पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४७३

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२७६४ जवान पर लाना । निर्लज्ज होकर कहना । जैसे,-हमने उनसे मुँह फारकर कहा भी, पर उन्होंने कुछ ध्यान ही न दिया। मुंह फैलाना=(१) दे० "मुंह बाना" । (२) अधिक लेने की इच्छा या हठ करना । जैसे,-कचहरीवाले तो ज़रा ज़रा सो बात पर मुँह फैलाते हैं । मुँह फोदकर कहना ३० "मुह फाडकर कहना" । मुँह बंद करना चुप कराना । बोलने में रोकना । मुँह बंद कर लेना-बिलकुल चुप हो जाना । कुछ न बोलना । मुँह बंद होना=चुप होना । जैसे,—तुम्हारा भी मुंह कभी बंद नहीं होता । मुँह बाँधकर बैठना-चुपचाप बैठना। कुछ न बोलना । मुँह याँधना या घाँध देना-चुप करा देना। दोलने न देना । मुँह बाना--(१) मुंह काटना या सोलना। (२) अँभाई लेना । (३) अपनी हीनता सिद्ध होने पर भी हम पड़ना । (४) बुरी तरह से हंसना । बेहूदेपन से हँसना । मुँह विगढ़ना:- (१) मुंह का स्वाद खराब होना । जैसे,—तुमने कैसा आम खिला। दिया; बिलकुल मुँह बिगड़ गया । मुँह बिगायना- मुंह का स्वाद खराब करना । मुँह भर आना=(१) मुंह में पानी । भर आना । किसी चीज को लेने के लिए बहुत लालच होना। (२) मितली आना । जी मिचलाना । के करने को जी चाहना।। मुँह भरके-(१) मुंह तक । लबालब । (२) जहाँ तक इच्छा ! हो । जितना जी चाहे । जैसे,—(क) जो कुछ मांगना हो, मुँह भरके मांग लो । (ख) उन्होंने मुझे मुँह भरके गालियाँ दीं। (३) पूरी तरह से । भली भाँति । मुँह भर बोलना-अच्छ। तरह बोलना । जैसे,---वहाँ मुझसे कोई मुँह भर बोला तक नहीं। मुँह भरना-(१)रिश्वत देना । घूस दना । (२) खिलाना।। भोजन कराना । (३) मुंह बंद करना । बोलने से रोकना । मुँह मारना-(१) खाने की चीज में मुंह लगाना । (२) दाँत लगाना। काटना । (३) जल्दी जल्दी भोजन करना । (किसी का) मुँह मारना=(१) किसी को बोलने से रोकना । चुप कराना । (२) रिश्वत देना (३) कान काटना । बढ़कर होना । जैसे,—यह कपड़ा रेशम का मुँह मारता है। मुंह मीठा करना (१) मिठाई खिलाना । (२) देकर प्रसन्न करना । मुँह मीठा होना= ' (१) खाने को मिठाई मिलना । (२) प्राप्ति होना । लाभ होना। (३) मँगनी होना । (वात) मुँह में आना-कहने को जी चाहना । कहने को प्रवृत्त होना । जैसे, -जो कुछ मुँह में आता है, कह चलसे हो । मुँह में खून या लह लगना- चसका पड़ना । चाट पड़ना । जैसे,—एक दिन में तुम्हें रुपए क्या मिल गए, सुम्हारे मुँह में खून लग गया। मुँह में जबान होना कहने की सामर्थ्य होना । बोलने की ताकत होना। मुँह में तिनका लेना बहुत अधिक दीनता या अधीनता प्रकट करना । मुँह में पाना-खाया जाना । खाने के काम आना। (बात का) मुँह में पबनावात का मुंह से निकलना या कहा जाना । जैसे,—जो बात तुम्हारे मुँह में पदी, वह सारे! शहर में फैल जायगी। मुँह में पानी भर आना=(१) कोई पदार्थ प्राप्त करने के लिए बहुत लालायित होना। बहुत ललचना। जैसे,-सेब का नाम सुनते ही तुम्हारे मुँह में पानी भर आता है। (२) ईर्ष्या होना । मुँह में बोलना या बात करना=इतने धीरे धीरे बोलना कि जल्दी औरों को सुनाई न दे। मुँह में लगाम देना समझ बृझकर बात करना। कम और ठाक तरह से बोलना । मुँह में लगाम न होना-बोलने के समय सचेत न रहना । जो मुंह में आवे, सो कह देना । मुंह रगाना-खाना । चखना। मुँह सँभालना व्यर्थ बकन या गाली-गलौज करने से जवान को रोकना। जथान में लगाम देना। (अपना) मुँहसीना-बोलने में रुकना । मुँह से बात न निकालना। बिलकुल चुप रहना । मुंह सूखना--प्यास या रोग आदि के कारण गन्दा खुश्क होना । गले और जवान में कोटे पड़ना । मुंह से दूध की बू आना-दे० "मुंह से दूध टपकना" । मुँह से दूध टपकना बहुत ही अनजान या बालक होना। (परिहास) जैसे,--आप इन बातों को क्यों जानने लगे; आपके मुंह से तो अभी दूध टपक रहा है। मुंह से निकालना- बाहना । उच्चारण करना । जैसे,-ऐसी बात मुंह से मत निकाला करो जिससे किसी को दुःख हो । मुंह से फूटना- कहना । बोलना । (उपेक्षा या व्यंग्य) जैसे-आखिर तुम भी तो कुछ मुंह से फूटो। मुँह से फूल अपना मुँह से बहुत ही सुंदर और प्रिय बातें निकलना । मुँह से बात छीनना, या उचकना-किसी को कहते कहते उसकी बात कह देना । किसी के कहने से पहले ही उसका विचार या भाव प्रकट करना। किसी के मन की बात कह देना । मुँह से बात न निकलना-क्रोध या भय के मारे कुछ बोला न जाना । मुंह से शब्द न निकलना । मुँह से भाप न निकलना-भय आदि के कारण सन्न हो जाना। चूं तक न करना । मुँह से लार गिरना-दे. "मुँह से लार टपकना" । मुँह से लार टपकना-कोई चीज प्राप्त करने के लिए अत्यंत लालच होना । पाने के लिए परम उत्सुकता होना। जैसे,—जहाँ तुमने कोई अच्छी पुस्तक देखी, वहाँ तुम्हारे मुँह से लार टपकने लगी। मुँह से लाल उगलना-दे. "मुँह से फूल झकना"। (३) मनुष्य अथवा किसी और जीव के सिर का अगला भाग जिसमें माथा, आँखें, नाक, मुंह, कान, ठोदी और गाल आदि अंग होते हैं। चेहरा । मुहा०-अपना सा मुँह लेकर रह जाना लज्जित होकर रह जाना । काम न होने के कारण शरमिंदा होना । इतना सा मुँह निकल आना-दे. "मुँह उतरना" । मुंह अँधेरे-प्रभास के समय । तड़के। (किसी के) मुंह आना किसी के सामने होकर उसे कोई कठोर बनन कहना । किसी से हुज्जत करना। मह उजला होना-प्रतिष्ठा रह जाना। बात रह जाना । इज्जत