पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/५००

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२७९१ मुहतरका है। विलासपुर जिले में, विशेषत: अमरकंटक पहाड़ पर यह | मुसीबत-संज्ञा स्त्री० [अ० ] (1) तकलीफ । कष्ट । (२) विपत्ति । बहुत होता है। संकट । मुसल्लम-वि० [फा०] जिसके खंडन किए गए हों। साबुत । | क्रि० प्र०-उठाना ।-झेलना ।-भोगना । सहना । पूरा । अखंड । जैसे,—यह गाँव मुसल्लम उन्हीं का है। मुसुकाइट*-संज्ञा स्त्री० दे. "मुसकराहट"। संशा पुं० दे० "मुसलमान" ! उ.-हिंदू एकादशि चौबिस मुस्किल-वि० दे० "मुश्किल"। रोजा मुसल्लम तीस बनाये। कबीर । . मुस्की -संज्ञा स्त्री० दे. मुसकराहट"। मुसल्ला-संज्ञा पुं० [अ० ] [ सी. अल्पा० मुसली ] (१) नमाज़ वि० दे० "मुश्की"। पढ़ने की दरी या घटाई । (२) एक प्रकार का बरतन जो | मुस्क्यान -संशा स्त्री० दे० "मुनकराहट"। घड़े दिए के आकार का होता है । यह बीध में उभरा हुआ ! मुस्टंडा-वि० [ सं० पुष्ट ] (1) मोटा-ताज़ा । हृष्ट-पुष्ट । (२) होता है। इसमें मुहर्रम में चढ़ौभा बढ़ाया जाता है। _बदमाश । गुंडा । लुचा । शोहदा। संज्ञा पुं० दे० "मुसलमान"। मुस्त-संज्ञा पुं० [सं०] नागरमोथा। मुसवाना-क्रि० स० [हिं० मूसना का प्रेर० रूप] (१) लुटवाना।। मस्तक-संज्ञा पुं० [सं०] नागरमोथा। मोथा । (२) चोरी कराना। मस्तकिल-वि० [अ०] (१) अटल । स्थिर । (२) पका। मुसचिर-संज्ञा पुं० [अ० ] (१) चित्रकार । तसवीर खींचने मज़बूत । दृढ़। वाला । (२) बेल-बूटे बनानेवाला । मस्तगीस-संशा पुं० [अ०] (1) वह जो किसी प्रकार का मुसव्विरी-संज्ञा स्त्री० [अ० ] (1) चित्रकारी । (२) नक्काशी ।। इस्तगासा या अभियोग उपस्थित करे । फरियादी । (२) बेल-बूटे का काम । मुद्दई । दावेदार। मुसहर-संशा पुं० [हिं० मूस-चूहा+हर (प्रत्य॰)] एक प्रकार मुस्तनद-वि० [अ०) जो सनद के तौर पर माना जाय। की जंगली जाति जिसका व्यवसाय जंगली जड़ी बूटी आदि विश्वास करने के योग्य । प्रामाणिक । बेचना है। कहते हैं कि इस जाति के लोग प्राय: चूहे तक मुस्तशना-वि० [अ० ] (1) अलग किया हुआ। छाँटा हुआ। मारकर खाते हैं। इसी से मुसहर कहलाते हैं । आजकल यह भिन्न । (२) जो अपवाद स्वरूप हो। (३) उससे मुक्त जाति गाँवों और नगरों के आस-पास बस गई है और दोने, किया हुआ, जिसका पालन औरों के लिए आवश्यक हो। पत्तल बनाने तथा पालकी आदि उठाने का काम करती है। बरी किया हुआ। मुसहिल-वि० [अ० ] वह दवा जिससे दस्त आवें । दम्तावर । मुस्तहक-वि० [अ० ] (1) हकदार । अधिकारी । (२) योग्य । रेचक । (ऐसी दवा प्रायः जुलाब से एक दिन पहले खाई पात्र। जाती है।) मस्ताद-संज्ञा पुं० [सं०] जंगली सूअर (जो मोथे की जर संज्ञा पुं० जुलाब। खाता है)। मुसाफिर-संज्ञा पुं० [अ० ] यात्री । राहगीर । बटोही । पथिक ।। द-वि० [अ० मुस्तअद ] (१) जो किसी कार्य के लिए मुसाफिरखाना-संज्ञा पुं० [अ० मुसाफिर+का० खाना] (1) तत्पर हो। सन्नद्ध । (२) घुम्त । चालाक । तेज । यात्रियों के विशेषतः रेल के यात्रियों के ठहरने के लिए बना मुस्तैदी-संज्ञा स्त्री० [अ० मुस्तअद+ई (प्रत्य॰)] (1) सन्नद्धता। हुआ स्थान । (२) धर्मशाला । सराय । तत्परता । (२) फुरती । उस्साह । मुसाफिरत-संज्ञा स्त्री० [अ० ] मुसाफ़िर होने की दशा । मुस्तौफी-संज्ञा पुं० [अ० ] वह पदाधिकारी जो अपने अधीनस्थ मुसाफिरी । प्रवास । कर्मचारियों के हिसाब की जांच-पड़ताल करे । आय-व्यय- मुसाफिरी-संज्ञा स्त्री० [अ०] (1) मुसाफिर होने की दशा।। . परीक्षक । उ०-वासिल-बाकी स्याहा मजलिम सब अधर्म (२) यात्रा । प्रवास । की बाकी। चित्रगुप्त होते मुस्तौफी शरणं गहूँ मैं काकी।-सूर मुसाहब-संज्ञा पुं॰ [अ० ] वह जो किसी धनवान् या राजा आदि महकम-वि० [अ०] । पका । उ०-सूर पाप को गढ़ रह के समीप उसका मन बहलाने अथवा इसी प्रकार के और कीन्हो मुहकम लाइ किंवारे ।-सूर । कामों के लिए रहता है। पार्श्ववर्ती । सहवासी। मुहकमा-संज्ञा पुं० [अ० ] सरिश्ता । विभाग। सीगा । मुसाहबत-संशा स्त्री० [अ० ] मुसाहब का पद या काम। महतमिम-संज्ञा पुं० [अ० ] बंदोबस्त करनेवाला । इंतजाम मुसाहबी-संशा स्त्री० [अ० मुसाहब+ (प्रत्य॰)] मुसाहब का पद करनेवाला । निगरानी करनेवाला । प्रबंधक । व्यवस्थापक । या काम। महतरका-संज्ञा पुं० [१] वह कर जो व्यापार, वाणिज्य आदि मुसीका-संशा पुं.दे. "मुसका"। पर लगाया जाय।