पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४८७

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मुडेरा, २७७८ मुदिता पिर मुँगा हुआ हो । विशेषतः कोई संन्यासी, साधु या मतालया-संज्ञा पुं० [अ०] उतना धन जितना पाना वाजिय बैरागी आदि । उ०—यह निर्गुण लै तिनहि सुनावहु ने हो। प्राप्तव्य धन । बाको रुपया। मुड़िया बसे काशी!सूर । वि० दे० "मुँडिया"। मुताह-संज्ञा पुं० [अ० मुतअ ] मुसलमानों में एक प्रकार का [ देश० ] एक प्रकार की मछली। अस्थायी विवाह जो 'निकाह' से निकृष्ट समझा जाता है। मुडेग-संशा पुं० दे० "मुंडेरा"। इस प्रकार का विवाह प्रायः शीया लोगों में होता है। मुतअल्लिक-वि० [अ० 1 (1) संबंध रग्घनेवाला । लगाव रखने मताही-वि० [हिं० मताइ+ई (प्रत्य॰)] (1) वह जिसके साथ वाला । संबद्ध । (२) मिला हुआ। सम्मिलित । मुताह किया गया हो। (२) रोली (स्त्री)। त्रि. वि. संबंध में विषय में । जैसे,—उसके मुतअल्लि मतिलाडू-संज्ञा पुं० [हिं० माती+लड्डू ] मोतीचूर का मुझे कुछ नहीं कहना है । लड्डू । उ.-मुतिलाडू है अति मीठे। ग्यात न कबहुँ मतका-मजा| ft. :+टेक ] (1) कोठे के छज्जे या चौक उद्योठे।--सूर। के ऊपर पाटन के किनारे खड़ी की हुई पटिया या नीची मतेहग-संज्ञा पुं० [हिं० मोनी+हार ] कंकण की आकृति का दीवार जो गिरने से रोकने के लिए हो। (२) खंभा । एक प्रकार का आभूषण जो स्त्रियों कलाई पर पहनती है। (३) मीनार । लाट। मृत्ततिक-वि० [अ० ] राय से इत्तफाक करनेवाला । सहमत । मतदायग-वि० [ 10 ] (मुक्तदमा) जो दायर किया गया हो। मत्तसिल-वि० [अ० ] निकट । नज़र्दक । पमीप । पास । लगा हुआ। मतानी-वि० [अ० ] बहुत बड़ा धूर्त । चालाक । धाग्वेवाज़। कि० वि० लगातार । निरंतर । मनफर्रिक-वि० [अ० ] (१) भिन्न भिन्न । अलग भला । (२) मद-संज्ञा पुं० [सं०] हर्ष । आनंद । प्रसनता। 30----मुद-मंगल- विविध । कई प्रकार का। मय संत-समामू ।-तुलपी। मुतबन्ना-संशा ५० | अ0 ] गोद लिया हुआ पुत्र । दत्तक पुत्र। मृद्गर-संज्ञा पुं० दे० (१) "मुद्गर"। (२) दे. "मुगदर"। मतमोवल-वि० [अ० ] धनवान् । संपतिशाली । अमीर । मुदग-संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का मादक पेय पदार्थ जो मतजिम-संशा पुं० [अ० ] जो अनुवाद करे। तरजमा करने अफीम, भांग, शराब और धतूरे के योग से बनता है और वाला । अनुवादक। जिसका व्यवहार पश्चिमी पंजाब तथा बलोचिस्तान में होता है। मतलक-क्रि० वि० [अ० } ज़रा भी । तनिक भी । रसी मरिस-संशा पुं० [अ० ] पाठशाला का शिक्षक । अध्यापक । भर भी। , मुदा-अन्य • { अ० महा अभिप्राय ] (1) तात्पर्य यह कि । वि० बिलकुल । निरा । निपट । (२) मगर । लेकिन । मतधपका-वि० [10] परलोकवासी । मृत । स्वर्गीय ।। संज्ञा स्त्री० [सं० ] हर्ष । आनंद । प्रसन्नता । मदाम-त्रि० वि० [फा० ] (1) सदा । हमेशा । सदैव । उ.- मतवली- पुं० [अ०] किसी नाबालिग और उसकी संपत्ति (क) राम लखत सीता की छवि को सीयराम अभिराम । का रक्षक । किसी बड़ी खपति और उसके अल्पवयरक उभय सुगंचल भये अचंचल प्रीति पुनीत मुदाम।- अधिकारी का कानूनी संरक्षक । वली। रघुराज । (ख) अहे हम सल्य धरा सरनाम । करै रन मतघातिर-कि० वि० [अ० लगातार । निरंतर । में पर सल्य मुदाम ।-गोपाल। (२) निरंतर । लगातार । मनमदी-संज्ञा पुं० [अ०] (1) लेखक । मुंशी। (२) पेशकार । + (३) ठीक ठीक । हब-हू । (क.) दीवान । (३) जिम्मेदार । उत्तरदायी। (१) इंतज़ाम करने- मुदामी-वि० [फा०] जो सदा होता रहे । सार्वकालिक । वाला । प्रबंधकर्मा । (५) हिम्पाव रखनेवाला । जमा-वर्च ! उ.-दगी मुकामी फेरि सलामी । बैंधी पंचदस जौन लिखनेवाला । (६) मुनीम । गुमाश्ता । मुदामी ।-रखुराज। मतसिरी*-संशा स्त्री० [हि. मोती+सं० श्री ] कंठ में पहनने की मदावसु-संज्ञा पुं० [सं०] पुराणानुसार प्रजापति के एक पुत्र मोतियों की कंठी । उ.-ग्रीव मुतसिरी तोरि के अंधरा का नाम । सो घाँध्यो।-सूर। मदित-वि० [सं०] हर्षित । आनंदित । प्रसन्न । खुश। मतहम्मिल-वि० [अ० ] बरदाश्त करनेवाला । सहिष्णु । संशा पुं० कामशास के अनुसार एक प्रकार का आलिंगन सहनशील। नायिका का नायक की बाई ओर लेटकर उसकी दोनों मताबिक-क्रि० वि० [अ० ] अनुसार । बमुजिब । जाँधों के बीच में अपना मायां पैर रखना। वि. अनुकूल । मुदिता-संज्ञा स्त्री० [सं० ] () परकीया के अंतर्गत एक प्रकार