पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४५४

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मिट्टी का फूल २७४५ मितव्ययता की मिठयोलमा ह नमक कभी कभी ज़मीन के अंदर की गैसों के जोर करने के कारण संज्ञा स्त्री० दे० "मिट्टी"। भी यह आप से आप फूट निकलता है। कुछ लोग कहते हैं ! मिट्टो-संशा स्त्री.दे. "मिट्टी"। कि जमीन के अंदर जो लोह मिश्रित बहुत गरम कारबाइन । मिठ-वि० [हिं० मीठा ] मीठा का संक्षिप्त रूप जिसका व्यवहार होता है, उस पर जल पड़ने से यह तैयार होता है, और | प्राय: यौगिक बनाने के लिए होता है और जो किसी शब्द कुछ लोगों का मत है कि जमीन के अंदर अनेक प्रकार के के पहले जोड़ा जाता है। जैसे, मिठलोना, मिठबोला। जीवों के मृत शरीरों के सबने आदि से यह तैयार होता है। मिठबोलना-संज्ञा पुं० दे० "मिठोला" । एक मत यह भी है कि इसकी उत्पत्ति का संबंध नमक की मिठबोला-संज्ञा पुं० [हिं० मीठा+बोलना] (१) वाह जो मीठी उत्पत्ति से है, क्योंकि अनेक स्थानों में यह नमक की स्वान मीठी बातें करता हो। मधुर-भाषी। (२) यह जो मन में के पास ही पाया जाता है। इसी प्रकार इसकी उत्पत्ति के काट रखकर ऊपर से मीठी बातें करता हो। संबंध में और भी अनेक मत है। अमेरिका के संयुक्त राज्यों मिठरी--संशा स्त्री० दे० "मठरी"। तथा रूस में इसकी खानें बहुत अधिक है; और इन्हीं दोनों ! मिठलांना-संज्ञा पुं० [हिं० मीठा कम+लोन-नोन ] वह जिसमें देशों से सबसे अधिक मिट्टी का तेल निकलता है। भारत नमक बहुत ही कम हो । यो नमकवाला। में इसकी खाने या तो पंजाब और बलोचिस्तान की ओर मिठाई-संचा स्त्री० [हिं० मीठा+आई (प्रत्य॰)] (1) मीठे होने हैं या आसाम तथा यस्मा की ओर । परंतु पश्चिमी प्रांतों से . का भाव । मिठास । माधुरी । (२) कोई मीठी खाने की अभी तक बहुत थोड़ा तेल निकाला जाता है और पूर्वी चीज़। जैसे, लड्डू, पेड़ा, बरफ़ी, जलेबी आदि । (३) प्रांतों से अपेक्षाकृत अधिक । बहुत बढ़िया तेल का रंग! कोई अच्छा पदार्थ या बात। सफेद और स्वच्छ जल के रसान होता है; पर साधारण । मिठास-सशा स्त्री० [हिं० मीठा+आम (प्रत्य॰)] मीठे होने का तेल का रंग कुछ लाली या पीलापन लिए और घटिया तेल भाव। मीठापन । माधुर्य । जैसे,—इसकी मिठास तो का रंग प्राय: काला होता है। बदिया साफ किया हुआ तेल | बिलकुल मिसरी के समान है। पतला और घटिया तेल गाना होता है। प्रकाश करने के अति- ! मिठौरी-संशा स्त्री० [हिं० मीठा+बरी ] पीसे हुए उपर या चने रिक्त इसका उपयोग छोटे इंजन चलाने, गैस तैयार करने, की बनी हुई बरी। भनेक प्रकार के तेलों और वारनिशों आदि को गलाने और मिडाई-संज्ञा स्त्री० दे० "मिड़ाई"। मोमबत्तियाँ आदि बनाने में होता है। इसमें एक प्रकार की मिडिल-वि० [अं किसी पदार्थ का मध्य । बीच। उग्र और प्रिय गंध होती है। थोड़ी मात्रा में जबान पर संशा पुं० शिक्षा'कम में एक छोटी कक्षा या दरजा जो लगने या गले के नीचे उतरने पर यह के लाता है; और स्कूल के अंतिम दर्जे इंट्रेस से छोटा होता था। अब यह नाम अधिक मात्रा में भीषण विष का काम करता है । मोटरों प्रचलित नहीं है। आदि में जो पेट्रोलियम जलाया जाता है, वह भी इसी का मिडिलची-संशा पुं० [हिं० मिडिल+नी (प्रत्य॰)] वह जो मिडिल एक भेद है। की परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ हो। मिडिल पाय । (उपेक्षा) मिट्टी का फूल---संज्ञा पुं० [हिं० मिट्टी+फूल ] मिट्टी या ज़मीन 'मिडिल स्कूल-संज्ञा पुं० [अ० ] वह स्कूल. या विद्यालय जिसमें के ऊपर जम आनेवाला एक प्रकार का क्षार जिसका म्यष- केवल मिटिल तक की पढ़ाई होता हो। हार कपड़ा धोने और शीशा बनाने में होता है । रेह। मितंग*-संज्ञा पुं० [सं० मितंगम ] हाथी । मिट्टी खरिया-संशा स्त्री० दे० "खविया"। । मित-वि० [सं०] (1) जो सीमा के अंदर हो । परिमित । मिठा-वि० संज्ञा पुं० दे. "मीठा"। थोड़ा। कम । जैसे, मितव्ययी। मित-भाषी । (३) फंका मिट्टी-संज्ञा स्त्री० [हिं० मोठा ] चुवन । धूमा । (इस शब्द का हुआ। क्षिप्त । व्यवहार स्त्रियाँ प्रायः छोटे बालकों के साथ करती हैं।) मित-संशा पुं० [सं०] समुद्र । सागर । क्रि० प्र०—देना ।-लेना । मितभाषी-संज्ञा पुं० [सं० मितभापिन् ] वह जो बहुत कम मिटट-संशा पुं० [हिं० मीठा+ऊ (प्रत्य॰)] (1) मीठा बोलने बोलता हो। थोड़ा बोलनेवाला । समझ बूझकर बात वाला । (२) तोता। कहनेवाला। मुहा०-अपने मुंह से आप मियाँ मिट बनना अपनी प्रशंसा मितमति-संशा पुं० [सं.] वह जिसमें बहुत कम बुद्धि हो। आप करना। अपने मुँह से अपनी बाई करना । । थोड़ी बुद्धिषाला। वि० (१) चुप रहनेवाला । न बोलनेवाला । (२) प्रिय मितव्यय-संझा पुं० [सं० ] कम खर्च करना । किफ़ायत । बोलनेवाला । मधुर-भाषी। | मितव्ययता-संशा स्त्री० [सं०] कम खर्च करने का भाव ।