पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/५९१

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मुद्रा-शास्त्र हिंदी में मुद्रा-शास्त्र संबंधः यह पहला और अपूर्व नन्थ है। इसमें बतलाया गया है कि मुद्रा का स्वरूप क्या है, उसका विकास किस प्रकार हुआ है, उसके प्रचार के क्या सिद्धांत है, उत्तम मुद्रा के क्या कार्य है, मुद्रा के लक्षण और गुण क्या हैं, राशि-सिद्धांत क्या है, मूल्य संबंधी सिद्धांत क्या है, मूल्य-सूची किसे कहते हैं, द्विधातवीय मुद्रा- विधि का स्वरूप क्या है, पत्र-मुद्रा के क्या क्या सिद्धांत है, आदि । पृष्ठ-संख्या ३२५ के लगभग, मूल्य २॥ अकबरी दरबार (पहला भाग) उर्द, फारसी आदि के सुप्रसिद्ध विद्वान् म्वर्गीय शम्सुल उल्मा मौलाना मुहम्मद हुसेन साहब आज़ाद कृत दग्बारे अफवरी नामक ग्रंथ का अनुवाद । इसमें बादशाह अकबर की पूरी जीवनी दी गई है और बतलाया गया है कि उसने कैसे कैसे युद्ध किए, अपने राज्य की किस प्रकार व्यवस्था की, उसके समय में देश की राजनीतिक, सामाजिक और साम्पत्तिक अवस्था कैसी थी, आदि आदि । पृष्ठ-संख्या चार सौ से ऊपर, मूल्य २॥ अशोक की धर्म-लिपियाँ ( पहना भाग) हम पुस्तक में सम्राट अशोक के प्रधान शिलालेखों की प्रतिलिपि, संस्कृत तथा हिंदी अनुवाद और स्थान स्थान पर अनेक बहुमूल्य टिप्पणियाँ दी गई है। अशोक की धर्मलिपियों का ऐसा अच्छा दूसरा संस्करण अभी कहीं नहीं निकला। प्रत्यक इतिहास-प्रेमी और विद्यानुरागी को इसकी एक प्रति अवश्य रखनी चाहिए । मूल्य ३) बाँकीदास ग्रंथावली (पहला भाग) डिंगल भाषा के महाकवि कविराज बांकीदास कृत सूर छतीसी, सीह छतीसी, वीर-विनोद, धवल पचीसी, दातार बावनी, नीति मंजरी और सुपह छत्तीसी ये सात ग्रंथ अभी तक मिले हैं, जो इस पहले खंड में एक साथ ही छाप दिए गये हैं। आरंभ में बाँकीदास जी की जीवनी दे दीदी गई है और प्रत्येक पृष्ट में कठिन शब्दों के अर्थ तथा उनके उपयोगी विवरण आदि पादटिप्पणियों में देकर पुस्तक सर्वसाधारण के लिए बहुत ही सुगम कर दी गई है। १०० पृष्ठों से ऊपर की जिल्द बंधी पुस्तक का मूल्य केवल) प्रेमसागर सन् १८५०ई०पीछरी प्रति के आधार पर प्रस्तुत, जिसे भ्रंथकर्ता ने अपने संस्कृत प्रेस, कलकत्ते में छपाया था। सन् १८४२ की छगी दुसरी प्रति से भी इनके संपादन में सहायता ली गई है। लल्लूलाल जी का जीवन-चरित्र और हिन्दी गद्य साहित्य का इतिहास भी दिया गया है। कृष्णकथा होने के सिवा साहित्य और भाषा की दृष्टि से भी यह ग्रंथ बहुत ही उपयोगी है। पृष्ट-संख्या माढ़े चार सौ के लगभग; मजबूत जिल्द सहित मूल्य केवल २) जायसी ग्रंथावनी मभा न जायसीकृत पद्मावत और अखगवट का बहुत सुन्दर और शुद्ध संस्करण प्रकाशित किया है और प्रतिपए में कटिन शब्दों के अर्थ तथा दूसरे आवश्यक विवरण दे दिये है, जिससे यह काव्य साधारण विद्याथियों तक के समझने योग्य हो गया है। पुस्तक का पाठ बहुत परिश्रम से शुद्ध किया गया है। आरंभ में इसके सम्पादक और सिद्धहस्त समालोचक ० रामचन्द्र झाकने प्रायः ढाई सौ पृष्ठों की इसकी मार्मिक आलोचना कर दी है, जिसके कारण सोने में सुगंध भी आ गई है। बड़े आकार के प्रायः ७०० पृष्ठों की जिल्द बँधी पुस्तक का मूल्य केवल ३) मिलने का पता- मैनेजर, इंडियन प्रेम निमिटेड, प्रयाग