पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मालकोस २७३४ मालतीफल सहचरियाँ, केदारा, हम्मीर नट, कामोद, ग्वम्माच और मालतिका-संज्ञा स्त्री० [सं० ] कात्तिकेय की एफ मातृका वहार नामक पुत्र और भूपाली, कामिनी, झिंप्रोटी, कामोदी का नाम । और विजया नाम की पुत्र-बधुएँ मानी गई हैं। कुछ लोग मालती-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) एक प्रकार की लता का नाम जो इसे संकर राग मानते हैं और इसकी उत्पत्ति षट सारंग, हिमालय और विंध्य पर्वत के जंगलों में अधिकता से होती हिडोल, बसंत, जयजयवंती और पंचम के योग से बतलाते है। इसकी पत्तियों लैंबोतरी और नुकीली, दाई तीन अंगुल हैरागमाला में इसे पाटल वर्ण, नीलपरिच्छद, यौवन चौसी और चार पाँच अंगुल लंबी होती हैं। यह युग्मपत्रक मदमत्त यष्टिधारी और स्त्रीनगण से परिवेष्ठित, गले में शत्रुओं लता है और बड़े से बड़े वृक्ष पर भी घटाटोप फैलती है। के मुंड की माला पहने, हास्य में निरत लिखा है; और यह वरसात के प्रारंभ में फूलती है। इसमें फूलों के घौद चौड़ी, गौरी, गुणकरी, खंभाती और ककुभा नाम की पाँच लगते हैं । फूल सफेद होता है जिसमें पंखुड़ियाँ होती है, स्त्रियाँ, मारू, मेवार, प्रमहंस, प्रथल, चंद्रक, नंद, भ्रमर जिनके नीचे दो अँगुल का लंबा डंठल होता है । इस फूल और खुखर नामक आठ पुत्र बतलाए हैं और भरत ने गौरी, में भीनी मधुर सुगंध होती है। फूल झड़ने पर वृक्ष के नीचे दयावती, देवदाली, खंभावती और कोकभा नाम की पाँच फूलों का बिछौना साविक जाता है। जब यह लता फूलती भा-एँ और गांधार, शुद्ध, मकर, त्रिंजन, सहान, भक्त है, तब भौरे और मधुमक्खियाँ प्रात:काल उस पर चारों वल्लभ, मालीगौर और कामोद नामक आठ पुत्र और धनाश्री, और गुंजारती फिरती हैं। यह उद्यानों में भी लगाई जाती मालश्री, जयश्री, सुधोराया, दुर्गा, गांधारी, भीमपलाशी है; पर इसके फैलने के लिए बड़े वृक्ष वा मंडप आदि की और कामोदी नाम की उनकी भार्याएँ लिखी है। आवश्यकता होती है। यह कवियों की बड़ी पुरानी परि- मालकोस-संज्ञा पुं० दे० 'मालकोश"। चित पुष्पलता है। कालिदास से लेकर आज तक के प्राय: मालखाना-संज्ञा पुं० [फा०] वह स्थान जहाँ पर माल असबाब सभी कवियों ने अपनी कविता में इसका वर्णन अवश्य जमा होता हो वा रखा जाता हो। भंडार । किया है। कितने कोशकारों ने भ्रमवश इसे चमेली भी मालगाड़ी-संश। पुं० [हिं० माल+गाडी ] रेल में वह गाड़ी जिसमें लिखा है। उ०--(क) सोनजद बहु फूली सेवती । रूप- केवल माल असबाब भरकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर मंजरी और मालती। जायसी । (ख) देखहु धौं प्राणपति पहुँचाया जाता है। ऐसी गाड़ियों में यात्री नहीं जाने । निकल अली की गति, मालती सो मिल्यो चाहै लीने साथ पाते। आलिनी। केशव । (ग) घाम घटीक निवारिये कलित मालगुजार-संगा पुं० [ फा . ](1) मालगुजारी देनेवाला पुरुष । ललित अलि पुंज । जमुना तीर तमाल तरु मिलित मालती (२) मध्य-प्रदेश में एक प्रकार के जमींदार जो किसानों से कुंज बिहारी । (२) छः अक्षरों की एक वर्णवृति का वसूल करके सरकार को मालगुजारी देते हैं। नाम । इसके प्रत्येक चरण में दो जगण होते हैं। उ.-जी मालगुजारी-मंशा स्त्री० [फा०] (1) वह भूमि-कर जो जमींदार पै जिय जोर । तजौ सब शोर । सरासन तोरि । लही सुख से सरकार लेती है । (२) लगान। कोरि । --केशव । (३) बारह अक्षरों की एक वर्णिक वृत्ति मालगुर्जरी-संज्ञा स्त्री० [सं०] मंपूर्ण जाति की एक रागिनी का नाम । इसके प्रत्येक चरण में नगण, दो जगण और अंत जिसमें सख शुन्छ स्वर लगते हैं। कुछ लोग इसे गौरी और में रगण होता है। उ.-विपिन विराध बलिष्ठ देखिये । सोरठ से बनी हुई संकर रागिनी मानते हैं। नृप तनया भयभीत लेखिये। तब रघुनाथ बाण के हयो। मालगोदाम-संज्ञा पुं० [हिं० माल+गोदाम ] (1) वह स्थान जहाँ निज निर्णवा पंथ को ठयो। केशव । (४) सवैया के पर व्यापार का माल रखा जाता है वा जमा रहता है । (२) रेल मत्तगयंद नामक भेद का दूसरा नाम 1 (५) युवती । (६) के स्टेशनों पर वह स्थान जहाँ मालगादी से भेजा जानेवाला चाँदनी । ज्योत्स्ना । (७) रात्रि । रात । (4) पाठा। अथवा आया हुआ माल रहता है। पाढा । (९) जायफल का पेड़ जाती। मालचक्रक-संशा पुं० [सं०] पुढे पर का वह जोर जो कमर के मालतीक्षारक-संज्ञा पुं० [सं० ] सोहागा। नीचे जाँघ की हड्डी और कूल्हे में होता है। कुल्हा । पका। मालतीजात-संज्ञा पुं० [सं० ] सोहागा। मालजातक-संज्ञा पुं॰ [सं०] गंधविकाल । गंधमार्जार। मालती टोडी-संज्ञा स्त्री० [हिं० मालती+टोड़ी ] संपूर्ण जाति की मालटा-संज्ञा स्त्री० [अं० माल्टा ] एक प्रकार की लाल रंग की एक रागिनी जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं। नारंगी जो देखने में सुदर और खाने में बहुत स्वादिष्ट होती मालतीतीरज-संक्षा पुं० [सं०] सोहागा। है। गुजरांवाला और लखनऊ में यह बहुतायत से होती है। मालतीपत्रिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] जातीपत्री। जावित्री । मालति-संज्ञा स्त्री. दे. "मालती"। । मालतीफल-संज्ञा पुं॰ [सं०] जायफल ।