पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/५१८

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मेघनाट २८०९ मेचक मेघनाट-संशा पुं० [सं०] एक राग जो मेघ राग का पुत्र माना मेघवर्त-संज्ञा पुं० [सं०] प्रलय काल के मेधों में से एक का नाम । जाता है। उ०-सुनि मेघवर्तक साजि सैन ले आए । जलबर्स मेघनाथ-संज्ञा पुं० [सं०] (१) इंद्र। वारिवर्त पवनवर्स वनवत आगिवर्तक जलद सँग लाए । मेघनाद-संज्ञा पुं० [सं०] (1) मेध का गर्जन । (२) वरुण । --सूर । (३) रावण का पुत्र इंद्रजित् जो लक्ष्मण के हाथ से मारा मेघवाई -संज्ञा स्त्री० [हिं० मेघ+वाई (प्रत्य॰)] बादल की गया था। (४) पलाश का पेड़ । (५) एक दानव । (हरिवंश) घटा । उ०-घली सैन्य कछु बरनि न जाई । मनहुँ उठी (६) मयूर । मोर । (७) विड़ाल । बिल्ली। पूरब मेघवाई।-रघुराज । मेघनादमूल-संज्ञा स्त्री० [सं० ] चौलाई की जड़ । मेघवान्-संज्ञा पुं० [सं०] पश्चिम दिशा का एक पर्वत । ( वृह- मेघनाद रस-संशा पुं० [सं०] एक रनौषध जो ज्वर में दी जाती है। संहिता। विशेष-एक एक तोला रूपा, काँगा और ताँबा तितराज की मेयवाहन-संशा पुं० [सं०] (1) इंद्र। (२) एक बौद्ध राजा जड़ के काढ़े में डालकर छः वार गजपुट पाक करने से यह का नाम । बनता है। इसकी मात्रा पान के साथ दो रत्ती है। मेघविस्फूर्जिता-संज्ञा स्त्री० [सं० ] एक वर्णवृत्त का नाम जिसके मेधनीलक-संज्ञा पुं० [सं० ] तालीश वृक्ष । प्रत्येक चरण में यगण, मगण, नगण, संगण, टगण, रगण मेघपटल-संज्ञा पुं० [सं०] बादल की घटा । और एक गुरु होता है। मेघपति-संज्ञा पुं० [सं० | बादलों का राजा या स्वामी, इंद्र। मंघसार-संज्ञा पुं० [सं० ] धनसार । चीनिया कपूर । मेघपुष्प-संज्ञा पुं० [सं०] (1) इंद्र का घोला । (२) श्रीकृष्ण के मेघस्वन-मंका पुं० [सं० ] यादलों का शब्द । मेधों का गर्जन । रथ के चार घोड़ों में से एक । उ.----शैव्य, बलाहक, वि० बादल की तरह गरजनेवाला। मेघपुष्प, सुग्रीव बाजीरथ । - गोपाल । (३) वर्षा का जल। मंघस्वनांकुर-संज्ञा पुं० [सं० ] वैदूर्य मणि । बिलौर । ( ऐसा (४) बकरे का सींग। (५) मोथा । मुस्तक । प्रवाद है कि बादल के गरजने पर वैदर्य मणि की उत्पति मेघपुष्पा-संज्ञा स्त्री० [ सं० ] (१) जल । (२) बेत । (३) होती है। ओला। मेघस्वर-संज्ञा पुं० [सं० } एक बुद्ध का नाम । मेघपृष्टि-संज्ञा पुं॰ [सं०] क्रौंच द्वीप के एक खंड का नाम । मेघा-मंज्ञा पुं० [सं० मेघ बादल ( के आने पर जो दिखाई दे )] मेघफल-संज्ञा पुं० [सं०] (1) मेघ के वर्ण द्वारा वर्ष के शुभाशुभ मेढक । मंडूक । फल का निर्णय । (२) विकत वृक्ष । मेघागम-संज्ञा पुं० [सं० ] (1) वर्षा काल । (२) धारा कदंब । मेघभूति-संज्ञा स्त्री० [सं०] बिजली। मेघाच्छन्न-वि० [सं०] बादलों से ढका हुआ। मेघमल्लार-संज्ञा पुं० [सं०] संपूर्ण जाति का एक राग जो मेघ मेघाच्छादित-वि० [सं०] बादलों से ढका हुआ। बादलों से राग और उसकी पत्री मल्लारी के योग से बनता है। इसमें छाया हुआ । सब शुद्ध स्वर लगते हैं। मंघाडंबर-संज्ञा पुं० [सं०1 (1) मेघगर्जन । बादल की गरज । मेघमाल-संज्ञा स्त्री० [सं०] बादलों की घटा । 30-माली (२) बादल का फैलाव । मेघमाल बनपाल विकराल भटु नीके सब काल सीचे सुधा- मेघानंद-संज्ञा पुं० [सं०] (1) मोर । मयूर। (२) वलाका । सार नीर के।—तुलसी। बगला। संज्ञा पुं० (१) रंभा के गर्भ से उत्पन्न कल्कि के पुत्र का नाम। मेघावरि -संज्ञा स्त्री० [सं० मेघावलि ] बादलों की घटा। उ.- ( कल्कि पुराण ) (२) लक्ष द्वीप का एक पर्वत । (३) एक केस मेधावरि सिर ता पाई । घमकहि दसन बीजु के राक्षस का नाम । नाई।—जायसी। मेघमाला-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) बादलों की घटा। कादंबिनी। मेघास्थि-संज्ञा पुं० [सं० ] ओला । (२) स्कंद की अनुचरी एक मातृका का नाम । मेवा-मंशा स्त्री० [सं० मंच ] (1) पर्यक । पलंग। (२) बैत की मेघमाली-संज्ञा पुं० [सं० मेघमालिन् ] (1) स्कंद का एक अनुचर । खुनी हुई खाट। (२) एक असुर । | संज्ञा स्त्री० दे० "मेज़"। मेघयोनि-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) धूआँ । (२) कुहरा। मंशः पुं० [ देश० ] भासाम की एक पहादी जाति । मेघराज-संशा पुं० [सं०] पुष्करावर्तक आदि मेघों के नायक, मेचक--संज्ञा पुं० [सं० ] (1) अंधकार । अँधेरा । (२) नीलांजन । सुरमा । (३) मोर को चंद्रिका । (४) धूओं। धूम । (५) मेधवर्णा-संज्ञा स्त्री० [सं०] नील का पौधा । मेघ । (६) शोभाजन । सहिजन । (७) पीतशाल । ७०३