पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४६६

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मोठा चावल मीननाथ मीठा चावल-संज्ञा पुं० [हिं० मीठा+चावल ] वह चावल जो मीठी दियार-संशा स्त्री० [हिं० मीठा+दियार ] महापौल वृक्ष । चीनी या गुड़ के शरबत में पकाया गया हो। मीठी मार-संज्ञा स्त्री० [हिं० मीठी-+मार ] ऐसी मार जिसकी मोठा ज़हर-संज्ञा पुं० [हिं० मीठा+अ० जहर ] वरपनाम । श्वच्छ चोट अंदर हो और जिसका ऊपर से कोई चिहन दिखाई नाग विष। दे। भीतरी मार। मीठा जीरा-संशा पुं० [हिं० मीठा+जीरा] (१) काला जीरा। मीठी लकड़ी-संशा स्त्री० [हिं० मीठी+लकड़ी ] मुलेठी। (२) सौंफ। मीद-वि० [सं०] (१) पेशाब किया हुआ। मूत्र के मार्ग मे निकला मीठा ठग-संज्ञा पुं० [हिं० मीठा+ठग ] झठा और काटी मित्र या निकाला हुआ। (२) मूत्र के समान । मूत्र का सा। जो ऊपर मे मिला रहे, पर धोखा दे। मीढुष-संज्ञा पुं॰ [सं.] इंद्र के पुत्र का नाम । मोठा तेल-संशा पुं० [हिं० मीठा+तेल] (१) तिल का तेल । (२) वि. दयाई । रहमदिल । पोस्त के दाने या स्वस-स्वस का तेल। मीएम-संज्ञा पुं० [सं०] (1) शिव । महादेव । (२) सूर्य । मीठा तेलिया-संशा पुं० [हिं० मीठा--तलिया | बछनाग। वत्स- I (३) चोर। नाभ विष। मीन-संज्ञा पुं० [सं०] (1) माली । (२) मेप आदि राशियों मीठा नीबू-संज्ञा पुं० [हिं० मीहा+नांबू ] जमीरी नीबू । चकोतरा। में से अंतिम या बारहवीं राशि । इस राशि में पूर्वभादपद मीठा नीम-संशा पुं० [हिं० मीठा+नाम] एक प्रकार का छोटा वृक्ष नक्षत्र का अंतिम पद, और उत्तर भाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र जो प्रायः सारे भारत में पाया और कहीं कहीं लगाया जाता हैं। इस राशि की अधिष्ठात्री देवियाँ दो मछलियाँ हैं और है। इपमें से एक प्रकार की मीठी गंध निकलाना है। इसकी । यह चरण-रहित, कफ-प्रकृति, जलचारी, निःशब्द, गिल बाल पतली और ग्याकी रंग की होती है और पत्ते बकायन वर्ण, स्निग्ध, बहुत संतानवाली और मामण वर्ण की मानी या नीम के पत्तों के समान होते हैं। फल भी नीम के फल गई है। कहते है कि इस राशि में जो जन्म लेता है, वह के ही समान होते हैं जो कच्चे रहने पर हरे, और पकने पर क्रोधी, तेज चलनेवाला, अपवित्र और अनेक विवाह करने- काले हो जाते हैं। इनमें दो बीज रहते है। चैत-बैसाख में वाला होता है। इसके गुच्छों में छोटे छोटे फूल लगते हैं। इसकी जड़, छालपा०—कीट । जलज । मौम्य । अंगन । युग्म । सय । और पत्तियाँ औपध के रूप में काम आती हैं। वैद्यक में इसे भक्ष्य । गुरुक्षेत्र । दिनात्मक । घरपरा, कडुआ, कसैला और दाह, अवापीर, शूल आदि (३) मेष आदि बारह लग्नों में से अंतिम लग्न । फलित का नाशक माना है। ज्योतिष के अनुसार हमलम में जन्म लेनेवाला कार्य दक्ष, मीठा पानी-संज्ञा पुं० [हिं० मीठा+पानी ] नीबू का अंगरेजी सत अल्पभोजी, स्त्री का बहुत कम साथ करनेवाला, चंचल, मिला हुआ पानी जो बाजारों में बंद बोतलों में मिलता अनेक प्रकार की बातें करनेवाला, धूतं, तेजस्वी, बलवान् , है । लेमनेड । विद्वान् ,धनवान् , चर्मरोगी, विकृतमुग्व, पराक्रमी, पविग्रता. मीठा पोइया-संज्ञा पुं० [हिं० मीठा+पाश्या ] घोड़े की वह चाल | पूर्वक और शास्त्रानुकुल आचार आदि में रहनेवाला, विनीत, जो न बहुत तेज हो और न बहुत धीमी।। संगीतप्रेमी, कन्या-संततिवाला, कीर्तिशाली, विश्वासी और मीठा प्रमेह-संशा पुं० [हिं० मीठा+सं० प्रमह ] मधुमेह । धीर होता है और इसकी मृत्यु मूत्रकृच्छ, गृह्य रोग या मीठा बरस-संशा पुं० [हिं० मीठा+बरस स्त्रियों की अवस्था उपवास आदि में होती है। का अठारहवाँ और कुछ लोगों के विचार से तेरहवाँ बरस । मीनक-संज्ञा पुं॰ [सं०] एक प्रकार का नयनांजन । एक तरह का जो उनके लिए कठिन समझा जाता है। मीठा माल । । सुरमा। मीठा भात-संज्ञा पुं० दे. "मीठा चावल"। | मीनकाक्ष-संज्ञा पुं० [सं०] सफेद कनेर । मीठा विप--संज्ञा पुं० [हिं० मीठा+सं० विष] वत्सनाभ । बछनाग । मीनकेतन-संशा पुं० [सं०] कामदेव । मीठा साल-संज्ञा पुं० दे० "मीठा बरस"। मीनगंधा-संशा स्त्री० [सं०] मरस्यगंधा या सत्यवती का एक नाम । मीठी खरखोड़ी-संज्ञा स्त्री० [हिं० मीठी+खरखोकी ] पोली मीनगाधिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] जलाशय, तालाब या झील जीवती । स्वर्ण जीवंती। आदि। मीठी छुरी-संज्ञा स्त्री० [हिं० मीठी+छुरी ] (1) वह जो देखने में मीनघाती-संशा पुं० [सं० मीनघातिन् ] अगला । मित्र पर वास्तव में शत्र हो। विश्वासघातक । (२) वह जो वि० मछली मारनेवाला । देखने में सीधा पर वास्तव में दुष्ट हो । कपटी । कुटिल। मीननाथ-संज्ञा पुं० [सं०] गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाय का मीठी तूंधी-संशा स्त्री० [हिं० मीठी+तूंबी ] कद्दू । एक नाम । मलंदरनाथ । ६९०