पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४७४

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२७६५ न जाना । मुँह उजाले या मुँह उठे-प्रभात के समय । तकक । बहुत सवेरे । मुँह उठना-किसा और चलने की प्रवृत्ति होना । जैसे,—हमारा क्या, जिधर मुँह उठा, उधर ही चल दंगे। मुंह उठाए चले जाना-देपदक चले जाना। बिना रुके हुए चले जाना । मुंह उठाकर कहना=बिना सोचे समझे कहना । जो मुँह में आवे, सो कहना । मुंह उठाकर चलना-नीचे की ओर बिना देखे हुए, केवल ऊपर की ओर मुंह करके चलना । अंधाधुंध चलना । मुँह उतरना=(१) दुर्बलता के कारण सुरत होना। बहरे पर रौनक न रह जाना । (२) विफलता, हानि या दुःख आदि के कारण उदास होना। विवर्णता होना । चेहरे का तेज जाता रहना । (अपना) मुंह काला करना--(१) व्यभिचार करना । अनुचित संभोग करना । (२) अपनी बदनामी करना । (दसरे का) मुँह काला करना-उपेक्षा से हटाना । त्यागना । जैसे,--मुंह काला करो, क्यों इसे अपने पास रखे हो? मुंहकी खाना-(१) थप्पड खाना । तमाचा खाना । (२) बेपत होना। दुर्दशा कराना । । (३) मुँह-तोड उत्तर सुनना। (४) लज्जित होना । शरमिंदा होना। . (५) धोखा खाना । चूक जाना । (६) बुरी तरह परास्त होना । मुँह के बल गिरना=(१) ठोकर खाना । धोखा खाना । (२) बिना सोचे समझे किसी ओर प्रवृत्त होना । कोई वस्तु प्राप्त करने के लिए लपकना । मुंह खोलना-हरे पर से पूँघट आदि हटाना। चेहरे के आगे का परदा हटाना । मुँह चढ़ाना-दे० "मुँह फुलाना" । मुँह चाटनाखुशामद करना । ठकुरमुहाती कहना । लल्लो पत्तो करना । मुँह छिपाना-लज्जा के मारे सामने न होना । मुंह अटक जाना-रोग या दुर्बलता आदि के कारण चेहरा उतर जाना । मुंह झुलसाना=(१) मुँह में आग लगाना। मुँह फूंकना । (सि० गाली) (२) दाह-कर्म करना । मुरदे को जलाना। . (उपेक्षा) (३) कुछ दे लेकर दूर करना । (अपना) मुँह टेढ़ा करना= मुँह फुलाना । अप्रसन्नता या असंतोष प्रकट करना । (दूसरे का) मुँह टेवा करना=दे. "मुंह तोड़ना" । मुँह दाँकना--किसी के मरने पर उसके लिए शोक करना या रोना। (मुसल.) (फिसी का) मुंह ताकना=(१) किसी का मुखापेक्षी होना । किसी के मुंह की ओर, कुछ पाने आदि की आशा से,देखना । (२) टक लगाकर देखना। (३) विवश होकर देखना । (४) चकित होकर देखना । आश्चर्य से . देखना । मुँह ताकना-अकर्मण्य होकर चुपचाप बैठे रहना । जैसे,-सब लोग अपने अपने रुपये ले आए, और आप मुंह ताकते रहे।मुँह तोड़कर जवाब देना-पूरा पूरा जवाब देनर। ऐसा जवाब देना कि कोई बोल ही न सके । मुँह थाना-- मुँह को थूथुन की तरह बनाना । मुँह फुलाना । क्रोध या अप्र- सन्नता प्रकट करना। मुँह दिखाना-सामने आना। मुँह देखकर उठना-प्रातःकाल सोकर उठने के समय किसी को सामने पाना । जैसे,—आज न जाने किसका मुँह देखफर उठे थे कि दिन भर भोजन ही न मिला। (प्राय: लोग मानते हैं। कि प्रात:काल सोकर उठने के समय शुभ पा अशुभ आदमी का मुंह देखने का फल दिन भर मिला करता है।)मुंह देख कर यात कहना:-खुशामद करना । (फिली का ) मुँह देवना=(१) सामना करना । किमी के सामने जाना । किसी के माथ देखादेखी या साक्षात्कार करना। (२) चकित होकर देखना। (अपना) मुंह देग्वना-दर्पण में अपने मुँह का प्रतिबिंब देखना। (किसी का) मुँह देखकर =(१) किसी के प्रेम में लगकर । किमी के प्रेम के आसरे । जैसे,—पति मर गया, पर बच्चों का मुँह देखकर धीरज धरो। (२) किमी को संतुष्ट या प्रसन्न करने के विवार से । जैसे-तुम तो उनका मुंह देखकर बात करते हो। मुँह धो रखना किसी पदार्थ की प्राप्ति में निराश हो जाना। आशा न रखना । (व्यंग्य) जैग्ने,—आपको यह पुस्तक मिल चुकी; मुँह धा रम्बिए । मुँहन देविना किसी से बहुत अधिक घृणा करना । किसी से देखा-देखें तक न करना। न मिलना जुलना। जैसे,-मैं तो उप दिन मे उनका मुँह नहीं देखता। मुँह न फेरना या मोड़ना=(१) दृढ़तापूर्वक सन्मुख टहरे रहना । पाछे न हटना । (२) विमुख न होना। अस्वीकार न करना । मुँह निकल आना-रोग या दुर्बलता आदि के कारण चेहरे का तेज जाता रहना । चहरा उतर जाना । मुँह परमामने। प्रत्यक्ष । रूबरू । जैसे,—(क) तुम तो मुंह पर झट पोलते हो। (ब) वह मुंह पर खुशामद करता है और पीठ पीछे गालियाँ देता है। मुँह पर चढ़ना-लने या प्रतियोगिता करने के लिए सामने आना। मुकाबला करना । मुँह पर थूकना- बहुत अधिक अप्रतिष्ठित और लज्जित करना । मुँह पर नाक न होना-शरग न होना। लज्जा न होना। निलज होना । जैसे,- तुम्हारे मुंह पर नाक तो है ही नहीं; तुमसे कोई क्या बात करे। मुँह पर पानी फिर जाना चेहरे पर तेज आना। प्रसन्न बदन होना । मुँह पर फेंकना या फेंक मारना-बहुत अप्रसन्न होकर किसी को कोई चीज देना । मैंह पर या से बरसना=आकृति में प्रबाट होना । चेहरे से जाहिर होना। जैसे,-पाजीपन तो तुम्हारे मुँह पर बरस रहा है। मुँह पर बसंत फूलना या ग्विलना (१) चेहरा पाला पड़ जाना। (२) उदास या भयभीत हो जाना । मुंह पर मारना-दे. "मुंद पर फेकना"। मुँह दर मुँह कहना मुँह पर कहना । सामने कहना । मुँह पर मुरदनी फिरना या छाना=(१) मृत्यु के चिह्न प्रकट होना। अंतिम समय समीप आना । (२) चेहरा पीला पड़ना (३) भयभीत, लज्जित या उदास होना। मुंह पर रखना=किसी के सामने ही कोई बात कह देना। पूरा पूरा उत्तर देना । मुँह पर हवाई उड़ना या छूटना-भय या लज्जा आदि के कारण चेहरा पीला पड़ जाना । जैसे,—मुझे देखते ही उनके मुँह पर हवाई उसने लगी। (किसी का) मुँह पाना- प्रवृत्ति को अपने अनुकूल देखना । रुख पाना । मुंह पीट लेना-