पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४६४

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मित्रा शासन करता था; पर अब इसे अंगरेजों ने अपने संरक्षण | मिहना-संज्ञा पुं० दे० "मेहना"। में ले लिया है । इस देश के विशुद्ध प्राचीन निवासी अब | मिहमान-संशा पुं० दे. "मेहमान"। नहीं रह गए हैं और उनकी वर्ण-संकर संतान बची है, मिहमानदारी-सशा स्त्री० दे० "मेहमानदारी"। जिसका धर्म प्राय: इस्लाम और भाषा अरबी से उत्पन्न है। मिहमानी-संशा स्त्री० दे० "मेहमानी"। किसी समय में इस देश के निवासी उन्नति और सभ्यता मिहर-संशा स्त्री० दे० "मेहर"। के बहुत ही उच्च शिखर पर पहुँच गए थे; और यह देश | मिहरबान-संज्ञा पुं० दे० "मेहरबान" । रोम, भारत तथा चीन आदि का समकक्ष माना जाता था | मिहरवानी-संज्ञा स्त्री० दे० "मेहरबानी" पर अब इसका बहुत कुछ पतन हो गया है। कहते हैं कि | मिहरा-संज्ञा पुं० (१) दे० "मेहरा"। (२) दे"महरा"। नूह के पुत्र मिस्र ने अपने नाम पर एफ नगर बसाया था, | मिहराब-संज्ञा स्त्री० दे० "मेहराब"। जिसके नाम पर इस देश का यह नाम पड़ा। बड़े बड़े मिहरारू-संशा स्त्री० दे. “मेहरारू"। भवनों और इमारतों के जितने प्राचीन खंडहर इस देश में | मिहानी-संज्ञा स्त्री० दे० "मथानी"। मिलते हैं, उतने और कहीं नहीं पाए जाते। मिहिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) आसमान से पकनेवाला बरफ । मित्रा-संशा पुं० दे० "मिसरा"। पाला । (२) ओस । (३) कपूर । मिस्त्री-संज्ञा स्त्री० दे० "मिसरी"। मिहिर-संशा पुं० [सं०] (१) सूर्य। (२) आक का पौधा । मिस्ल-वि० [अ.] समान । तुल्य । बराबर । जैसे,—यह (३) ताँबा । (४) बादल । (५) हवा । (६) चंद्रमा । (७) घोड़ा मिस्ल तीर के जाता है। राजा । (८) दे. “वराहमिहिर"। मिस्सा-संज्ञा पुं० [हिं० मिसना=मिलना या मीसना--मलना ) वि० वृद्ध । खुना। (१) मूंग, मोठ आदि का भूमा जो भेदों और ऊँटों के लिए मिहिरकुल-संज्ञा पुं० [फा० महगुल का सं० रूप ] शाकल प्रदेश के बहुत अच्छा समझा जाता है। (२) कई तरह की दालों प्रसिद्ध हूण राजा तोरमाण (तुरमान शाह) के पुत्र का नाम आदि को पीसकर तैयार किया हुआ आटा जिसकी रोटी जिसने गुप्त सम्राटों पर विजय प्राप्त करके मध्य भारत तक गरीब लोग बनाकर खाया करते हैं। अधिकार जमाया था। यह बौहों का बहुत बड़ा शत्रु था। यौ०-मिस्सा कुस्सा-यदुत ही मोटा अनाज या उसका बना ! एक बार मगध के राजा बालादित्य ने इसे पकड़ लिया था; खाद्य-पदार्थ । पर फिर अपनी माता के कहने से छोड़ दिया था। इसने मिस्सी-संज्ञा स्त्री० [फा० मिसी-तारे का ] (1) एक प्रकार का कुछ दिनों तक काश्मीर पर भी शासन किया था। यह प्रसिद्ध मंजन जो माजूफल, लोहचून और तूतिए आदि ईसवी छठी शताब्दी के मध्य में हुआ था। से तैयार किया जाता है और जिसे प्राय: सधवा स्त्रियाँ | मिहिराण-संज्ञा पुं० [सं०] शिव । दाँतों में लगाती है। इससे दाँत काले हो जाते और मिही-संज्ञा स्त्री० [ देश ] मध्य प्रदेश में होनेवाली एक प्रकार सुन्दर जान पड़ते हैं। की अरहर जिसके दाने कुछ बड़े होते हैं और जो कुछ देर क्रि० प्र०-मलना । —लगाना । में तैयार होती है। महा-मिस्त्री काजल करना स्त्रियों का बनाव-सिंगार करना। मिहीन-वि० दे."महीन"। मिस्सी और काजल आदि लगाना। मींगनी-संज्ञा स्त्री० दे० "मैंगनी"। (२) किसी वेश्या का पहले पहल किसी पुरुष से समागम मींगी-संज्ञा स्त्री० [सं० मुद्ग-दाल ] बीज के अंदर का गूदा । होना, जिसके उपलक्ष में प्रायः कुछ गाना बजाना और गिरी। जलसा भी होता है। सिर-ढकाई । ( मुसलमान वेश्या) भींजना-क्रि० स० [हिं० मोडना ] (१) हाथों से मलना । मय- मिह-संज्ञा पुं० [सं०] बरसता हुआ बादल । मेंह। लना । जैगे, छाती मींजना, हाय मीजना । (२) मर्दन मिहतर-संज्ञा पुं० दे० "मेहतर"। करना । दलना। मिहदार--संज्ञा पुं० [फा० मिह मिहनत+दार (प्रत्य॰)] वह मीड-संज्ञा स्त्री० [सं० मीडम् ] संगीत में एक स्वर से परे स्वर मज़दूर जिसे नकद मजदूरी दी जाती हो, अन्न आदि के रूप पर जाते समय मध्य का अंश इस संदरता से कहना जिसमें में न दी जाती हो। ( रुहेल.) दोनों स्वरों के बीच का संबंध स्पष्ट हो जाए; और यह न मिहनत-संज्ञा स्त्री० दे० "मेहनत"। जान पड़े कि गानेवाला एक स्वर से कूदकर दूसरे स्वर पर मिहनताना-संशा धुं० दे० "मेहनताना"। चला आया है। जैसे,-'सा' का उचारण करने के उप- मिहनती-वि० दे० "मेहनती"। रांत 'रि' का उच्चारण करते समय पहले कोमल रिषभ का