पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४५

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फोनोटोग्राफ .२३३८ फौलादी संबक के उपर बीच में निकली रहती है। यंत्र के दूसरे कोया-संहा पुं० [सं० फाल हई का ] सके गालेका दुकया। ओर किनारे पर एक परदा होता है जिसके छोर पर सूई रूई का एक लछा। लगी रहती है। इसी परदे पर बजाते समय एक चोंगा फोरना* -क्रि० स० दे० "फोदना"। लगा दिया जाता है। फोरमैन-संशा पुं० [अं॰] कारखानों में कारीगरों और काम चूड़ियाँ जिनपर गीत, राग या कही हुई बातें करनेवालों का सरदार वा जमादार । जैसे, प्रेस का फोर- अंकित रहती है रोटी के आकार की होती है। उनपर मध्य मैन, लोहारखाने का फोरमैन । से आरंभ करके परिधि तक गई हुई महीन रेखाओं की फलियो-संज्ञा पुं० [सं०] कागज़ के तस्ते का आधा भाग । कुंडलियाँ होती हैं। चूड़ियों में आवाज़ इस प्रकार अंकित फोहा-संज्ञा पुं० [सं० फाल रूई का ] रूई के गाले का छोटा की जाती या भरी जाती है.-एक यंत्र होता है जिसके एक टुकड़ा । फाहा । सिरे पर चोंगा और दूसरे सिरे पर सूई लगी रहती है। फोहारा-संज्ञा पुं० दे० "फुहारा", "फुहार"। गाने, बजाने या बोलनेवाला चोंगे की ओर बैठ कर गाता | फोआरा-संशा पुं० दे. "फुहारा"। बजाता या बोलता है। उस शब्द से वायु में लहरियाँ : कौकना-क्रि० अ० [ अनु०] रींग मारना । बढ़ बढ़कर बातें उत्पन्न होकर चोंगे के दूसरे सिरे पर की सूई को संचालित ! करना। करती हैं। इसी समय चूरी भी शुमाई जाती है और उस : फ़ौज-संशा स्त्री० [अ०] (1) सुंर । जत्था । (२) सेना। पर बोले हुए शब्द, गाए हुए राग या बाजे की ध्वनि के लशकर । उ.-(क) सारबहै लोहा सर टूटै जिरह जंजीर। कंपविल, सूई द्वारा अंकित होते जाते हैं। जब फिर उसी अविनाशी की फौज में माडी दास कबीर। कबीर । (ख) प्रकार का शब्द सुनना होता है तब वही चूदी फोनोग्राफ में सुनि बल मोहन बैठि रहसि में कीनो कछू विचार । मागध संदूक के बीच में निकली हुई कील में लगा दी जाती है मगध देश ते आयो साजे फौज अपार ।--सूर । (ग) और किनारे के परदे में लगी सूई चूदी की पहली या हौं मारिहउँ भूप दोउ भाई । अस कहि सनमुख फौज आरंभ की रेखी पर लगा दी जाती है। कुंजी देने से भीतर रंगाई।-सुलसी। (घ) नाह गरज नाहर गरज बचन के चकर घूमने लगते हैं जिससे चूबी कील के सहारे नाचती सुनायो टेरि। फैसी फौज के बीच में हँसी सबनि मुख है और सूई लकीरों पर घूमकर धोंगे में उसी प्रकार के हेरि-बिहारी। वायु-सरंग उत्पन्न करती है जिस प्रकार के चूड़ी में अंकित फौजदार-संशा पुं० [फा०] सेना का प्रधान । सेनापति । सेना हुए थे। ये ही वायुतरंग उस कल में लगे हुए पुर्जी को! का छोटा अफसर । हिलाते हैं जिससे चोंगे में से होकर चूदी में भरे हुए शब्दों नौजदारी-संज्ञा स्त्री॰ [फा०1 (9) लबाई झगडा । मार पीट । या स्वरों की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यह ध्वनि कुछ क्रि० प्र०—करना । —होना । धीमी होती है और पातु की मनझनाहट और सूई की स्वर- (२) वह अदालत या न्यायालय जहाँ ऐसे मुकदमों का खराहट के कारण कुछ दूषित हो जाती है। फिर भी सुनने निर्णय होता हो जिनमें अपराधी को दंड मिलता है। वाले को पूर्व के शब्दों और स्वरों का बोध पूरा पूरा होता कंटकशोधन दंडनियम । है। फोनोग्राफ में स्वरों का उच्चारण व्यंजनों की अपेक्षा विशेष-कौटिल्य के अर्थशास्त्र में न्यायशासन के दो विभाग अधिक स्पष्ट होता है और म्यंजनों में स और ज का उच्चारण : दिखाई पड़ते है-धर्मस्थीय और कटकशोधन । पटक- इतना अस्पष्ट होता है कि उनमें कम भेद जान पड़ता है। शोधन अधिकरण में आजकल के फौजदारी के मामलों शेष व्यंजन कुछ स्पष्ट होने पर भी अपना बोध कराने के । का विवरण है और धर्मस्थीय में दीवानी के। स्मृतियों में लिए पर्याप्त होते हैं। इस यंत्र के आविष्कारक अमेरिका दर और व्यवहार ये दो शब्द मिलते हैं। के प्रसिद्ध वैज्ञानिक अडीसन साहब है। फौजी-वि० [फा०] फौजसंबंधी । सैनिक । जैसे, फौजी फोनोटोग्राफ-संज्ञा पुं० [ अं०] एक यंत्र जिसके द्वारा बोलने- आदमी, फौजी कानून । वाले के शब्दों से उत्पन्न वायुतरंगों का अंकम होता है। यह फ़ौत-वि० [अ०] नष्ट । मृत । गत । यंत्र एक पीपे के आकार का होता है। पीपे का एक मुँह मुहा०-मतलब फौत होना कार्य नष्ट होना। तो बिलकुल खुला रहता है और दूसरी ओर कुछ यंत्र लगे नौरन-क्रि० वि० [अ०] तुरंत । तत्काल । षटपट । रहते हैं। यंत्र में एक पतला परदा होता है जिसपर एक फौलाद-संज्ञा पुं॰ [फा० पोलाद ] एक प्रकार का कड़ा और पसली सूई लगी रहती है। इसी सूई से. शम्दद्वारा उत्पन्न अच्छा लोहा जिसके हथियार बनाए जाते है । खेड़ी। वायुतरंगें चूड़ी पर अंकित होती हैं। . "फोनोग्राफ"1 फौलादी-वि० [फा०] (1) फौलाव का बना हुआ । जैसे,