पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४०९

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महान्यूह २७०० महास्कंधा लोकों में से पहले तीन लोकों का समूह । भूः, भुषः और महाश्री-संवा स्त्री० [सं०] बुद्ध की एक शक्ति का नाम । स्व: ये तीन लोक। महाश्वास-संज्ञा पुं॰ [सं०] (1) एक प्रकार का श्वास रोग। महाव्यूह-संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार की समाधि । (२) वह अंतिम सांस जो मरने के समय चलता है। महाव्रण-संशा पुं० दे० "दुष्टमण"। महाश्वेता-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) सरस्वती। (२) दुर्गा। (३) महावत-संज्ञा पु० [सं०] (1) वेद की एक ऋचा का नाम। (२) सफेद अपराजिता । (४) चीनी । वह यत जो बारह वर्षों तक चलता रहे। (३) आश्विन की | महाषष्ठी-संज्ञा स्त्री० [सं० } दुर्गा । दुर्गा-पूजा । महाष्टमी-संशा स्त्री० [सं०] आधिन मास के शुक्ल पक्ष की महावती-संज्ञा पुं० [सं० महाव्रतिन् ] (1) वह जिसने कोई महा- ___अष्टमी। ग्रत धारण किया हो । (२) शिव । महासंस्कारी-संक्षा पुं० म० महामस्कारिन् १७मात्राओं के छेदों महाशंख-संज्ञा पुं० [सं०] (1) ललाट । (२) कनपटी की हड्डी। की संज्ञा । (३) मनुष्य की ठठरी । (५) नौ निधियों में से एक । (५) महासत्य-संज्ञा पुं० [सं० ] यमराज । बड़ा शंग्व । (६) एक प्रकार का सर्प । (७) एक बहुत बड़ी महासत्व-संज्ञा पुं॰ [सं०] (1) कुबेर । (२) शाक्य मुनि । (३) संख्या का नाम । एक बोधिसत्व का नाम । महाशक्ति-संज्ञा पु० [सं० ) (1) कार्तिकेय । (२) शिव । (३) महासन-संज्ञा पुं० [सं०] सिंहासन । पुराणानुसार कृष्ण के एक पुत्र का नाम । महासमंग-संशा स्त्री० [सं०] कॅगही या कंघी नामक पौधा। महाशठ-संशा पु० [सं०] पीला धतूरा । महासर्ग-संज्ञा पुं॰ [सं०] जगत् की वह रचना जो महाप्रलय के महाशतावरी-संज्ञा स्त्री० [सं०] बड़ी शतावरी । वि. दे. उपरांत फिर से होती है। "सतावर"। महासर्ज-संज्ञा पुं० [सं०] कटहल का वृक्ष । महाशय-संका पु० [सं० ] (1) उकच आशयवाला व्यक्ति । महा महासांतपन-संशा पुं० [सं०] एक प्रत जिसमें पांच दिन तक नुभाव 1 महात्मा । सज्जन । (२) समुद्र। क्रम से पंचगव्य, छठे दिन कुश-जल पीकर सातवें दिन महाशय्या-संशा भी० [सं० राजाओं की शग्या या सिंहासन ।। उपवास किया जाता है। महाशर-संक्षा पु० दे. "रामशर" | महासाहसिक-संशा पुं० [सं०] चोर । महाशल्क-सा पु० [सं० झिंगा मछली। महासिंह-संज्ञा पुं० [सं०] दुर्गादेवी का वाहन सिंह। महाशाखा-संवा स्त्री [सं०] नागबला । गंगेरन । महासीर-संज्ञा पुं० [ देश. ] एक प्रकार की मछली जो पहावी महाशासन-संशा पुं० [स] (1) सजा की आज्ञा । (२) राजा नदियों में पाई जाती है और जिम्मका मांस यहत अच्छा का यह मंत्री जो उसकी आज्ञाओं या दानपत्रों आदि का माना जाता है। प्रचार करता हो। महासुख-संज्ञा पुं० [सं०1 (1) भंगार । सजावट । (२) धुखदेव महाशिव-सा ५० [सं० महादेव । का एक नाम । महाशीतपती-संज्ञा स्त्री० [सं० ] बौखों की पाँच महादेवियों में | महासुर-संज्ञा पुं० [सं०] एक दानव का नाम । से एक देवी का नाम । महासुरी-संज्ञा स्त्री० [सं०] दुर्गा । महाशीता- सं. 1 स्त्री० [सं०] शतमूली। महामूचि-संक्षा स्त्री० [सं० ] युद्ध के समय की एक प्रकार की महाशीर्ष-संशा पुं० [सं० 1 शिव के एक अनुचर का नाम । स्यूह-रचना । महाशील-संज्ञा पुं० [सं०] जन्मेजय के एक पुत्र का नाम । महामूत-संका पुं० [सं०] प्राचीन काल का एक प्रकार का बाजा महाशुडी-संज्ञा स्त्री० [सं०] हाथीसूद नामक क्षुप । जो युद्ध-क्षेत्र में बजाया जाता था। महाशक्ति-संज्ञा स्त्री० [सं०] सीप । महासेन-संज्ञा पुं० [सं०] (१) कार्तिकेय । स्वामि-कार्तिक । (२) महाशका-संज्ञा स्त्री० [सं०] सरस्वती। शिव । (३) बहुत बकाया सब से प्रधान सेनापति । महाशुभ्र-संगापु . सं०] चांदी। महासौषिर-संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का रोग जिसमें दाँतों महाशून्य-संज्ञा पुं० [सं०] आकाश । के मसूरे सब जाते हैं और मुँह में से बहुत दुगंधि आती है। महाशोण-संज्ञा पुं० [सं०] सोन नद । कहते है कि जब यह रोग होता है, तर आदमी सात दिनों महाश्मशान-संशा पु० [सं०] काशी नगरी का एक नाम । के अंदर मर जाता है। महाश्रमण-संज्ञा पुं० [सं०] भगवान् बुद्ध का एक नाम । महास्कंध-संज्ञा पुं० [सं०] ऊँट । महाश्रावणिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] गोरखमुंडी। महास्कंधा-संज्ञा स्त्री० [सं० 1 जामुन का वृक्ष ।