पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/५३४

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मोदीखाना मामियाई पूरणा मोदी। दे सबै अहार सोदी।—विश्राम । (२) मरहमों आदि में ढाला जाता है। खिलौने और ठप्प आदि वह जिसका काम नौकरों को भरती करना हो। बनाने में भी इसका व्यवहार होता है। मोदीखाना-संशा पुं० [हिं० मोदी+'I a खाना ] अन्नादि रम्बने यौ०-मोम की नाकः (१) जिसका सम्मति बहुत जल्दी बदल का घर । भंडार । गोदाम । जाती हो । अस्थिर मति । (२) वह ओ जरा सी बात में मोधक-संशा पुं० [सं० मोदक-एक वर्णसकर जाति ] मछली मिजान बदल । मोम की मरियम..बहुत ही कमल और पकड़नेवाला, धीवर । मछुआ। उ०-एक मीन ने भक्ष किषां मुकुमार स्त्रा। तब हरि रखवारी कीन्ही । सोई मत्स्य पकरि मोथुक ने जाय मुहा०--मोम करना या मोम बनाना-बाभूत कर लेना । असुर को दीन्ही।-सूर । ट्या कर लेना । मोम होना या हो जाना । कठोर मोधा-वि० [सं० मुग्ध ] बेवकूफ । मूर्ख । भोंदू । उ०-वि छोड़ देना। पक-मित्र, यों मोधू बनकर बैठने से क्या होगा? कुट (२) रूप, रंग और गुण आदि में इसी से मिलता जुलता उपाय करना चाहिए।-बालमुकुंद गुप्त । वह पदार्थ जो मधु-मक्खी की जाति के तथा कुछ और मान-संज्ञा पुं० दे० "मोना"। उ०-मानहुँ रतन मोन दुइ म दे। प्रकार के कीड़े पराग आदि से एकत्र करते है अथवा जो -जायसी। वृक्षों पर लाख आदि के रूप में पाया जाता है। (३) मानस-संशा पुं० [ सं० ] एक गोत्र-प्रवर्तक ऋषि का मिट्टी के तेल में में, एक विशेष रासायनिक क्रिया के नाम । द्वारा, निकासा हुआ इसी प्रकार का एक पदार्थ । जमा मोना-क्रि० स० [हिं० मोयन ] भिगोना । तर करना । उ० हुआ मिट्टी का तेल । (क) कह्यौ राम तहँ भरत मों काके बालक दोइ । मोर विशेष-अंतिम दोनों प्रकार के मोमों का व्यवहार भी प्राय: चरित गावत मधुर सुर संयुत स्म मोह। -विश्राम । पहले प्रकार के मोम के समान ही होता है। (ख) नेह मोह रस रेसमाहि गाँठ दई हित जोर । चाहत है ' मोमजामा-समा पु. { 10 ] वह कपड़ा जिस पर मोम का गुरुजन तिन्हें अनाव नखन सों छोर ।-रसनिधि । (ग) : रोगन चढ़ाया गया हो। तिरपाल। (ऐसे कपड़े पर पड़ा तुलसी मुदित मानु सुत गति लाख वियका ह बालि मन । हुआ पानी आर-पार नहीं होता। मन मोए 1-मुलसी। मोमदिल-वि० [फा०] दूसरों के दुःख मेशीन द्रवित होनेवाला । संज्ञा पुं० [सं० मेण ] बाँप, मज आदि का ढक्कनदार बहुत कोमल हृदयवाला। डला। शाया । पिटारा। मामना -वि.हि. मोम+ना (प्रल्ल.)] मोम का या। बहुत मोनाल-संज्ञा पुं० [ देश० ] एक प्रकार का महोख पक्षी जो शिमले के आस पास बहुत पाया जाता है । इसे 'नीलमोर' मोमवत्ती-संज्ञा स्त्री० [फा० माम+हिं बता ? मोम वा ऐसे ही भी कहते हैं। किसी और जलनेवाले पदार्थ की बनी हुई बत्ती। मोनिया -संज्ञा स्त्री० [हिं० माना+इया (प्रत्य॰)] वाँस या मुंज विशेष—इस प्रकार की बत्ती के बीच में एक मोटा डोरा की बनी हुई पिटारी । होटा मोना । होता है और उस पर मोम चढ़ा रहता है। जब वह डोरा मोपला-संज्ञा पुं॰ [देश॰] मुसलमानों की एक जाति जो मदरास जलाया जाता है, तब चारों ओर में मोम गल गलकर में पाई जाती है। जलने लगता है, जिसमें प्रकाश होता है। प्राचीन काल मोम-संज्ञा पुं० [फा० ] (१) वह चिकना और नरम पदार्थ में फारस आदि देशों में उत्सवों आदि पर इसका बहुत जिससे शहद की मक्खिर्या अपना छत्ता वनाती है। अधिक व्यवहार होता था। मधुमक्खी के छत्ते का उपकरण। मोमिन-संज्ञा पुं॰ [अ०] (1) धर्मनिष्ठ मुसलमान । (२) विशेष-मोम प्रायः पीले रंग का होता है और इसमें से शहद जोलाही की एक जाति । की सी गंध आती है। साफ़ करने पर इसका रंग सफेद मोमियाई-संशा स्त्री॰ [फा०] (१) कृत्रिम शिलाजतु । नकल। हो जाता है। यह बहुत थोडी गरमी से गल या पिघल शिलाजीत । उ.-वहाँ एक किस्म का पत्थर होता जाता है। और कोमल होने के कारण थोड़े से दबाष द्वारा है। उसको पानी में उबालकर मोमियाई बनाते है। भी, गीली मिट्टी या आटे आदि की भाँति, अनेक रूपों में -शिवप्रसाद। परिवर्तित किया जा सकता है। इसकी बत्तियाँ बनाई मुहा०-मोमियाई निकालना-(१) किमी से कठिन परिश्रम जाती है, जो बहुत ही हलकी और ठंढी रोशनी देती हैं। लेना । (२) किसी को नब मारना-पीटना । ओषधि के रूप में भी इसका व्यवहार होता है और यह विशेष-कुछ लोगों का विश्वास है कि सोमियाई मनुष्य के ७०७