पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४०१

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महादान २६९२ महानिर्वाण राक्षम्म का नाम । (३) विद्याधर । देश को लौट गया था। (२) दस अंगुल की मुरली । इस महादान-संज्ञा पुं० [सं० ] (1) पुराणानुगार सुला पुरुष, सोने वाध के देवता ब्रह्मा माने गए हैं। (३) मुक्ति। मोक्ष । की गौ या घोड़ा आदि तथा पृथ्वी, हाथी, स्थ, कन्या महानंदा-संज्ञा वा० [सं० ] (१) सुरा । शराब । (२) माघ आदि पदार्थों का दान जिसमे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। शुक्ला नवमी । इस तिथि को दान, होम और प्रत आदि (२) यह दान जो ग्रहण आदि के समय होमों, धमारों करने का विधान है। (३) बंगाल की एक छोटी नदी का आदि छोटी जातियों को दिया जाता है। नाम जो हिमालय के अंतर्गत दार्जिलिंग से निकली है। महादारु-संत्रा पु० [सं०] देवदार। महानक-संज्ञा पुं० [सं० ] प्राचीन काल का एक प्रकार का बाजा महादूत-संज्ञा पुं० [सं०] यमदूत । जिस पर चमड़ा मढ़ा होता था। महादूषक-संशा पु० [सं० ] सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार का महानग्न-संशा [सं०] (१) प्रेमी। प्रेम करनेवाला । (२) धान। स्त्री का यार । उपपति । जार । (३) प्राचीन काल का एक महादेव-संज्ञा पुं० सं०] शंकर । शिव । राजकर्मचारी जो बहुत ऊँचे पद पर होता था। महादेवी-संज्ञा स्त्री० [सं० ] (१) दुर्गा । (२) राजा की प्रधान महानर-संज्ञा पु० [सं० । शिव । पत्री या पटरानी की एक पदवी जो हिन्दू-काल में भारत महानद-संज्ञा पुं० [सं०] (१) पुराणानुसार एक नद का नाम । में प्रचलित थी। (२) एक तीर्थ का नाम । महादैत्य-संज्ञा पुं० [सं० पुराणानुसार भौत्य मन्वंतर के एक , महानघमी-संज्ञा स्त्री० [सं० ] आश्विन शुक्ल नवमी। आश्विन देस्य का नाम । के नवरात्र की नवमी। महाद्राषक-संज्ञा पुं० [सं०] घेचक में एक प्रकार का औषध जो : महानस-संज्ञा पुं० [सं०] पाकशाला । रसोईघर । सोनामकाबी, रमांजन, समुद्रफेन, मज्जी आदि में बनाया महानाटक-संज्ञा पुं० [सं०] नाटक के लक्षणों से युक्त यस जाता है। अंकोंवाला नाटक। महाम-संशा पु० । सं०] (१) अश्वत्थ । पीपल । (२) ताड़। वि०-दे. "नाटक"। (३) महुआ। (५) पुराणानुसार एक वर्ष या देश का महानाद-संत्रा पु० [सं०1 () हाथी । (२) ऊँट । (३) सिंह। नाम। (४) मेघ । बादल । (५) शंख । (६) बदा ढोल । (७) महाद्रण-संशा पु. [सं०] (1) शिव । (२) सुमेरु पर्वत । महादेव । शिव । महादाणा-संश। श्री० [सं० ] द्रोणपुष्पी। महानाभ-संशा पु० [सं०] (1) एक प्रकार का मंत्र जिससे शत्र महाद्वीप-संच पु० [सं० पृथ्वी का वह बड़ा भाग जो चारों के फंके हुए शस्त्र व्यर्थ जाते हैं। उ०-पद्मनाभ अरु महा- ओर नैसर्गिक रीमाओं से घिरा हुआ हो और जिसमें अनेक नाम दोउ द्वेदहु नाम सुनाभा ।-रघुनाथ । (२) एक देश हों और अनेक जातियाँ बसती हों। जैसे, एशिया, दानव का नाम । (३) पुराणानुसार हिरण्यकशिपु के एक अफ्रीका आदि (आधुनिक भूगोल)। पुत्र का नाम । महाधन-वि० [सं०] (१) बहुमूल्य । अधिक मूल्य का । उ. महानारायण-संज्ञा पुं० [सं० ] विष्णु । (क) बाहु विशाल ललित सायक धनु कर कंकन केयूर महानास-सश jo [ सं0 ] महादेव । महाधन !-मुलगी । (ग्य) तहँ राजत निज वीर शेषनाग महानिब-मशा स्व. [ सं०] वकायन । ताकें तर करम बरात महाधन धीर ।-सूर। (२) बहुत धनी। महानिद्रा-संज्ञा पुं० [सं०] मृत्यु । मरण । मौत । संशा पुं० (1) स्वर्ण । सोना । (२) धूप । सुगंध धूप । महानिधान-संज्ञा पुं० [सं०] बुभुक्षित धातुभेदी पारा जिस (३) कृषि । खेती। "बावन तोला पाव रती" भी कहते हैं। 3.-महाराज महाधिपति-संज्ञा पुं० [सं०] तांत्रिकों के एक देवता का नाम । का कल्याण हो, आपकी कृपा से महानिधान सिद्ध हुआ। महाध्वनि-संज्ञा पुं० [सं० ] पुराणानुसार एक दानव का नाम । आपको बधाई है।-हरिश्चंद्र। महाध्वनिक-संज्ञा पुं० [सं०] वह जो पुण्य कार्य के लिए महानियम-संज्ञा पुं० [सं०] विष्णु। हिमालय में गया हो, और वहाँ मर गया हो। महानियुत-संज्ञा पुं० [सं०] बौद्धों के अनुसार एक बहुत बड़ी महान्-वि० [सं०] बहुत बड़ा । विशाल । जैसे,—देशसेवा का संख्या का नाम । कार्य महान है, जो सब लोग नहीं कर सकते । महानिरय-संज्ञा पुं० [सं०] एक नरक का नाम । महानंद-संज्ञा पुं० [सं० 1 (1) मगध देश का एक प्रतापी राजा ' महानिर्वाण-संशा पुं० [सं० ] परिनिर्वाण जिसके अधिकारी केवल जिसके डर से सिकंदर आगे न बढ़कर पंजाब ही से अपने अर्हत् या बुद्धगण माने जाते हैं।