पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/५५८

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यमपुरी यमुनाभिद् पहले यहाँ ले जाते हैं और तब उसे धर्मपुर में पहुचाते हैं। यमलोक-संशा ५० [सं.1 () वह लोक जहाँ मरने के उपरांत यमलोक। मनुष्य जाते है । यमपुरी । मुहा०—यमपुर पहुँचाना-मार डालना । प्राण लेना। मुहा.... यमलोक भेजना या पहुँचाना-मार दालना । प्राण यमपुरी-संज्ञा स्त्री० [सं०] अमलोक । यमपुर। लना। यम पुरुष-संज्ञा पुं० [सं०1(8) यमराज । (२) यम के दूत । (०) नरक । यमप्रस्थ-संशा पुं० [सं.] एक प्राचीन नगर जो कुरुक्षेत्र के यमवाहन [0] भया । दक्षिण में था। कहते हैं कि वहाँ के निवासी यम के उपा- समन्नत-मंना ५० [सं० राजा का धर्म जिसके अनुसार उसे सक थे। शंकराचार्य ने वहाँ जाकर निवासियों को क्षेत्र यमराज के. भाँति निष्पक्ष होकर सब को दंड देना चाहिए। बनाया था। राजा का दंड-नियम । यमप्रिय-संशा पुं० [सं० । वट वृक्ष । वड़ का पेड़ । ग्रमसदन -मः।। ५. म. : यमपुर । यमभगिनी-संज्ञा स्त्री० [सं० ] यमुना नदी । यमान-संशा ए स० ] यूयं । यमयन-संज्ञा पुं० [सं० ) शिव । संथा जिसके एक ही गर्भ से एक साथ दो संतान हों। यमया-संज्ञा स्त्री० [सं० | ज्योतिष के अनुसार एक प्रकार का सममर्य-सा . [ सं . ] मा घर जिन्यके पश्चिम उत्तर में नक्षत्र योग। शाला हो। यमयातना-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) यम के जूतों की दी यमम्म -मा पु. [म. एक दिन में होनेवाला एक प्रकार हुई पीड़ा । नरक की पीड़ा । (२) मृत्यु के समय की का यज्ञ । पीड़ा। यमहता-स... १० | म यमहत ] काल का नाश करनेवाला । यमरथ-संक्षा पुं० [सं० ] भैसा । यमांतकथा पुं० ! स. ] शिव । यमगज-संज्ञा पुं० [सं० | यमों के राजा धर्मराज, जो मरने के यमालिगत्र-संगा ५० | मं. ४२ दिनों में होनेवाय एक प्रकार पीछे प्राणी के कर्मों का विचार करके उसे दंड या उत्तम का यज्ञ। फल देते हैं। यमादित्य-मंशा पु. में० | सूर्य का एक रूप । यमराज्य, यमराष्ट्र-संक्षा ५० [सं० | यमलोक । यमानिफा- सं स . अजवायन । यमल-संशा पुं० [सं०] (१) युग्म । जाड़ा । (२) दो लड़के जड़े यमानी-मामी [. अजवायन । एक साथ ही पैदा हुए हों । यमज । यमानुजा-सं.1 10 [सं.] अमराज का छोटी बहन, यमुना । यमलच्छद-संज्ञा पुं० [सं०] कचनार । यमागि-म-: पु० | सं० | यि । यमलपत्रक-संशा पुं० [सं०] (1) कनेर । (२) अश्मंतक । यमालय-1 पर | स. यम का घर, यमपुर । यमलमू-संशा मी० [सं० १ वह गौ जिसके दो बच्चे एक साथ मिक-म । ( म० । एक प्रकार का साम । उत्पन्न हुए हों। यमी-संजा गामं०] यम की बहन, जो पीछे यमुना नदा यमला-संज्ञा स्त्री० [सं०] (१) एक प्रकार का हिका या हिचकी होकर बह। । यमुना नदी । का रोग, जिसमें थोड़ी थोड़ी देर पर दो दो हिचकियाँ मशा ५० म० मिन् । संयम करनेवाला मनुष्य । संयमी एक साथ आती है और सिर तथा गरदन काँपने लगती यमुंड-संज्ञा ५० सं० ] एक प्राचीन प्रापि का नाम । है। (२) एक प्राचीन नदी का नाम । (३) तांत्रिकों की यमुना-संज्ञा स्त्री० [सं०] (१) दुर्गा । (२) यम की बहन यमी, एक देवी। जा सूर्य्य के वीर्य से संझा के गर्भ में उत्पन्न हुई थी यमलार्जुन-संशा पुं० [सं०] गोकुल के दो अर्जुन वृक्ष जो और जो संज्ञा का सूर्य द्वारा मिल हुए शाप के कारण पुराणानुसार कुवेर के पुत्र नलकूबर और मणिग्रीव थे। पीछे में नदी हो गई थी। (३) उत्तर भारत की एक ये दोनों एक बार मद्य पीकर मत्त हो रहे थे और नंगे प्रसिद्ध बड़ी नदी जो हिमालय के यमनोत्तरी नामक स्थान होकर नदी में स्त्रियों के साथ कीड़ा कर रहे थे। इसी पर से निकलकर प्रयाग में गंगा में मिलती है। यह ८६० नारद ऋषि ने इन्हें शाप दिया, जिससे ये पेड़ हो गए थे। मील लंबी है और दिल्ली, आगरा, मथुरा आदि नगर इसके श्रीकृष्ण ने उस समय इनका उद्धार किया था, जब वे किनारे यम हुए है। हिद इमे बहुत पवित्र नदी और यम यशोदा-द्वारा बाँधे गए थे। की बहन यमी का स्वरूप मानते हैं। यमली-संशा स्त्री० [सं०1 (1) एक में मिली हुई दो चीजें। यमुनाभिद्-संशा पु० [सं० } कृष्ण के भाई बलराम जिन्होंने जोड़ी। (२) स्त्रियों का घाघरा और चोली। अपने हल से यमुना के दो भाग किए थे। ७१३