पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३८६

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मल्लक २६७७ मल्लिकामोद है। (२) ईव युद्ध करनेवाला । पहलवान । पट्टा । (३) संज्ञा पुं॰ [देश॰] (1) जुलाहों के हत्था नामक औज़ार का मनुस्मृति के अनुसार एक प्रात्य क्षत्रिय जाति का नाम । ऊपरी भाग जिसे पकड़कर वह चलाया जाता है । (२) एक (४) ब्रह्मवैवर्त के अनुसार लेट पिता और तीवरी माता से प्रकार का लाल रंग जो करड़े को लाल वा गुलाबी रंग के उत्पा एक वर्ण संकर जाति का नाम । (५) परशर पति माठ में बचे हुए रंग में डुषाने से आता है। के अनुसार कुंदकार पिता और तंतुवाय माता से उत्पन | मल्लार-संज्ञा पुं० [सं०] मलार नामक राग। वि.दे. "मलार"। एक वर्णसंकर जाति । (६) पात्र । (७) कोल ! (0) एक मल्लारि-संज्ञा पुं० [सं०] (1) कृष्ण । (२) शिव । प्रकार की मछली । (१) एक प्राचीन देश का नाम जो ! संज्ञा स्त्री० दे. "मल्लारी"। विराट देश के पास था। (१०) दीप । उ०-दग दगाति | मल्लारी-संज्ञा स्त्री० [सं०] वसंत राग की एक रागिनी का नाम । जो मल्ल सी अग्नि राशि को कांति । सोई मणि माणिक हलायुध ने इसे मेध राग की रागिनी और आइव जाति विषे, कोतिरंग की भाँति ।-परीक्षा। को माना है और ध, नि, रि, ग, म, ध इसका स्वरमाम मल्लक-संज्ञा पुं० [सं०] (1) दाँत । (२) दीवट । चिरागदान । बतलाया है। (३) दीप । दीया। (४) नारियल के छिलके का बना हुआ | मल्लाह-संज्ञा पुं० [अ० ] [स्त्री. मलाहिन ] एक अन्त्यज जाति जो पात्र । (५) बसेन । पात्र । (६) इब्ने वा संपुट का पल्ला। नाव चलाकर और मछलियों मारकर अपना निर्वाह करती मल्लक्रीड़ा-संज्ञा स्त्री० [सं० ] मल्लयुन्छ । कुश्ती। है। केवट । धीवर । माझी। मल्लखंभ-संज्ञा पुं. दे. "मलखम"। मल्लाही-वि० [फा०] मल्लाह संबंधी । मल्लाह का । मल्लज-संज्ञा पुं० [सं०] काली मिर्च।। मुहा०-मल्लाही काँटा लोहे का एक कॉटा जिसका सिर निपटा मल्लतरु-संज्ञा पुं० [सं०] पियाल या पियार का पेड़। चिरौंजी। करके मोड़ा वा घुमाया होता है। ऐसा काटा नाव की परियो मल्लताल-संशा पुं० [सं०] संगीत शाखानुसार एक ताल का नाम के जड़ने में काम आता है। जिसमें पहले चार लघु और फिर दो दुत मात्राएँ होती हैं। संज्ञा ली. मलाह का काम या पद। यह ताल के आठ मुख्य भेदों में से एक माना जाता है। मल्लि-संज्ञा पुं० [सं०] जैन शास्त्रानुसार 'चौबीस जिनों में उनी- मल्लनाग-संज्ञा पुं० [सं० ] कामसूत्र के रचयिता वाल्यायन का सबै जिन का नाम । इन्हें मल्लिनाथ कहते है। एक नाम। संज्ञा स्त्री० [सं० ] मलिका । मल्लभूमि-संज्ञा स्त्री० [सं०] (१) मलद नामक देश । (२) कुश्ती : मल्लिक-संज्ञा पुं० [सं०] (1) एक प्रकार का हंस जियके पैर और लड़ने की जगह । अखाड़ा। चोंच काली होती है। (२) जोलाहों की दरका । (३) माघ मल्लयुद्ध-संज्ञा पुं॰ [सं०] परस्पर द्वंद्व युद्ध जो बिना शस्त्र के का महीना। केवल हाथों से किया जाय । बाहुयुद्ध । कुश्ती। संशा पुं० दे. "मलिक"। पर्या०-नियुद्ध । बाहु-युद्ध । मल्लिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] (१) एक प्रकार का बेला जिये मोनिया विशेष-यह युद्ध प्राचीन मल्ल जाति के नाम से प्रख्यात है। कहते हैं। वैद्यक में इसका स्वाद कड़वा और चरपरा, प्रति इस जाति के लोग अखाड़ों में व्यायाम और युद्ध किया करते गरम और गुण हलका, व.यंत्रीक, वात-पिस-नाशक, थे। महाभारत काल में इनकी युद्ध-प्रणाली को राजा लोग अरुचि और विष में हितकर तथा रण और कोई का नाशक इतना पसंद करते थे कि प्रायः सभी राजाओं के दरबार में लिखा है। इसका फूल सफेद और गोल तथा गंध मनोरम मल नियुक्त किए जाते थे और उन्हें अखाड़ों में लाया होती है। कुछ लोग भ्रमवश इसे धमेली समझते हैं। जाता था। कितने लोग मालों को रखकर उनमे स्वयं शिक्षा (२) आठ अक्षरों का एक वर्णिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में प्राप्त करते थे और मल्ल युद्ध में निपुणता य गौरव की रगण, जगण और अंत में एक गुरु और एक लघु होता है। बात मानी जाती थी । जरासंध और भीम मल्लयुद्ध के बड़े उ.-एक काल रामदेव । सोधु बंधु करत सेव । शोभिजे व्यसनी थे। जरासंध के यहाँ मल्लों की एक सेना भी थी। सबै सो और । मंत्रि मित्र और ठोर। (३) सुमुधी वृति का मल्लविद्या-संझा स्त्री० [सं०] कुश्ती की विद्या । मल्लयुद्ध की एक नाम। विधा। मल्लिकाक्ष-संश पुं० [सं०] (1) एक प्रकार का घोड़ा जिसकी मल्लशाला-संशा स्त्री० [सं०] मल्लयुद्ध करने का स्थान । मल्ल आँख पर सफेद धब्बे होते हैं। (२) घोड़े को ऑग्य पर के भूमि । अस्वाहा। सफेद धब्बे । (३) एक प्रकार के हंस का नाम । मल्ला-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1)खी। (२) मल्लिका । चमेली । वि० सफेद आँखवाला । कजा। (३) एक लता का नाम । पत्रवल्ली । मलिकामोद-संज्ञा पुं० [सं०] साल के साठ मुख्य भेदों में से ६७०