पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४०३

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महापुर २६९४ महाभागवत महापुर-संज्ञा पुं० [सं०] (१) बह नगर जो दुर्ग आदि से भली वर्ग का-3, ढ। भाँति रक्षित हो । (२) महाभारत के अनुसार एक तीर्थ । तवर्ग का-~-थ, ध। का नाम । १वर्ग का-फ, भ। महापुगण-संज्ञा पुं० दे. "पुराण"। महाबल-वि० [सं०] (1) अत्यंत बलवान् । बहुत बड़ा ताकत- महापुरी-संभाली [सं०] राजधानी। घर । उ०-(क) भाषम कहत मेरे अनुमान हनुमान महापुष्प-संध पूं[सं.] (1) कुंद का वृक्ष । (२) काला मुंग। वारिग्बो त्रिकाल न ग्रिलोक महाबल भो। सुलसी। (ख) (३) लाल कनेर । (४) सुश्त के अनुसार एक प्रकार का सत मति जय जय धारि विपृथु भट चल्यो महाबल।- कीड़ा। गोपाल। (ग) मेघनाद मे पुत्र महाबल कुंभकरण से भाई। महापुष्पा-संशा ली. [सं०] अपराजिता । महापुरुष-संद पुं० [सं०] (1) नारायण । (२) श्रेष्ट पुरुष संका पु० (१) पितरों के एक गा का नाम । (२) बुद्ध । महात्मा । महानुभाव । (३) दुष्ट । पाजी। (ध्यंग्य) (३) तामम और रोच्य मन्वंतर के इंद्र का नाम । (४) महापूजा-संज्ञा स्त्री० [सं.] दुर्गा की वह पूजा जो आश्विन के वायु । (५) शिव के एक अनुचर का नाम । (६) एक नाग नवरात्र में होनी है। का नाम । (७) मीसा। महापृष्ठ-संज्ञा पु० [सं०] (8) ऋग्वंद के एक अनुवाक का नाम महायला-संशा बी. [ सं०] (1) महदेवी नाम की जदी। पीली ___ जो अश्वमेध यज्ञ के संबंध में है। (२) ऊँट । सहदेइया । (२) पिली। पीपल । (३) धो। (४) नील महाप्रकृति-संशा श्री० [सं०] पुराणानुसार दुर्गा का एक नाम का पौधश । (५) कार्तिकेय की एक मातृका नाम । (६) जो सृष्टि का मूल कारण मानी जाती है। एक बहुत बड़ी संख्या का नाम । महाप्रजापति-संज्ञा पुं० [सं.] विष्ण। महाबलि-संज्ञा पुं० [सं०] (1) आकाश । (२) गुफा। (३) मन । महाप्रतिहार-संक्षा पुं० [सं०] प्राचीन काल का एक उच्च कर्म- महावाहु-वि० [सं०] (1) लंधी भुजावाला । (३) बली। चारी जो प्रतिहारों अथवा नगर या प्रासाद की रक्षा करने बलवान् । वाले चौकीदारों का प्रधान होता था। संज्ञा पुं० (१) धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । (२) एफ महाप्रभा-संज्ञा स्त्री० [सं०] पुराणानुसार एक नदी का नाम । राक्षस का नाम । (३) विष्णु का एक नाम । महाप्रभु-संवा पु० [सं० ] (1) बालभाचार्यजी की एक आदर- महायुद्ध-संशा पुं० [सं०] एक प्रकार के बुन्छ, जो साधारण बुन्द्रों सूचक पदवी । (२) बंगाल के प्रसिद्ध वैष्णव आचार्य चैतन्य से श्रेष्ठ माने जाते हैं। की एक आदरसूचक पदवी । (३) ईश्वर । (५) शिव । (५) महाद्धि -वि० [सं०] (१) बहुत बुद्धिमान् । (२) धूर्त । इंद्र । (६) विष्णु । (७) राजा । (८) सन्यासी या साधु। महाबृहत्ती-संा पुं० [सं०] एफ वैदिक छंद जो तीन पाद का महाप्रलय-सं० १० ( म० ] पुराणानुसार वह काल जब संपूर्ण होता है और जिसके प्रत्येक पाद में १२ वर्णहोते हैं। सृष्टि का विनाश हो जाता है और अनंत ऊल के आनरिक्त महायाधि-संज्ञा पुं० [सं०] बुद्धदेव । कुछ भी बाकी नहीं रहता। ऐसा समय प्रत्येक कल्प अथवा महाब्राह्मण-सज्ञा पु० [सं०] (1) वह ब्राह्मण जो मृतक कृत्य प्रक्षा के दिन के अंत में माता है। वि० दे० "प्रलय" । का दान लेता हो। कहा । ( साधारणतः लोक में ऐसा महाप्रसाद-सं९६ पु० [सं०] (1) ईश्वर या देवताओं का प्रसाद ब्राह्मण निन्दित माना जाता है।) (२) निकृष्ट प्राक्षण। (२) जगनाथजी का चढ़ा हुआ भात । (३) मांस। (व्यंग्य) महाभद्र-संज्ञा पुं० [सं० ] (1) पुराणानुसार एक पर्वत का नाम। (४) अग्याच पदार्थ । (व्यंग्य) (1) पुराणानुसार मेरु पर्वत के उत्तर के एक सरोवर का नाम । महाप्रमून-संज्ञा पुं० [सं० ] एक बहुत बड़ी संख्या का नाम । महाभद्रा-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) गंगा । (२) काश्मरी। महाप्रस्थान-संशा पु० [सं०] (1) शरीर त्यागने की कामना से महाभय-संज्ञा पुं० [सं०] महाभारत के अनुसार अधर्म के एक हिमालय की ओर जाना । (२) मरणा देहांत । पुत्र का नाम जो निति के गर्भ से उत्पन्न हुआ था। महाप्राण-संज्ञा पुं० [सं० ] व्याकरण के अनुसार यह वर्ण जिसके महाभया-संज्ञा स्त्री० [सं०] पुराणानुसार एक नदी का नाम । उच्चारण में प्राण वायु का विशेष म्यवहार करना पड़ता है। महाभाग-वि० [सं० ] भाग्यवान् । किस्मतवर । वर्णमाला में प्रत्येक वर्ग का दूसरा तथा चौथा अक्षर महा. महाभागवत-संशा पुं० [सं०] (१) बारह महाभक्त अर्थात् मनु, प्राण है जैसे- सनकादि, नारद, जनक, कपिल, ब्रह्मा, लि, भीमा, प्रह्लाद, कवर्गका-बघ शुकदेव, धर्मराज और शंभु। (२) २६ मात्राओं के छदों वर्ग का-छ, । की संज्ञा। (३) परम वैष्णव । (४) दे. "भागवत" (पुराण)।