देखिहउँ | मुहा०-मलाल निकालना-मन में दवा हुभा दुःख कुछ बक मन जनि करसि मलान ।-सुलसी। (ख) सुनि सजनी सककर दूर करना। सुर भान है अति मलान मतिमंद। पूनो रजनी में जु गिलि (२) उदासीनता । उदाती। देत उगिलि यह चंद । - स.। | मलापह-संशा पुं० [सं० ] मनु के अनुसार पापों की एक कोटि