पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४५२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मिहदी मिझोना निकालकर कपड़ा धोषी के यहाँ भेजा जाता है। इससे ये बात बात पर बिगड़ जाते हैं। (३) शरीर या मन की छीट का रंग पक्का और चमकदार हो जाता है। इस तेल दशा । तबीयत । दिल। चलाई भी कहते हैं। यौल-मिजाज आली । सिजान शरीर । मिज़ाज-पुरमी। मिहदी-संज्ञा स्त्री० दे० "मेहदी"। मुहा०-मिज़ाज खराब होना=(१) मन में विगा प्रकार का मिश्राद-संज्ञा स्त्री० दे० "मीआद"। अप्रसन्नता आदि उत्पन्न होना। ग्लानि आदि होना। (२) अस्वस्थता मिश्रादी-वि.दे. "मीआदी"। होना। मिजाज बिगड़ना-दे. "मिताज खराब होना" । मित्रान-वि० दे. "मियाना"। मिज़ाज बिगाड़ना किगी के मन में क्रोध, अभिमान आदि संज्ञा पुं० दे० "मियाना"। मनोविकार उत्पन्न करना । मिजाज पाना (१) किमी के स्वभाव मिकद-संशा स्त्री० [ फा मिकअर ] मलद्वार । गुदा। से परिचित होना । (२) विमा का अनुकूल या प्रसन्न देखना । मिकदार-संशा खी० [अ० ) परिमाण मात्रा । मान ।। मिज़ाज पूछना-(१) तवायत का माल पूछना । यह पूछना कि जैसे,—यह दवा ज्यादा मिकदार में नहीं ग्वानी आपका शरीर तो अच्छा है। (२) अन्छी तरह ग्यवर लेगा। चाहिए। दंड देना । मिज़ाज में आना-पान में आना । सग में आना। मिफनातीस-संज्ञा पुं० [फा०] बक पत्थर । जैस,-अगर आरके मिज़ान में आ नो पार भी वहां मिकाडो-संशा पुं० [ जा. ] जापान के सम्राट की उपाधि । चलिए । मिज़ाज सीधा होना अनुकल या प्रश्न होना । मिचकना-कि० अ० [हिं० मिचना ] (१) (ऑग्वों का ) यार तवायत ठिकान होना। बार बुलना और बंद होना । (२) (पलकों का) अपकना (१) अभिमान । घमंड । शेग्वी। या बंद होना। मुहा०-मिजाज आना-अभिमान करना । बम हाना । मिजाज मिचकाना-कि० स० [हिं० मि.चना ] (1) बार बार (आँखें) में आना- अभिमान करना । गमः करना। जैसे,—इस वर, खोलना और बंद करना । (२) (पलक ) अपकाना या बंद .. कुरल न पूछो, आप मिज़ाज में आ गये हैं। मिजाज न करके दबाना । जैसे, आँख मिचकाना। मिलना-अभिमान के कारण विमी का अलग रहना । गंगट के संयो० क्रि०—देना ।—लेना। कारण बात न करना । जैसे,-- आपकल तो आपके मिजाज मिचना-क्रि० अ० [हिं० मी चना का अक० रूप ] ( आँखों का)। ही नहीं मिलते। बंद होना । जैसे,—मारे नींद के आँखें मिची जाती हैं। विशेष--इस अर्थ में इस शब्द का प्रयोग सहुधा हुवचन मिचगना-कि० अ० मिनर, चाबने के शब्द से अनु० 1 बिना भूख में होता है। के खाना । इच्छा न होने पर भी भोजन करना। (विशेषतः । यौल-मिज़ाजदार। बालकों के संबंध में बोलते है।) मिज़ाज पाली ?--[ अ. | एक वाक्यांश जिग्यका व्यवहार किमी मिचलाना-क्रि० अ० [हिं० भथना, मतलाना के आने को होना। का शारीरिक कुशल-मंगल पूछने के समय होता है। उबकाई आना । मतली आना। अच्छे तो है? मिचवाना-क्रि० स० [दि० मीचना का प्रे० रूप। गाँधने का मिज़ाजदार-वि० [अ० मिन-1+hinार (प्राय) जिग बहन काम दसरे से कराना । तसरे को मीचने में प्रवृत्त करना । अभिमान हो। धमंडी। दूसरे से आँखें बंद कराना । | मिज़ाजपीटा-वि० [अ० मिना +जि. पारनामा मि ... पाटी) मिचिता-संज्ञा स्त्री० [सं०] एक प्राचीन नदी का नाम । जिसे बहुत अधिक घमंड हो। अभिमानी । ( स्त्री०) मिचौलना-क्रि० स० दे० "मीचना"। मिज़ाजपुरसी-संज्ञा दी [ 10 1ि1-1-1-फा. पुरमा | किसा मिच्छफ-संज्ञा पुं० [सं०] एक बौद्ध स्थविर का नाम । मे यह पूछना कि आपका मिजाज तो अच्छा है। तबीयत मिछा* -वि० दे० "मिध्या"। का हाल पूछना । शारीरिक कुशल-मंगल पूछना । मिजराब-संशा नी० [ अ.} तार का बना हुआ एक प्रकार का मिज़ाज शरीफ़?-[अ० ] एक वाक्यांश जिसका व्यवहार किमी छल्ला जिसमें मुड़े तार की एक नोक आगे निकली रहती का शारीरिक कुशल-मंगल पूछने के लिए होता है। आप है और जिससे सितार आदि के तार पर आघात करके ' असछे तो है? आप सकुशल तो है? बजाते हैं। डंका । नाखुना। मिज़ाजो-वि० स्त्री० [हिं० मिजाज+ओ (प्रत्य॰)] अभिमानी। मिज़ाज-संज्ञा पुं० [अ०] (1) किसी पदार्थ का वह मूल गुण! धर्मढी । जो सदा बना रहे। तासीर । (२) प्राणी की प्रधान प्रवृत्ति। मिझोना-संज्ञा पुं० [सं० मध्य, पु० हिं० मांझ} वह खूटी जोहल में स्वभाव । प्रकृति । जैसे,—उनका मिजाज बहुत सस्स है; बेड़े थल में लगी हुई लकड़ी के बीच में रहती है। (बुंदेल.)