पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४०८

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महावसु २६९९ महाव्याहुति महावसु-संज्ञा पुं० [सं०] (दावरुण का एक नाम । सफेद बोदा । (९) याज पक्षी। (१०) जैनियों के चौबी- महावाक्य-संज्ञा पुं॰ [सं०] (1) 'सोऽह' शब्द । (२) वांकराचार्य पर्वे और अंतिम जिन या तीर्थकर जी महापराक्रमी राजा जी के मतानुयायियों के मत से 'अहं ब्रह्मास्मि', 'तस्वमसि', सिद्धार्थ के वीर्य से उनकी रानी त्रिशला के गर्भ से उत्पन्न 'प्रज्ञानं प्रा' और 'अयमात्मा ब्रह्म' इत्यादि उपनिषद के हुए थे। कहते हैं कि त्रिशला ने एक दिन सोलह शुभ वाक्य । (३) दान आदि के समय पढ़ा जानेवाला संकल्प । स्वम देखे थे जिनके प्रभाव से वह गर्भवती हो गई थी। महापात-संज्ञा पुं० [सं०] जोर की हवा । आँधी । तूफ़ान ।। जब इनका जन्म हुआ, तब इंद्र इन्हें ऐरावत पर बैठाकर महावामदेव्य-संशा पुं० [सं०] एक प्रकार का साम जो शांति मंदराचल पर ले गए थे और वहाँ इनका पूजन करके फिर कम्मों के समय पढ़ा जाता है। इन्हें माता की गोद में पहुँचा गए थे। इनका नाम खर्च- महावायु-संज्ञा पुं० स्त्री० [सं०] सूफान । मान पड़ा था। ये बहुत ही शुद्ध और शांत प्रकृति के थे महावारुणी-संवा स्त्री० [सं०] गंगा-नान का एक योग। और भोग-विलाप की ओर इनकी प्रवृत्ति नहीं होती थी। विशेष-यदि चैत्र कृष्ण बयोदशी को शतभिपा नक्षत्र हो तो कहते हैं कि तीस वर्ष की अवस्था में कोई बुद्ध या अर्हत् उस दिन वारुणी योग होता है। यदि यह योग शनिवार आकर इनमें ज्ञान का संचार कर गए थे। मार्गशीर्ष कृष्ण को पड़े तो महावारुणी कहलाता है। पुराणों के अनुसार दशमी को ये अपना राज्य और सारा वैभव छोड़कर वन इस योग में गंगा-स्नान का बहुत अधिक फल होता है। में चले गए और बारह वर्ष तक इन्होंने वहाँ घोर तपस्या महावाकिनी-संज्ञा स्त्री० [सं० ] बनभंटा । जंगली बैंगन। की। इसके उपरांत ये इधर-उधर घूमकर उपदेश देने महावाहन-संज्ञा पुं॰ [सं० ] एक बहुत बड़ी संख्या का नाम । लगे। एक बार इन्होंने भोजन त्याग दिया, जिसमें महाविक्रम-संज्ञा पुं० [सं० ) (1) सिंह। (२) एक नाग का नाम वैशाख कृष्ण दशमी को इन्हें केवल ज्ञान प्राप्त हुआ था। महाविदेहा-संज्ञा स्त्री० [सं०] योगशा के अनुसार मन की इन्होंने मौन धारण करके राजगृह में रहना आरंभ एक बहिर्वृत्ति। किया । वहाँ देवताओं ने इनके लिए एक रत्न-जटित प्रासाद महाविद्या-संशा स्त्री० [सं०] (1) तंत्र में मानी हुई दस देवियाँ बनाया था। वहाँ इंद्र के भेजे हुए बहुत मे देवता आदि जिनके नाम इस प्रकार हैं-(१) काली, (२) तारा, (३) इनके पास आए, जिन्हें इन्होंने अनेक उपदेश दिए और पोदशी, (४) भुवनेश्वरी, (५) भैरवी, (६) छिन्नमम्ता, (७) जैन धर्म का प्रचार आरंभ किया। कहते हैं कि इनके धूमावती, (८) बगलामुखी, (९) मातंगी और (१०) कम जीवन काल में ही सारे मगध देश में जैन धर्म का प्रचार लास्मिका । इन्हें सिद्ध विद्या भी कहते हैं। कुछ तांत्रिकों हो गया था। जैनियों के अनुसार ईसा से ५२७ वर्ष पूर्व का यह मत है कि इन्हीं दस महाविद्याओं ने दस अवतार महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था और तभी से वीर संवत् धारण किए थे। (२) दुर्गादेवी । (३) गंगा। महाविद्यश्वरी-संशा स्त्री० [सं०] दुर्गा की एक मूर्ति का नाम । वि० बहुत बड़ा वीर । बहुत बड़ा बहादुर । महाविभूत-संशा पुं० [सं०] एक बहुत बड़ी संख्या का नाम: महावीरा-संज्ञा स्त्री० [सं० ] क्षीरकाकोली। महाविभूति-संज्ञा पुं० [सं०] विष्णु।। महावीर्य-संज्ञा पुं० [सं०] (1) अक्षा । (२) एक बुद्ध का महाविल-संज्ञा पुं० [सं०] (१) आकाश । (२) अंत:करण । नाम । (३) जैनों के एक अर्हत् का नाम । (४) तामस महाविष-संशा पुं० [सं०] वह साँप जिसके काटते ही तुरंत शोच्य मन्वन्तर के एक इंद्र का नाम । (५) वराहीकंद । मृत्यु हो जाय। | महाषी--संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) सूर्य की पत्नी संज्ञा का महाविषुव-संश्च पुं० [सं०] वह समय जब सूर्य मीन से मेष | एक नाम । (२) वनकपास । (३) महाशतावरी । राशि में जाता है और दिन रात दोनों समान होते हैं। महावक्ष-संज्ञा पुं० [सं०] (0) सेंहुच। थूहर । (२) करंज। मेष संक्रांति। चैत्र को संक्राति । (इस दिन की गणना ! (३) ताइ । (५) महापीलु । पुण्यतिथियों में होती है।) महावृष-संज्ञा पुं० [सं० ] पुराणानुसार एक तीर्थ जो सुरम्य पर्वत महावीचि-संज्ञा पुं० [सं० ] मनु के अनुसार एक नरक का नाम। के पास है। महावीत-संज्ञा पुं० [सं०] पुराणानुसार पुष्कर द्वीप के एक महावेग-संक्षा पुं० [सं०] (1) शिव । गरुड़। पर्वत का नाम । | महावेगा-संशा खी० [सं०] स्कंद की अनुचरी एक मातृका का महावीर-संशा पुं० [सं०] (1) हनुमान जी। (२) गौतम बुद्ध नाम । का एक नाम । (३) गह। (४) देवता। (५) सिंह। (१) महाच्याधि-संज्ञा स्त्री० दे. "महारोग"। मनु के पुत्र मरवानल का एक नाम । (७) बन। (८) महाव्याहति-संशा स्त्री० [सं०] पुराणानुसार ऊपरवाले सात