पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४९०

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मुनाफा २७८१ मुफीद मुनाफा-संशा पुं० [अ० ] किसी व्यापार आदि में प्राप्त यह धन : संशा पुं॰ [देश. ] एक प्रकार का धान जो अगहन में तैयार जो मूल धन के अतिरिक्त होता है। लाभ । नफा । फायदा होता है। क्रि० प्र०-उठाना ।-करना ।-निकालना ।—होना । मनिवर-संक्षा पुं० [सं०] (1) पुंडरीक वृक्ष । पुंडरिया । (२) मनाग-संज्ञा पुं० दे. "मीनार" । उ०-भने रधुराज नव पल्ल- दौना।। वित मल्लिका के, अमल अगारा है मुनारा हैं दुआरा हैं। मनिवल्लभ-संशा पुं० [सं०] विजयसार । पियामाल । रघुराज। मनिचीर्य-संशा पुं० [सं०] स्वर्ग के विश्वदेवा आदि देवताओं मनासिब-वि० [अ० ] उचित । योग्य । वाजिब । ठीक। के अंतर्गत एक देवता। मुनि-संज्ञा पुं० [सं० ] (१) वह जो मनन करे। ईश्वर, धर्म और मुनिवृक्ष-संश पुं० [सं० ] बकम । पतंग । सत्यासत्य आदि का सूक्ष्म विचार करनेवाला व्यक्ति । मनन- मनिशस्त्र-संज्ञा पुं० [सं०] सफेद कुश । सफेद दाभ । शील महात्मा । जैसे, अंगिरा, पुलस्य, भृगु, कईम, पंच- । मुनिसत्र-संज्ञा पुं० [सं० ] एक यज्ञ का नाम । शिख आदि। (२) तपस्वी । त्यागी। मुनिसुत-संज्ञा पुं० [सं०] दौना। यौ०-मुनिचीर, मुनिपट-वल्कल । मुनिश्रत-तपस्या ! मनिसुव्रत-संज्ञा पु० [सं०] जैनियों के एक तीर्थकर का नाम । (३) सात की संख्या । उ-तब प्रभु मुनि शर मारि मनिहत-संज्ञा पुं० [सं० ] राजा पुष्यमित्र की एक उपाधि । गिरावा । (४) जिन । (५) पियाल या पयार का वृक्ष । (६) : मुनींद्र-संशा पुं० [सं०] (१) बुद्धदेव का एक नाम (२) पुराणा- पलास का वृक्ष । (७) आठ बसुओं के अंतर्गत आप नामक | नुसार एक दानव का नाम । वसु के पुत्र का नाम । (6) क्रौंच द्वीप के एक देश का नाम । मुनी-संक्षा पुं० दे. "मुनि"। (९) चु तिमान् के सब से बड़े पुत्र का नाम । (१०) कुरु मुनीव-संशा पु० दे० "मुनीम" । के एक पुत्र का नाम । (११) दौना । दमनक । मनीम-संज्ञा पु० [अ० मनीबनायब रखनेवाला ] (1) नायब । संशा स्त्री० दक्ष की एक कन्या जो कश्यप की सब से बड़ी मददगार । सहायक । (२) साहूकारों का हिमाय-किताब स्त्री थी। लिखनेवाला। मनिका-संशा स्त्री० [सं०] माही का क्षुर। यौ०-मुनीमखाना-वह स्थान जहाँ विसी कोठी के हिसाब-किताब मनिच्छद-संज्ञा पुं० [सं०] मेथी। लिखनेवाले मुनीम बैठकर काम करें। मनितरु-संशा पुं० [सं० ] बक्कम । पतंग। मुनीश, मुनीश्वर-संज्ञा पुं० [सं०] (१) मुनियों में श्रेष्ठ । मुनिद्रम-संज्ञा पुं० [सं०] (१) श्योनाक वृक्ष । (२) अकम । । (२) बुद्धदेव का एक नाम । (३) विष्णु । पतंग। मना-संज्ञा पु. [ देश० ] (१) छोटों के लिए प्रेमसूचक शब्द । मनिधान्य-संज्ञा पुं० [सं०] तिकी का चावल । तिनी। प्रिय । प्यारा । उ.-मुसा ! मैंने तो यह कहा था कि इस मनिपत्र-संज्ञा पुं० [सं० ] दौना । दमनक। मिट्टी के मोर को देख । -लक्ष्मणसिंह । (२) तारकशी के मुनिपादप-संज्ञा पुं० [सं०] बकम । पतंग। कारखाने के वे दोनों खूटे जिनमें जंता लगा रहता है। मुनिपित्तल-संज्ञा पुं० [सं० ] ताया। मुन्नू-संज्ञा पुं० दे० "मुन्ना"। मुनिपुत्र-संज्ञा पुं० [सं० ] दमनक । दौना ।

मन्यन्न-संज्ञा पुं० [सं० ] मुनियों के खाने का अन्न । जैसे,

मुनिपुत्रक-संशा पुं० [सं० ] खंजन पक्षी। तिनी का चावल आदि। मुनिपुष्प-संज्ञा पुं० [सं०] विजयसार का फूल । मन्ययन-संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का यज्ञ । मुनिप्रिय-संशा पुं० [सं०] (0) एक प्रकार का धान्य जिसे । मन्यालय-संज्ञा पुं० [सं० ] एक प्राचीन सीर्थ का नाम । पक्षिराज भी कहते हैं। (२) पिडखजूर । (३) बिरोजे का मुफलिस-वि० [अ० ] धनहीन । निधन । दरिद्र । गरीब । पेड़ । पियार। मुफ़लिसी-संज्ञा स्त्री० [अ०] ग़रीबी । निर्धनता । दरिद्रता । मनिभक्त-संज्ञा पुं० [सं०] सिमी का चावल । तिनी। मानसिद-संज्ञा पुं० [अ० ] वह जो फसाद खड़ा करे। अगदा या मुनिभेषज-संज्ञा पुं० [सं०] (1) अगस्त का फूल । (२) हरू। फसाद करनेवाला आदमी। हरें। (३) लंघन । उपवास । मुफस्सल-वि० [अ० ] वह जिसकी तफसील की गई हो। मुनिभोजन-संज्ञा पुं० [सं०] सिमी का चावल । तिनी। म्योरेवार । विस्तृत । मनिया-संशा स्त्री० [देश॰] लाल नामक पक्षी की मात्रा । उ- संशा पुं० किसी केंद्रस्थ नगर के चारों ओर के कुछ दूर के झुंड पटि गहि मानी प्रेम पांजरा में, लाल मुनियों स्थान । जैसे,-मुफस्सल से कई तरह की ख़बरें आ रही है। ज्यौं गुण लाल गहि तागी है। देव । मुफीद-वि० [अ० ] फायदेमंद । लाभकारी । लाभदायक ।