पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/५३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मोतियाबिंद २८२३ मोतीचूर एक प्रकार का सलमा जिसके दाने गोल होते हैं और जो तथा आम्ट्रेलिया के पश्चिमी तट के मोती बहुत अच्छे समझे ज़रदोजी के काम में किनारे किनारे टॉका जाता है। (३) जाते हैं। इसके अतिरिक्त पनामा के पीले मोती तथा कैलि. रूसा नाम की घास, जब सक बह यारी अवस्था की और फोर्निया की खादी के काले और भूरे मोती भी बहुत अच्छे नीलापन लिए रहती है। (४) एक चिड़िया जिसका रंग होते हैं। मोती प्रायः तौल के हिसाब से बिकते हैं। पर मोती का सा होता है। अन्यान्य रनों की भाँति मोती को दर भी उसके भार की वि० (9) हलका गुलाबी, वा पीले और गुलाबी रंग के वृद्धि के अनुसार बहुत बढ़ती जाती है । उदाहरणार्थ, यदि मेल का (रंग)। (२) छोटे गोल दानों का वा छोटी एक चौ के मोती का दाम ५०) होगा, तो उसी प्रकार के गोल कड़ियों का । जैसे, मोतिया सिकड़ी। (३) मोती दो चौ के मोती का दाम २००J और पांच चौ के मोती संबंधी। मोती का। दाम १२५०) या इससे भी अधिक हो जायगा। मोतियाबिंद-संशा पुं० [हिं० मोतिया+सं० बिंदु ] आँख का एक भारतवर्ष में मोती का व्यवहार बहुत प्राचीन काल से रोग जिसमें उसके एक परदे में गोल झिल्ली सी पड़ जाती चला आता है । धनवान् लोग इसकी प्रायः मालाएँ बनवाते है, जिसके कारण आंग्य से दिखाई नहीं पड़ता। हैं, और इन्हें अंगूठियों तथा दूसरे आभूषणों में जदवाने हैं। मोती-संज्ञा पुं० [सं० मौक्तिक, प्रा. मात्तिअ] (१) एक प्रसिद्ध इसका व्यवहार वैद्यक में औपध रूप में भी होता है; और बहुमूल्य रत्न जो छिछले समुद्रों में अथवा रेतीले तटों के प्रायः वद्य लोग इसका भस्म तैयार करते हैं। बैठक में पास सीपी में से निकलता है।। मोती को शीतवीर्य, शुक्रवर्धक, ऑखें के लिए हितकारी विशेष-समुद्र में अनेक प्रकार के ऐसे छोटे छोटे जीव होते और शरीर को पुष्ट करनेवाला माना है। हमारे यहाँ के हैं, जो अपने ऊपर एक प्रकार का आवरण बनाकर रहते प्राचीन ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि सीपी और शंख हैं। इस आवरण को प्रायः सीप और उन जीवों को सीपी आदि के अतिरिक्त हाथी, माप, मछली, मेढक, सूअर, बाँस कहते हैं। कभी कभी ऐसा होता है कि बालू का कण या और बादल तक में मोती होते हैं। और इनको प्राप्त करने- कोई बहुत छोटा जीव सीप में प्रवेश कर जाता है, जिसके वाला बहुत सौभाग्यशाली कहा गया है । इन सब मोतियों कारण सीपी के शरीर में एक प्रकार का प्रदाह उत्पस होने के अलग अलग गुण भी बतलाए गए है; पर ऐसे मोती कभी लगता है। उस प्रदाह के शांत करने के लिए सीपी अनेक किसी के देखने में नहीं आते। प्रयत्न करती है। पर जब उसे सफलता नहीं होती, तब वह मुहा०-मोती गरजना-माना में बाल पड़ जाना । मेता चटकना अपने शरीर में से एक प्रकार का सफेद, चिकना और | या कड़क जाना । मोती ढलकाना-रोना ( व्यंग्य )। मोती लसीला पदार्थ निकालकर बालू के उस कण अथवा जीव पिरोना=(१) बहुत ही सुंदर और प्रिय भाषण करना । (२) को चारों ओर से ढकने लगती है, जो अंत में मोती का रूप बहुत ही सुंदर और स्पष्ट अक्षर लिखना । (३) रोना (व्यंग्य।) धारण कर लेता है । तात्पर्य यह कि मोती की सृष्टि किसी ! (४) कोई बारीक काम करना । मोती बधिना-(१) मोती को स्वाभाविक प्रक्रिया के अनुसार नहीं होती, बल्कि एक पिरोए जाने के योग्य बनान के लिए उसके बान में छेद करना। अस्वाभाविक रूप में होती है और इसीलिये बहुत दिनों (२) कुमारी का कौमार्य भंग करना । योनि का क्षत करना। तक लोग यह समझते थे कि मोती की उत्पत्ति सीपी में (बाजारू) मोती रोलना=बिना परिश्रम अथवा थोर परिश्रम से किसी प्रकार का रोग होने से होती है। हमारे यहाँ प्राचीन बहुत अधिक धन कमाना या प्राप्त करना । मोतियों से मुंह काल में यह माना जाता था कि स्वाती की वर्षा के समय भरना-प्रसन्न होकर किसी को बहुत अधिक धन-संपत्ति देना। सीपी मुँह खोलकर समुद्र के ऊपर आ जाया करती है और पर्या०-मौक्तिक । शौक्तिक । मुक्ता । मुक्ताफल । जब स्वाती की बूंद उसमें पढ़ती है, तब मोती उत्पन्न होता (२) कम्पेरों का एक औजार जिससे वे नक्काशी करते समय है। साधारण मोती सुडौल और गोल होता है पर कुछ : मोती की सी आकृति बनाते हैं। मोती लम्रोतरे, टेढ़े-मेढ़े या बेडौल भी होते है । मोती का । संशा स्त्री० बाली जिसमें बड़े बड़े मोती पड़े रहते है। उ0- रंग मटमैला, धूमिल, काला या कुछ हरापन अथवा नीला छोटी छोटी मोती कान छोटे कटुला त्यो कंठ, छोटे में विजा- पन लिए हुए होता है। पर साफ करने पर यह खूब सफेद हो यठ कटक दुति मोटे हैं।—राधुराज।। जाता है और उसमें एक विशेष प्रकार की "आब" या धमक! मोतीचर-संज्ञा पुं.हि. मोती+चूर ] (1) छोटी बुंदियों का आजाती है। मोती जितना बड़ा या सुडौल होता है, उसका मूल्य भी उतना ही अधिक होता है। यों तो मोती संसार यौ०--मोतीचूर आँखगोल छोटी उभरी हुई चमकदार ऑम्ब । के अनेक भागों में पाए जाते हैं, पर लंका, फारस की खादी (जैसी कबूतर की होती है।)