पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३९९

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महाकुंड २६९० महाधक जल महाड-संज्ञा पुं० [सं०] शिव के एक नुचर का नाम । कठिनता से अच्छा हो । जैसे, प्रमेह, कोढ़, भगंदर, बवा- महाकुमार-संज्ञा पुं० [सं०] राजा का पथ से बड़ा पुत्रायुाज । सीर आदि । (३) एक प्रकार की औषध जो सोंठ, पीपल महाऋमुदा-संक्षा स्त्री० [सं०] गंभारी । और गोलमिर्च आदि से बनती है। महाकुल-संज्ञा पुं० [सं०] वह जो बहुत उत्तम कुल में उत्पन्न महागत-संज्ञा पुं० [सं०] विष्णु । हुआ हो । कुलीन। महागर्भ-संज्ञा पुं० [सं० ] (1) विष्णु । (२) शिव । (३) एक महाकुट-संजा पु० [सं०] कुष्ट के अट्ठारह भेदों में से वह जिसमें दानव का नाम । हाथ-पैर की उँगलियाँ गल.कर गिर जाती है । गलित कुष्ट। महागिरि-संशा पु० [सं० ] (1) बदा पहाब। (२) कुबेर के महाकूट-संजा j० [सं० 1 पुराणानुसार एक देश का नाम । आठ पुत्रों मे से एक जो पिता के शिवपूजन के लिए सूंघकर महान्छु-मंग पुं० [सं०] विरका एक नाम । कमल-पुष लाया था। की दोष पर कुबेर से शाप पाकर महाकृष्ण- संjo [सं० । (१) सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार । वह कस का भाई हुआ था और कृष्ण के हाथों मारा का बहुत ज़हरीला साँप । (२) एक प्रकार का चूठा । गया था। महाक-सं. पुं० [सं०] शत्र। महागीत-संज्ञा पुं० [सं०] शिव । महाकोश-स पुं० [सं०] शित्र। महागुद-संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार के कीड़े जो कफ से उत्पन्न महाकाशा-संशा स्त्री० [सं० ] एक नदी का नाप । होते हैं। (घरक) महाकोशातकी-सा स्त्री० [सं० ] ननुआँ या घीआ तरोई नाम | महागुनी-संज्ञा पुं० दे. "महोगनी"। कं. तरकारी। महागु-मा-संज्ञा स्त्री० [सं०] मोमलता। महाफ-सा ५० [सं०] बहुत बना यज्ञ । जैस, राजसूय, महागाधूम-संज्ञा पुं० | सं० ] बड़े दाने का गेहूँ। अश्वमेध आदि। महागोपा-संज्ञा स्त्री० [सं० शारिवा । अनंतमूल । महाप्रम-सं। पु० | सं०] विर का एक नाम । महागौरी-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) दुर्गा । (२) पुराणानुसार महाक्रोध-संज्ञा पुं॰ [सं०] शिव । एक नदी जो विंध्य पर्वत से निकली है। महाक्लीतन-संज्ञा पुं० [सं० ] शालिपर्णी । । महाथिक-संशा पुं० [सं०] वह औषध जिसके सेवन से रोग महाक्ष-मा • [सं०] (1) शिः । (२) विश् । निश्चित रूप से रुक जाय और बढ़ने न पावे । महाक्षीर-संशा पुं० सं०] ईग्य । उग्त्र । महाग्रह-संज्ञा पुं० [सं० ) राहु । महाक्षेत्र-संशा ५० में ] कालिका पुराण के अनुसार एक तीर्थ महाप्रीव-संज्ञा पुं० [सं०] (1) शिव । (२) शिव के एक अनु- जो सुमदना नदी के पूर्व ब्रह्मक्षेत्र के पश्चिम में है। घर का नाम । (३) पुराणानुसार एक देश का नाम महाक्षीभ्य-संज्ञा पुं० [सं०] बौद्रों के अनुसार एक बहुत बड़ी महाघूर्णा-संज्ञा स्त्री० [सं० ] सुरा । शराब । महाखर्व-संज्ञा पु० [सं०) एक बहुत बड़ी संख्या जो मौखर्व महाधृत-संशा पुं० [सं०] १११ वर्ष का पुराना घी जो बहुत का होती है। गुणकारी माना जाता है। वैधक में इसे कफनाशक, बल- महागंगा-संज्ञा स्त्री० [सं० ] महाभारत के अनुसार एक नदी कारक और मेधाजनक माना है। का नाम । महाघोप-संज्ञा पुं० [सं० ] (1) भारी शब्द । (२) हाट । बाज़ार। महागंध-मा पुं० { सं० ] (१) कुटज । (२) जल-वेत । (३) महाषा-संज्ञा स्त्री० [सं० ] काकडासिंगी । चंदन । महाचंचु-संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का साग । चंच । महागंधा-संशा स्त्री० [ स० ) (१) नागबला । (२) केवया । (३) : महाचंड-संज्ञा पु० [सं०] (१) यम के दूत । (२) शिव के एक चामुंडा का एक नाम । अनुचर का नाम । महागज-सं-11 पु. [ 10 ] दिग्गज । वि० प्रचंड । भयानक । महागण-संज्ञा पुं॰ [ म । (१) महाम्पमुद्र। (२) लोगों का महात्रंडा-संशा स्त्री० [सं० ] चामुंडा का एक नाम । समूह । भाद। महाचक्र-संशा पुं० [सं०] एक दानव का नाम । महागणपति-संज्ञा पुं० [सं०] (१) शिव के एक अनुघर का : महाचक्रवर्ती-संज्ञा पुं० [सं० महाचक्रवत्तिन् ] बहुत बड़ा चकवर्ती नाम । (२) गणपति । गणेश । राजा । सम्राट् । महागति-संहा स्त्री० [सं०] यौंन्द्रों के अनुसार एक बड़ी संख्या। महाचक्र जल-संज्ञा पुं० [सं० । बौद्धों के अनुसार एक पवत का महागद--संज्ञा पुं० [सं०] (1) ज्वर । बुखार । (२) वह रोग जो नाम । संख्या। .