पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/७३

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बड़वामुख २३६६ बड़ा रसीपय जो कई धातुओं के भस्म के योग से बनती है। वट के सामान बनाने के काम की होती है। आसाम में इसका मधु के साथ सेवन करने से मेद रोग जाता रहता है। इसकी छाल से दाँत साफ़ करते हैं। वैद्य लोग इसके फल बड़वामुख-संत्रा पुं० [सं०] (1) यदवाग्नि । (२) शिव का . को बहुत बादी मानते हैं। मुख । (३) कूर्म के दक्षिण कुक्षि में स्थित एक जनपद। बड़हार-संशा पुं० [हिं० वर+आहार ] विवाह हो जाने के पीछे (४) एक रसौषध । पारा, गंधक, तांबा, अभ्रक, सोहागा, वर और बरातियों की ज्योनार। कर्कचलवण, जवाखार, सजीखार, सेंधा नमक, सोंठ, | बड़ा-वि० [सं० वर्द्धन, प्रा० बढ़न, हिं० बढ़ना या सं० वड् ] (१) अपामार्ग, पलाश और वरुणक्षार सम भाग लेकर और ! खूब लबा चौड़ा । अधिक विस्तार का। जिसका परिमाण अम्लवर्ग के रस में भावना दे और फिर चीते के रस में . अधिक हो। दीर्घ । विशाल । वृहत् । महान् । जैसे, बड़ा बार बार सौंदकर लघुपुट पाक द्वारा तैयार करे। इसके मकान, बड़ा खेत, बड़ा पहाय, बड़ी नदी, बड़ा घोड़ा, मेवन से ज्वर और संग्रहणी रोग दर होते हैं। । बड़ा डील, बड़ा गोला। बड़वार-वि० दे." "13.--पकल बरातिन वसन अपारा। महा-दीया बड़ा करना-दीया बुझाना। (बुझना शब्द रह्यो जौन जस लघु बनवारा -रघुराज । अमंगलसूचक है इससे उसके स्थान पर बड़ा करना या बढ़ाना बड़वारी-संशा श्री० [हि. बडवार 1 (3) बड़पन। महत्व । बोलते है ) 1 बड़ा घर कैदखाना। कारागार ।( व्यंग्य )। (२) बाई । प्रशंसा । (२) अवस्था में अधिक । जिसकी उम्र ज्यादा हो। अधिक बड़वाल--संज्ञा स्त्री० [ देग० ] हिमालय के उस पार की तराई वयस् का । जैसे, दोनों भाइयों में कौन बड़ा है, बड़ा बेटा । की भेड़ों की एक जाति । (३) परिमाण, विस्तार या अवस्था का। मान, माप या बड़वासुत-संज्ञा पुं० [सं० ] अश्विनी कुमार । वयस का । जैसे (क) वह घर कितना बड़ा है ? (ख) वह बड़वाहत-संज्ञा पुं० [40] पंद्रह प्रकार के दासों में से एक । लड़का कितना बड़ा होगा ? (४) पद, शक्ति, अधिकार, वह जो किपी दासी के साथ विवाह करके दास हुआ हो। मान मर्यादा, विद्या, बुद्धि आदि में अधिक । गुरु । श्रेष्ठ । (स्मृति)। बुजर्ग । जैसे, (क) बढ़े लोगों के सामने नम्र रहना चाहिए। बड़हंस-संज्ञा पुं० [हिं० बा+हंस ] एक राग जो मेघराग का (ख) बड़े अफसरों के सामने वह कुछ नहीं बोल सकता। पुत्र माना जाता है। कुछ लोग इसे संकर राग मानते है (ग) बड़ी अदालत । जो रुवाणी, जयंती, मारू, दुर्गा और धनाश्री के मेल से महा०-बड़ा घर-प्रतिष्ठित और धनी घराना। बनता है। कहीं कहीं यह मधुमाधव, शुन्छ हम्मीर और (५) गुण, प्रभाव आदि में अधिक या उत्तम । जिसका नरनारायण के मेल से बना कहा गया है। अधिक या बहुत अच्छा फल या परिणाम हो। जिसका बहससारंग-संक्षा पुं० [हिं० बजहभ+सारंग | संपूर्ण जाति असर या नतीजा ज़्यादा हो । महत्व का । भारी। जैसे,- का एक राग जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं। (क) अपनी जिंदगी में उन्होंने बड़े बड़े काम किये हैं। बड़हंसिका-संज्ञा स्त्री० [सं० | एक रागिनी जो हनुमत् के मत से (ख) यह बड़ी भारी बात हुई। (ग) साहित्य में उनका मेधराग की स्त्री कही गई है। बड़ा नाम है। (घ) यह तुमने बड़ा अपराध किया। बड़हर-संज्ञा पुं० दे. "बहल"। महा०--बड़ा आदमी-(१) थनी मनुष्य । (२) ऊँचे पद या बड़हल-संज्ञा पुं० [हिं० बड़ा+फल ] एक बड़ा पेड़ जो संयुक्त अधिकार का आदमी । प्रसिद्ध मनुष्य । प्रदेश, पश्चिमी घाट, पूर्व बंगाल और कमाऊँ की तराई (६) किसी बात में अधिक । बढ़कर । ज़्यादा । जैसे, बड़ा में बहुत होता है। इसके पत्ते छः सात अंगुल कारखाना, बड़ा बेवकूफ। लंबे और पांच छ: अंगुल चौड़े और कर्कश होते हैं। फूल महा०-बड़ी बड़ी बातें करना-डींग हाँकना । शेखी बघारना। बेसन की पकौड़ी के समान पीले पीले गोल गोल होते हैं। विशेष-इस शब्द का प्रयोग विवाद या झगड़े में लोग उनमें पंखड़ियाँ नहीं होतीं। फल पकने पर पीले और व्यंग से भी बहुत करते हैं। जैसे, (क) बड़े बोलनेवाले छोटे शरीके के बराबर पर बड़े बेडौल होते हैं। वे गोल बने हो। (ख) बड़े धनासेठ आए हैं। माना या संख्या में गोल उभार के कारण बट्टों से मिलकर बने मालूम होते अधिक के लिए भी लोग इस शब्द का प्रयोग 'बहुत' के है। खाने में स्वदमीठे लगते हैं, पके गूदे का रंग पीलापन स्थान पर कर देते हैं। जैसे, वहाँ बड़ी भे इकट्ठी है, लिए लाल होता है। इसके फूल और करखे फल अचार उसके पास बड़ा रुपया है। और तरकारी के काम में आते हैं। बहल के हीर की संज्ञा पुं० [सं० वटक, हिं० वटा ] [ स्त्री० अल्प० बड़ी ] (१) लकड़ी कड़ी और पीली होती है और नाव तथा सजा एक पकवान जो मसाला मिली हुई उर्द की पीठी की गोल